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‘भाजपा वोटों के दम पर नहीं, नोटों के दम पर चुनाव जीतना चाह रही’; SIR के खिलाफ ममता ने खोला मोर्चा

देश के 12 राज्यों में आज से मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का काम शुरू हो गया है। इसे लेकर बंगाल राजनीतिक बयानबाजी चरम पर है। राज्य में सत्ताधारी पार्टी टीएमसी इसका जहां विरोध कर रही है, वहीं विपक्षी भाजपा ने का दावा है कि अवैध घुसपैठियों को मतदाता सूची में शामिल करके बंगाल की डेमोग्राफी (जनसांख्यिकी) को बदला जा रहा है।

 

कोलकाता

 

एसआईआर के विरोध में टीएमसी निकाल रही रैली
एसआईआर के विरोध में सीएम ममता बनर्जी ने मोर्चा खोल रखा है। इसमें आरोप लगाया है कि भाजपा बंगाली प्रवासियों को बांग्लादेशी बताकर बंगाल के खिलाफ झूठी खबरें फैला रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के जरिए बंगाल के मतदाताओं को डराने की कोशिश कर रही है। ममता बनर्जी ने कहा कि भाजपा वोटों के दम पर नहीं, बल्कि नोटों के दम पर चुनाव जीतना चाहती है।

 

सीएम ममता ने असम में एसआईआर न होने पर उठाए सवाल
ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग और भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने सवाल उठाया कि जब असम में अगले साल चुनाव होने हैं, तो वहां एसआईआर की घोषणा क्यों नहीं की गई। ममता ने कहा कि आप 24 साल से किस मतदाता सूची से जीत रहे हैं? अगर यह सूची झूठी है, तो आपकी सरकार भी झूठी है। पहले नोटबंदी की, अब नया खेल शुरू कर दिया। बताइए, काला धन वापस आया क्या?

ममता बनर्जी ने केंद्र पर लोगों से पैसे लेकर आधार कार्ड बनाने और फिर उसी को मान्यता न देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति से आधार कार्ड के लिए 1000 रूपये लिए, फिर कहते हैं वोटर लिस्ट और राशन कार्ड में मान्य नहीं होगा। जनता को धोखा दे रहे हैं। वहीं, इस पर केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने पलटवार किया कि ममता को डर है कि SIR से मृत मतदाताओं के नाम हट जाएंगे, जिससे उनकी वोट बैंक राजनीति प्रभावित होगी। उन्होंने याद दिलाया कि 2002 में विपक्ष में रहते हुए ममता ने खुद SIR का समर्थन किया था।

 

ममता बनर्जी ने एसआईआर को बताया साइलेंट इनविजिबल रिगिंग 
इस रैली के दौरान ममता बनर्जी ने आगे कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार का पतन तय है अगर एक भी पात्र मतदाता का नाम वोटर लिस्ट से हटाया गया। ममता ने एसआईआर को राजनीतिक हथियार बताते हुए आरोप लगाया कि आयोग विपक्ष-शासित राज्यों केरल, तमिलनाडु और बंगाल में यह प्रक्रिया चला रहा है, लेकिन भाजपा-शासित असम और त्रिपुरा में नहीं। उन्होंने इसे केंद्र सरकार को फायदा पहुंचाने वाली स्पष्ट भेदभावपूर्ण कार्रवाई बताया।

इसके बाद आगे उन्होंने कहा कि 2002 में बंगाल में हुआ पिछला एसआईआर दो साल चला था, लेकिन इस बार इसे एक महीने में निपटाने की जल्दबाजी की जा रही है। उन्होंने कहा कि अगर एक भी योग्य मतदाता का नाम हटाया गया तो हम भाजपा सरकार गिरा देंगे। उन्होंने भाजपा पर नोटों के बल पर चुनाव जीतने और बंगालियों को बांग्लादेशी बताकर बदनाम करने का आरोप लगाया। ममता ने एसआईआर को साइलेंट इनविजिबल रिगिंग बताया और कहा कि भाजपा वोटरों में डर फैलाना चाहती है।

अभिषेक बनर्जी बोले- दिल्ली कूच की करो तैयारी
वहीं, टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा कि एसआईआर की घोषणा के बाद, इसके कारण जितने लोगों की जान गई, हम आज उनके परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं। आज हमने एसआईआर के खिलाफ विरोध रैली में भाग लिया। आज की भीड़ देखकर भाजपा को सोचना चाहिए कि अगर हम दो दिनों में इतनी बड़ी भीड़ जुटा सकते हैं, तो जब हम अपने विरोध प्रदर्शन के लिए दिल्ली जाएंगे तो हमारी भीड़ कितनी होगी। उन्होंने दावा किया कि पिछले सात दिनों में एसआईआर के डर से मरने वालों के परिवार के सदस्य आज की रैली में हमारे साथ मौजूद हैं। अब अगले गंतव्य, दिल्ली की तैयारी करें। हम दिल्ली में एसआईआर के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार हैं।

भाजपा का आरोप- डेमोग्राफी बदली जा रही
वहीं, पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने एसआईआर को लेकर कहा कि ‘अगर ममता बनर्जी को कुछ कहना है तो वे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती हैं। राज्य में अराजकता का माहौल है और कानून व्यवस्था ध्वस्त है। चाहे आरजी कर हो, मुर्शिदाबाद हो या डेमोग्राफी बदलने की बात…ममता बनर्जी रोहिंग्याओं को राज्य में बुला रही हैं। क्या लोग चाहते हैं कि रोहिंग्याओं को मतदाता सूची में शामिल किया जाए। सिर्फ बंगाल में ही जनसांख्यिकी नहीं बदली जा रही है बल्कि बिहार और झारखंड में भी ऐसा हो रहा है।’ समिक भट्टाचार्य ने कहा कि ‘पश्चिम बंगाल के लोग एसआईआर चाहते हैं और ये होकर रहेगा।’

 

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