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‘ट्रंप भारत-अमेरिका संबंध को खाक में मिला रहे’, टैरिफ के खिलाफ पश्चिम से उठी आवाज, क्या सुपरपावर बनेगा इंडिया ?

अमेरिका की डोनाल्ड ट्रंप सरकार की ओर से भारत पर लगाए गए 50 फीसद टैरिफ के खिलाफ अब वेस्टर्न वर्ल्ड भी नई दिल्ली के समर्थन में आ गया है. ट्रंप प्रशासन के कदम को आत्मघाती तक बताया जा रहा है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के प्रोडक्ट पर कुल मिलाकर 50 फीसद टैरिफ लगाने का ऐलान किया है. ऐसे में अमेरिका के बाजार में जो भारतीय प्रोडक्ट 100 रुपये में मिल रहा था, अब उसकी कीमत सीधे 150 रुपये तक पहुंच गई है, ऐसे में भारत के एक्सपोर्ट सेक्टर पर असर पड़ना स्वभाविक है. इन सबके बीच ट्रंप का यह विनाशकारी कदम भारत के लिए वरदान भी साबित हो सकता है. वेस्टर्न वर्ल्ड के एक्सपर्ट्स का मानना है कि अमेरिका के इस कदम से भारत के सुपर पावर बनने का रास्ता भी खुल सकता है. साथ ही इन विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि भारत पर 50 फीसद टैरिफ लगाकर ट्रंप सरकार द्विपक्षीय संबंधों को खाक में मिला रहे हैं, जिसे दशकों के प्रयास से एक मुकाम तक पहुंचाया गया.
अमेरिका और भारत के रिश्तों में तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन की ओर से भारत पर आक्रामक रुख अपनाने के संकेतों के बीच पश्चिमी थिंक-टैंक और विशेषज्ञ खुलकर नई दिल्ली का पक्ष ले रहे हैं. अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने गुरुवार को यूरोप से अपील की कि वह वॉशिंगटन के साथ मिलकर भारत पर टैरिफ बढ़ाए. एक टेलीविजन इंटरव्यू में उन्होंने शिकायती लहजे में कहा था, ‘मुझे नहीं दिखता कि यूरोपीय देश भारत को धमकी देकर टैरिफ लगा रहे हैं. हमें उनकी मदद की जरूरत है.’ यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत और यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement – FTA) पर बातचीत चल रही है.
‘ट्रंप पीछे हटने वाले नहीं’
बेसेंट ने हालांकि कहा कि भारत और अमेरिका लोकतांत्रिक मूल्यों और बाजार के कारण साथ आएंगे, लेकिन उन्होंने साफ संकेत दिया कि टैरिफ मसले पर ट्रंप पीछे हटने वाले नहीं हैं. बता दें कि इस मसले पर ट्रंप खुद चुप्पी साधे हैं, जबकि उनके सहयोगी लगातार भारत पर हमलावर बने हुए हैं. इसी क्रम में ट्रंप प्रशासन ने वीजा नियम भी सख्त कर दिए हैं, जिससे सबसे ज्यादा प्रभावित भारतीय छात्र और पेशेवर हो रहे हैं. पिछले 25 सालों से चले आ रहे अमेरिका-भारत संबंधों की मजबूती को कमजोर करने की इस कोशिश की आलोचना कई रणनीतिक विशेषज्ञों ने की है. कार्नेगी एंडोमेंट से जुड़े और पूर्व अमेरिकी राजनयिक इवान फेगेनबाम ने कहा, ‘यूक्रेन युद्ध पुतिन की जंग है, मोदी की जंग नहीं. जो लोग ऐसा सोचते हैं, वे हकीकत से कटे हुए हैं. यह सीधे तौर पर संबंधों खराब करना है.’ उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ अमेरिकी अधिकारी जानबूझकर रिश्तों को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
