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पुतिन से क्या मांगेंगे ट्रंप? अलास्का की मीटिंग में हो सकती है बड़ी डील, भर जाएगा अमेरिका का खजाना

रूस-यूक्रेन युद्ध को साढ़े तीन साल हो चुके हैं. 15 अगस्त 2025 को अलास्का में ट्रंप और पुतिन की मुलाकात होगी. ट्रंप युद्धविराम चाहते हैं, लेकिन यूक्रेन को आमंत्रित नहीं किया गया है.

 

रूस-यूक्रेन युद्ध को साढ़े तीन साल से अधिक समय बीत चुका है. इस युद्ध ने लाखों लोगों को बेघर कर दिया, दोनों पक्षों के हजारों सैनिक मारे गए, और अरबों डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ. इस बीच, युद्धविराम की उम्मीद जागी है. 15 अगस्त 2025 को अमेरिका के खूबसूरत अलास्का में डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात होने वाली है. अमेरिका की ओर से इस मीटिंग को लेकर सकारात्मक बयान सामने आए हैं, जो दिखाते हैं कि अमेरिका युद्धविराम के लिए गंभीर है. ट्रंप ने अपने चुनावी अभियान में दावा किया था कि वह सत्ता में आने पर युद्ध को तुरंत खत्म कर देंगे. हालांकि, यह वादा अभी तक पूरा नहीं हुआ, लेकिन इस मीटिंग से उम्मीदें बढ़ी हैं. ट्रंप का कहना है कि वह पुतिन से दो मिनट की बातचीत में ही समझ जाएंगे कि कोई समझौता संभव है या नहीं.

 

ट्रंप का मुख्य लक्ष्य युद्ध को जल्द से जल्द खत्म करना है, भले ही इसके लिए यूक्रेन को कुछ रियायतें देनी पड़ें. उनके बयानों से संकेत मिलता है कि वह यूक्रेन पर जमीन के समझौते के लिए दबाव डाल सकते हैं. ट्रंप ने पहले कहा था कि यूक्रेन को बड़े फैसलों, जैसे क्षेत्रों की अदला-बदली, के लिए तैयार रहना चाहिए. हालांकि, यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने बार-बार दोहराया है कि वह किसी भी क्षेत्रीय रियायत के लिए तैयार नहीं हैं. हैरानी की बात यह है कि इस मीटिंग में यूक्रेन को आमंत्रित नहीं किया गया है, जिससे सवाल उठता है कि क्या ट्रंप और पुतिन बिना यूक्रेन की सहमति के कोई फैसला थोप सकते हैं.

ट्रंप युद्ध क्यों रोकना चाहते हैं?

 

24 फरवरी 2022 को रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के साथ शुरू हुए इस युद्ध में रूस ने यूक्रेन के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है. मीटिंग से पहले रूस ने फिर 10 किलोमीटर अतिरिक्त क्षेत्र पर कब्जा किया और एक लाख से अधिक सैनिक तैनात किए. दूसरी ओर, यूक्रेन को अमेरिका और पश्चिमी देशों से हथियार, धन और कर्ज के रूप में व्यापक सहायता मिली है. ट्रंप और उनकी रिपब्लिकन पार्टी लंबे समय से इस सहायता पर सवाल उठाते रहे हैं, उनका तर्क है कि यह अमेरिकी टैक्सपेयर के पैसे की बर्बादी है. ट्रंप का मानना है कि युद्धविराम से न केवल आर्थिक बोझ कम होगा, बल्कि दुनिया उन्हें शांतिदूत के रूप में देखेगी, जिससे नोबेल शांति पुरस्कार जैसी संभावना भी बन सकती है.

 

रूस और यूक्रेन के बीच तनाव

जेलेंस्की कह चुके हैं कि वह अपनी एक इंच जमीन भी रूस को देने के लिए तैयार नहीं हैं. वहीं ट्रंप का कहना है कि जरूरत पड़ने पर ऐसी डील हो सकती है. ट्रंप हमेशा युद्ध खत्म करके व्यापार की बात करते हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध में भी उन्हें व्यापार दिख रहा है. यूक्रेन के साथ वह पहले ही रेयर अर्थ मिनरल डील कर चुके हैं. वहीं वह रूस से भी ऐसी ही चीजें चाहते हैं, जो युद्ध रोकने के बदले में उन्हें मिल सकती है.
आप यह सोचें कि रूस भला ऐसी डील क्यों करेगा तो जान लीजिए कि इस युद्ध से पुतिन भी परेशान हैं. लगातार उनके लोग मर रहे हैं. सैनिकों की ऐसी कमी है कि वह उत्तर कोरिया समेत दूसरे देशों से भाड़े के सैनिक ला रहे हैं. ऐसे में रूस भी इस युद्ध को खत्म करना चाहता है, लेकिन साथ ही वह यूक्रेन की उस जमीन को भी नहीं छोड़ना चाहता जिस पर उसने कब्जा जमाया हुआ है. जेलेंस्की अपनी कुछ जमीन छोड़ने के लिए तभी तैयार होंगे जब अमेरिका उन पर दबाव बनाएगा और इसके लिए रूस को अमेरिका को कुछ न कुछ ऐसी चीज देने के लिए तैयार होना पड़ेगा जिसे पाकर ट्रंप खुश हो जाएं. 

ट्रंप रूस से क्या मांग सकते हैं?

ट्रंप के लिए वर्तमान में रूस से बड़ा खतरा चीन है, खासकर रेयर अर्थ मिनरल्स के क्षेत्र में, जहां चीन का दबदबा है. ट्रंप चाहते हैं कि अमेरिका इस क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करे. इस साल की शुरुआत में ऐसी खबरें आई थीं कि रूस ने अमेरिका को खनिज निकालने में सहयोग की पेशकश की थी. ट्रंप इस मुलाकात में रूस से आर्कटिक संसाधनों, तेल की कीमतों में कमी लाने में मदद करने और द्विपक्षीय व्यापार समझौतों की मांग कर सकते हैं. क्या ट्रंप और पुतिन इस युद्ध को खत्म करने में सफल होंगे, या यह मीटिंग केवल एक राजनयिक प्रदर्शन बनकर रह जाएगी? यह समय ही बताएगा.

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