‘क्रिमिनल लॉ की समझ नहीं, इनको सीनियर जज के साथ ही बैठाएं’, इलाहाबाद HC के जज पर क्यों भड़का सुप्रीम कोर्ट?

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस प्रशांत कुमार को क्रिमिनल लॉ की गलत व्याख्या पर फटकार लगाई. शिखर केमिकल्स बनाम उत्तर प्रदेश केस में सिविल विवाद को क्रिमिनल रंग देने पर नाराजगी जताई.
- सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस प्रशांत कुमार को फटकार लगाई.
- सिविल विवाद को क्रिमिनल रंग देने पर नाराजगी जताई.
- जस्टिस कुमार को क्रिमिनल मामलों से दूर रखने का निर्देश.
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस प्रशांत कुमार को कड़ी फटकार लगाई है. उन्हें टॉप कोर्ट से क्रिमिनल लॉ की गलत व्याख्या को लेकर डांट सुननी पड़ी. मामला एक कारोबारी विवाद से जुड़ा था, जिसमें जज ने टिप्पणी की थी कि सिविल केस में देर लगती है, इसलिए क्रिमिनल केस के जरिए पैसा वसूला जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने इसे चौंकाने वाला तर्क करार दिया.
शिखर केमिकल्स का तर्क था कि यह पूरी तरह सिविल विवाद है, और इसे जबरन क्रिमिनल रंग दिया गया. लेकिन जस्टिस प्रशांत कुमार ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि सिविल केस में सालों लग जाते हैं, इसलिए क्रिमिनल केस को जारी रहने देना न्यायसंगत होगा.
सुप्रीम कोर्ट क्यों नाराज हुआ?
-हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को निर्देश दिया गया कि यह केस किसी और जज को सौंपा जाए.
-जब तक वह सेवा में हैं, उन्हें कोई भी आपराधिक मामला ना सौंपा जाए.
-अब वे केवल सीनियर जज के साथ डिवीजन बेंच में ही बैठें.