देश
सालों तक सुनवाई के बिना जेल में डाल देते हैं… सुप्रीम कोर्ट ने ED पर उठाए सवाल, फिर SG तुषार मेहता ने दी ये दलील

सुप्रीम कोर्ट ने ED से पूछा कि बिना दोषसिद्धि के सालों तक जेल में रखने का अधिकार किसने दिया? कोर्ट ने कहा- जज किसी नैरेटिव से नहीं, कानून से फैसले करते हैं. पढ़िए सुप्रीम कोर्ट ने क्यों यह टिप्पणी की.
नई दिल्ली
प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्रवाई पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. विपक्ष लगातार सवाल उठाता रहा है कि ED बदले की भावना से कार्य कर रही है. अब सुप्रीम कोर्ट ने भी सुनवाई के दौरान ED से तीखा सवाल किया है. कोर्ट ने ED की कार्यशैली और दोषी ठहराने को लेकर बड़ा सवाल खड़ा किया है. सुप्रीम कोर्ट नवाई के दौरान कहा, “आप उन आरोपियों को भी सालों तक जेल में रखने में सफल रहे हैं, जिन्हें अदालतों ने दोषी नहीं ठहराया.” यह तीखा सवाल चीफ जस्टिस बीआर गवई की विशेष पीठ ने उठाया है.
यह सुनवाई उस फैसले से जुड़ी थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने 2 मई को भूषण पावर एंड स्टील को बंद करने का आदेश दिया था और JSW स्टील की खरीदने की योजना को खारिज कर दिया था. इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ED की भूमिका पर गंभीर सवाल उठे.
ED की कार्रवाई और सवालों के घेरे
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि ED ने अब तक 23,000 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग को पकड़कर पीड़ितों में वितरित किया है. उन्होंने यह भी कहा कि कुछ मामलों में तो इतना ज्यादा कैश मिला कि ED की गिनती करने वाली मशीनें खराब हो गईं.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि ED ने अब तक 23,000 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग को पकड़कर पीड़ितों में वितरित किया है. उन्होंने यह भी कहा कि कुछ मामलों में तो इतना ज्यादा कैश मिला कि ED की गिनती करने वाली मशीनें खराब हो गईं.
लेकिन इन तथ्यों के बीच CJI बीआर गवई ने सीधे सवाल दागा “आपके मामलों में दोषसिद्धि दर क्या है?” इसपर SG ने कहा कि IPC के तहत भी दोषसिद्धि की स्थिति निराशाजनक है, कई बार लोग आश्चर्यचकित होते हैं कि कुछ आरोपी कैसे बरी हो जाते हैं.
इस पर कोर्ट ने कहा, “अगर ED की जांच में आरोपी दोषी नहीं ठहराए जाते, तो भी वे सालों तक विचाराधीन कैदी के रूप में जेल में रहते हैं.”
‘नैरेटिव’ की राजनीति पर सुप्रीम कोर्ट का जवाब
ED ने यह भी शिकायत की कि उसके खिलाफ यूट्यूब चैनलों और मीडिया इंटरव्यू के जरिए एक नकारात्मक ‘नैरेटिव’ गढ़ा जा रहा है. इस पर CJI ने दो टूक कहा, “जज किसी तथाकथित नैरेटिव निर्माण के प्रभाव में आकर मामलों का फैसला नहीं करते.”
ED ने यह भी शिकायत की कि उसके खिलाफ यूट्यूब चैनलों और मीडिया इंटरव्यू के जरिए एक नकारात्मक ‘नैरेटिव’ गढ़ा जा रहा है. इस पर CJI ने दो टूक कहा, “जज किसी तथाकथित नैरेटिव निर्माण के प्रभाव में आकर मामलों का फैसला नहीं करते.”