‘सामना’ के लेख में अमित शाह पर निशाना, नए विधेयक को लेकर सोहराबुद्दीन एनकाउंटर की याद दिलाई

संपादकीय में भाजपा के हर राज्यों में बनाए गए कथित पांच सितारा कार्यालयों पर भी निशाना गया है और आरोप लगाया गया है कि इलेक्टोरल बॉन्ड्स और जो हजारों करोड़ रुपये भाजपा के खाते में जमा हुए या भाजपा ने उन उद्योगपतियों से वसूले, जिनके खिलाफ जांच एजेंसियां जांच कर रहीं थी। उन्हें बचाने के एवज में पार्टी ने ये रकम वसूली।
नई दिल्ली
शिवसेना यूबीटी के मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित एक लेख में केंद्रीय मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी पर तीखा हमला बोला गया है। सामना के लेख में नए विधेयक को लेकर सरकार पर निशाना साधा गया है। नए विधेयक में गंभीर आपराधिक आरोप लगने पर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को भी इस्तीफा देना पड़ेगा। लेख का शीर्षक है- शाह का लच्छेदार उपदेश। लेख में आरोप लगाया गया है कि ‘एनडीए नेतृत्व राजनीतिक भ्रष्टाचार की दलदल में धंसा है, लेकिन वह देश की राजनीति को स्वच्छ और सिद्धांतवादी बनाने का ढिंढोरा पीट रहा है।’
‘भ्रष्टाचार की दलदल में खड़े होकर राजनीति को सिद्धांतवादी बनाने पर तुले’
सामना के संपादकीय में इस बात पर सहमति जताई गई है कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की जवाबदेही होनी चाहिए, लेकिन ऐसे नियम होने चाहिए कि दागी लोग किसी पद तक पहुंच ही न पाएं। लेख में लिखा गया कि ‘किसी भी सरकार को जेल से चलाने की जरूरत नहीं है। अगर कोई ऐसा करता है तो यह जनता के साथ अन्याय होगा। अमित शाह कह रहे हैं कि कोई भी सरकार जेल से नहीं चलनी चाहिए, ये सही है, लेकिन अमित शाह को ये भी समझना चाहिए कि जिन लोगों की जगह जेल है, उन्हें भी सीएम या डिप्टी सीएम का पद नहीं मिलना चाहिए। राजनीतिक भ्रष्टाचार के दलदल में खड़े होकर, ये देश की राजनीति को स्वच्छ और सिद्धांतवादी बनाने पर तुले हैं।’
सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर का किया जिक्र
संपादकीय में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस में गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए लिखा गया है कि शाह ने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा नहीं दिया था बल्कि उनके खिलाफ पुख्ता सबूत थे। संपादकीय के अनुसार, ‘जब अमित शाह गुजरात के गृह मंत्री थे, तो उन्हें सोहराबुद्दीन शेख के फर्जी एनकाउंटर में गिरफ्तार किया गया था। इस दौरान अमित शाह गायब हो गए थे और जेल जाने से पहले उन्होंने इस्तीफा किसी नैतिकता की वजह से नहीं दिया बल्कि उनके खिलाफ पुख्ता सबूत होने की वजह से दिया था।’
लेख में दावा किया गया है कि अमित शाह ने ही सरकार और केंद्रीय एजेंसियों का गलत इस्तेमाल शुरू किया था। सामना के लेख के अनुसार, ‘जब अमित शाह फरार थे तो बाला साहेब ठाकरे और शरद पवार ने उनकी काफी मदद की थी। जिसकी वजह से अमित शाह खुलेआम घूम सके। इसलिए बेहतर होगा कि अमित शाह नैतिकता की बात न करें।’ संपादकीय में भाजपा के हर राज्यों में बनाए गए कथित पांच सितारा कार्यालयों पर भी निशाना साधा गया है और आरोप लगाया गया है कि इलेक्टोरल बॉन्ड्स और जो हजारों करोड़ रुपये भाजपा के खाते में जमा हुए या भाजपा ने उन उद्योगपतियों से वसूले, जिनके खिलाफ जांच एजेंसियां जांच कर रहीं थी। उन्हें बचाने के एवज में पार्टी ने ये रकम वसूली।
प्रधानमंत्री पर भी साधा निशाना
संपादकीय में आरोप लगाया गया है कि प्रधानमंत्री ने देश के हवाई अड्डों और सार्वजनिक संपत्ति को गौतम अदाणी को मुफ्त में दे दिया। संपादकीय में अमित शाह से प्रधानमंत्री के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की गई है और कहा गया है कि अगर ये कार्रवाई नहीं होती है तो फिर नया विधेयक लाने का कोई मतलब नहीं है। सामना के संपादकीय के अनुसार, ‘प्रधानमंत्री के लाड़ले उद्योगपतियों ने जो लूट मचाई है, वह 150 वर्षों में अंग्रेजों और उनसे पहले मुगलों द्वारा की गई लूट से कहीं ज्यादा है।’ इसके बाद लेख में कई ऐसे प्रोजेक्ट का जिक्र किया गया, जहां अदाणी समूह को जमीन दी गई है।
सामना के संपादकीय के अनुसार, ‘महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार भी अदाणी के प्रति उदार है। नवी मुंबई हवाई अड्डे और धारावी पुनर्विकास परियोजना के लिए हजारों हेक्टेयर जमीन अदाणी की जेब में डाल दी गई है। राजस्थान और मध्य प्रदेश की भाजपा सरकारों ने भी विभिन्न परियोजनाओं के तहत अदाणी को हजारों हेक्टेयर जमीन आवंटित की है। अदाणी छत्तीसगढ़ और झारखंड में जंगल काट रहे हैं। अमेरिका में अदाणी के खिलाफ रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के मामले दर्ज हैं। प्रधानमंत्री मोदी अदाणी को बचाने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप से समझौता कर रहे हैं। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ इसी वजह से रोका गया, जिससे देश को नुकसान हुआ। क्या यह देशद्रोह का अपराध नहीं बनता?’
क्या है नया विधेयक
लोकसभा और राज्यसभा ने संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025, केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 को एक संयुक्त समिति को भेजने पर सहमति व्यक्त की है, जिसमें 21 लोकसभा सदस्य और 10 राज्यसभा सदस्य शामिल होंगे, जिन्हें क्रमशः अध्यक्ष और उपसभापति द्वारा नामित किया जाएगा। संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025, भ्रष्टाचार या गंभीर अपराधों के आरोपों का सामना कर रहे और कम से कम 30 दिनों से हिरासत में लिए गए केंद्रीय या राज्य मंत्री को हटाने का प्रावधान करता है। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025, गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तारी या हिरासत में लिए जाने की स्थिति में मुख्यमंत्री या मंत्री को पद से हटाने का भी प्रावधान है।