डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि अमेरिका द्वारा भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाए जाने के बाद 15 दिन हो चुके हैं। मणिपुर में हिंसा शुरू हुए 862 दिन हो चुके हैं। जेपी नड्डा को भाजपा अध्यक्ष के रूप में 967 दिन हो चुके हैं। पश्चिम बंगाल के लिए मनरेगा फंड को रोके हुए 1282 दिन हो चुके हैं। लोकसभा में उप सभापति नहीं होने के 2278 दिन हो चुके हैं और प्रधानमंत्री द्वारा लोकसभा में एक प्रश्न का उत्तर दिए जाने के 4117 दिन हो चुके हैं।
टीएमसी नेता ने कहा कि ये महत्वपूर्ण आंकड़े हैं जिनके लिए मोदी सरकार को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। पंद्रह वोट इधर-उधर होना कोई ऐसा आंकड़ा नहीं है जिस पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत हो।
शिवसेना सांसद ने भी उठाए सवाल
शिवसेना (यूबीटी) सांसद अरविंद सावंत ने भी उपराष्ट्रपति चुनाव के परिणामों पर सवाल उठाया। 15 अवैध वोटों और पिछले चुनाव की तुलना में एनडीए के उम्मीदवार के लिए समर्थन में गिरावट पर उन्होंने चिंता जताई। सावंत ने बताया कि विपक्ष का वोट शेयर 26 प्रतिशत से बढ़कर 40 प्रतिशत हो गया है। सीपी राधाकृष्णन वोट लाए होंगे। 15 वोट अवैध कैसे हुए? पिछली बार जगदीप धनखड़ को 528 वोट मिले थे। इस बार भाजपा को 452 वोट मिले। संख्या में कमी क्यों आई? विपक्ष को पिछली बार 26% वोट मिले थे और इस बार 40% मिले।
कांग्रेस ने भी किया हमला
कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि विपक्षी दलों को क्रॉस वोटिंग की समीक्षा करनी होगी। उन्होंने कहा कि मैं सीपी राधाकृष्णन को उनकी जीत पर बधाई देता हूं। जहां तक नतीजों की बात है। पिछली बार विपक्ष को 26 फीसदी वोट मिले थे। इस बार यह बढ़कर 40 फीसदी हो गया। पीएम मोदी के दरवाजे पर खतरा मंडरा रहा है। अगर क्रॉस वोटिंग कराई गई है तो यह गलत है। लेकिन मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। कई पार्टियां हैं और वे सभी इसकी समीक्षा करेंगी। उसके बाद मैं इस पर आधिकारिक टिप्पणी करूंगा।
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि यदि क्रॉस-वोटिंग हुई है तो विपक्षी गठबंधन इंडिया के प्रत्येक घटक द्वारा इसकी गंभीरता से जांच की जानी चाहिए। क्रॉस-वोटिंग एक अत्यंत गंभीर मामला है। यदि आप जो कह रहे हैं वह सही है या जो सार्वजनिक रूप से सामने आ रहा है या जिसके बारे में अटकलें लगाई जा रही हैं, उसमें थोड़ी भी सच्चाई है, तो इसकी व्यवस्थित और नैदानिक जांच होनी चाहिए।
विपक्षी नेताओं के यह बयान उपराष्ट्रपति चुनाव में सीपी राधाकृष्णन की उम्मीद से ज्यादा अंतर से जीत के बाद आए हैं। भाजपा नेताओं ने दावा किया है कि उन्हें विरोधी खेमे से भी समर्थन मिला। उनकी जीत का अंतर विपक्ष के लिए एक झटका था।