Ex Coal Secretary Anil Swarup: देश के पूर्व कोयला सचिव अनिल स्वरूप ने मनमोहन सरकार में कामकाज और पर्यावरण मंत्री रहीं जयंती नटराजन पर सनसनीखेज खुलासा किया है.
नई दिल्ली.
देश के पूर्व कोल सेक्रेट्री अनिल स्वरूप का एक विस्फोटक बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने यूपीए सरकार के दौरान पर्यावरण मंत्री रहीं जयंती नटराजन पर गंभीर आरोप लगाए हैं. वायरल हो रहे एक वीडियो क्लिप में स्वरूप दावा करते नजर आ रहे हैं कि जयंती नटराजन फाइलों की मंजूरी के एवज में रिश्वत ले रही थीं और इस मुद्दे पर उन्होंने कई बार प्रधानमंत्री कार्यालय तक को सूचित किया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
अनिल स्वरूप (जो उस समय कोयला मंत्रालय और बाद में मानव संसाधन मंत्रालय में सचिव जैसे अहम पदों पर रहे) ने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय की फाइलों को जानबूझकर रोका जा रहा था और इससे 54,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं प्रभावित हो रही थीं. उन्होंने बताया कि उन्होंने कैबिनेट सचिव को तीन बार लिखित रूप से इसकी जानकारी दी और आगाह किया कि अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो यह एक और घोटाले का रूप ले सकता है. स्वरूप के मुताबिक, जब जयंती नटराजन फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं कर रही थीं, तब उन्होंने योजना आयोग के तत्कालीन उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया से मिलकर शिकायत की. स्वरूप ने मोंटेक से साफ कहा कि वे बेहद निराश हैं और वापस राज्य कैडर में लौटना चाहते हैं, क्योंकि केंद्र सरकार में काम करने में वे खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं.
मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने क्या कहा था?
मोंटेक सिंह ने तब प्रधानमंत्री से बात करने का आश्वासन दिया और उसी शाम कैबिनेट सचिव ने अनिल स्वरूप से कहा कि प्रधानमंत्री ने उनसे इस विषय पर बात की थी. अगले दिन प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव ने भी स्वरूप से इस विषय में जानकारी मांगी. स्वरूप ने उन्हें बताया कि सारी फाइलें पोर्टल पर मौजूद हैं और 10 मिनट में पूरी जानकारी भेजी जा सकती है. इसके बावजूद, स्वरूप के अनुसार, कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई.
सनसनीखेज दावा
इस वीडियो में स्वरूप यह भी दावा करते हैं कि उन्होंने कांग्रेस नेता ऑस्कर फर्नांडिस से भी इस विषय में चर्चा की थी और बताया था कि ‘मैडम’ (संभवत: सोनिया गांधी का इशारा) के नाम पर पैसे लिए जा रहे हैं. अनिल स्वरूप का यह खुलासा ऐसे समय में सामने आया है जब भ्रष्टाचार और जवाबदेही को लेकर राजनीतिक बहस तेज़ है. यह मामला यूपीए सरकार के कार्यकाल में कथित घोटालों की एक और कड़ी जोड़ता है. फिलहाल कांग्रेस पार्टी या जयंती नटराजन की ओर से इस वीडियो पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. यह स्पष्ट है कि यदि ये आरोप सही हैं तो यह न सिर्फ एक पूर्व मंत्री के खिलाफ गंभीर मामला बनता है बल्कि तत्कालीन प्रधानमंत्री कार्यालय की निष्क्रियता पर भी सवाल खड़े करता है. अब यह देखना बाकी है कि इस पर राजनीतिक दल और जांच एजेंसियां क्या रुख अपनाती हैं.
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