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ढाई घंटे की बात, बुडापेस्ट तैयार… फिर क्यों फुस्स हो गई वार्ता, क्यों डोनाल्ड ट्रंप को तड़पा रहे हैं पुतिन?

 रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर डोनाल्ड ट्रंप-पुतिन की शिखर वार्ता बुडापेस्ट में होनी थी. दोनों देशों की ओर से फोन कॉल पर बात की पुष्टि भी की गई थी लेकिन अचानक क्या हुआ, जो रूस ने वार्ता से ही इनकार कर दिया और वॉशिंगटन को मीटिंग कैंसिल करनी पड़ गई.

 

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से होने वाली दूसरी मुलाकात की तैयारियों को रोक दिया है. 6 दिन पहले ही ट्रंप ने कहा था कि वे हंगरी के बुडापेस्ट में पुतिन से मिलकर यूक्रेन युद्ध खत्म करने की दिशा में कदम बढ़ाना चाहते हैं. मंगलवार को पहले रूस ने नकारा और फिर व्हाइट हाउस से घोषणा हुई कि इस बैठक की तैयारियां फिलहाल रोक दी गई हैं.

वैसे तो ट्रंप ने कहा कि वे मीटिंग कैंसिल इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वो नहीं चाहते कि एक बेकार की मीटिंग में समय बर्बाद हो. जब युद्ध मोर्चे पर लगातार बढ़ रहा है, ऐसे में बातों और मुलाकातों को कोई मतलब नहीं है. हैरानी की बात ये है कि पिछले सप्ताह ट्रंप ने दावा किया था कि पुतिन के साथ उनकी फोन बातचीत हुई है और दोनों नेताओं ने आमने-सामने मुलाकात पर सहमति जताई. उन्होंने ये भी कहा था कि पुतिन झट से बातचीत को तैयार हो गए. फिर अंत में ये क्या हो गया? 

रूस का रुख नहीं, प्लान बदल गया

इस बदलाव की बड़ी वजह रूस का कड़ा और अडिग रुख है. सोमवार को अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के बीच फोन पर बातचीत हुई और लावरोव ने बाद में कहा कि रूस का रुख वही है – पहले शांति समझौता, उसके बाद संघर्षविराम. वहीं वॉशिंगटन चाहता है कि युद्ध तुरंत रुक जाए पर पुतिन इसके लिए राजी नहीं हैं. रूस का तर्क है कि यूक्रेन का नाटो में शामिल होना उसकी सुरक्षा के लिए खतरा है. इसलिए, मॉस्को चाहता है कि यूक्रेन नाटो से दूर रहे, रूसी भाषा बोलने वालों पर प्रतिबंध खत्म हो और नई चुनाव प्रक्रिया शुरू की जाए.

रूस ने रख दीं नई शर्तें

 

रॉयटर्स के मुताबिक रूस ने अमेरिका को एक निजी संदेश भेजकर दोहराया कि वह यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र पर पूरा नियंत्रण चाहता है और किसी भी शांति समझौते के तहत नाटो सैनिकों की तैनाती नहीं चाहता. इस समझौते में यूरोपियन यूनियन भी अपनी भूमिका निभाने लगा और उसने कहा रूस के लड़ाई वहीं रोक देनी चाहिए, जहां वे रुके हैं. इस योजना को यूक्रेन, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन और अन्य यूरोपीय देशों ने भी समर्थन दिया लेकिन रूस ने इसे खारिज करते हुए कहा कि यूक्रेन को अपने सैन्य ठिकानों को पूर्वी इलाकों से हटाना होगा.

ट्रंप ने टॉम हॉक मिसाइलें देने से किया इनकार

 

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने कहा कि रूस शांति वार्ता को गंभीरता से इसलिए नहीं ले रहा क्योंकि अमेरिका ने टॉमहॉक लंबी दूरी की मिसाइलें देने से इनकार कर दिया. उनका कहना है कि हमारी लंबी दूरी तक मारने की क्षमता बढ़ेगी, तो रूस की शांति इच्छा बढ़ेगी. वैसे जेलेंस्की की बात भी गलत नहीं है, जब वे टॉमहॉक मिसाइलों के लिए अमेरिका बात करने पहुंचे थे, उससे ठीक पहले ही पुतिन-ट्रंप मुलाकात को राजी हुए थे.

पुतिन जो दिखाना चाहते हैं, वो हो गया

दूसरी तरफ विशेषज्ञों का कहना है कि हमेशा की तरह पुतिन एक बार फिर ट्रंप से वो करवा गए, जो वे चाहते थे. उन्होंने ढाई घंटे तक फोन पर बात करने के बाद जेलेंस्की को टॉम हॉक की सप्लाई कैंसिल करा दी. ट्रंप एक बार फिर से जेलेंस्की पर डोनबास का इलाका देने का दबाव डालने लगे. फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने जेलेंस्की से कहा कि वो नहीं झुके, तो यूक्रेन बर्बाद हो जाएगा. वहीं दूसरी ओर पुतिन को बुलाने के लिए नाटो में शामिल देश हंगरी को चुना गया. अगर पुतिन वहां जाते तो क्रेमलिन का ये मैसेज भी जाता कि पुतिन दुनिया के सबसे ताकतवर इंसान ट्रंप के साथ नाटो देश की जमीन पर खड़े हुए और उनकी गिरफ्तारी भी नहीं हुई, जबकि आईसीसी का वारंट उनके खिलाफ है. मीटिंग कैंसिल करने के लिए लावरोव ने यह भी सवाल उठाया कि पुतिन बुडापेस्ट कैसे जाएंगे, क्योंकि पोलैंड ने चेतावनी दी है कि अगर वह उसके हवाई क्षेत्र में प्रवेश करेंगे तो अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) का गिरफ्तारी वारंट लागू किया जाएगा. कुल मिलाकर लग ऐसा रहा है कि पुतिन वाकई इस मीटिंग के लिए तैयार भी नहीं थे, ये सिर्फ जेलेंस्की की मीटिंग से ट्रंप का ध्यान हटाने की कोशिश थी, जो कामयाब हुई.

 

 

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