क्राइम

शव से रेप, 50 लोगों की ली जान, बहन का बलात्कार, सच बोलने से पहले मांगा अंडे-मांस… कौन था सबसे खतरनाक सीरियल किलर!

रमन राघव ने अपनी सगी बहन समेत 50 लोगों की हत्या की थी. वह महिलाओं की हत्या कर उनके शव के साथ बलात्कार करता था. उसने अपनी बहन तक को नहीं बख्शा था. चलिए आपको बताते हैं इस साइको सीरियल किलर की पूरी कहानी.

 

हाइलाइट्स
  • हत्या कर महिलाओं के शव से करता था रेप
  • 50 लोगों को उतारा मौत के घाट
  • रमन राघव की पूरी कहानी, जान रह जाएंगे हैरान
मुंबई
आपने कभी इंसान के रूप में दरिंदे के बारे में सुना है? अच्छा- रमन राघव के बारे में सुना है? नहीं? अगर नहीं तो आज हम आपको बताएंगे एक ऐसे दरिंदे के बारे में जो आधा इंसान तो आधा दरिंदा था. कहते हैं कि जब तक ये जिंदा था लोगों को मौत से डर लगता था. रमन राघव कोई बड़ा डॉन नहीं था, ना ही कोई बड़ा तस्कर सरगना और न ही कोई गैंगस्टर. ये तो एक सीरियल किलर था, जिसने अकेले 10 या 20 नहीं बल्कि 50 से अधिक लोगों को यमराज के घर भेजा था. चलिए आपको बताते हैं इस दरिंदे की कहानी शुरुआत से. 

1960 का दशक था, रमन एक साधारण सा गरीब आदमी था, जो मुंबई की झुग्गी-झोपड़ियों में रहता था. बचपन से ही वह छोटी-मोटी चोरियां करता, लेकिन जैसे-जैसे वह बड़ा हुआ, उसकी हरकतें खतरनाक होती गईं. कोई नहीं जानता था कि यह साधारण चोर आगे चलकर क्या करने वाला है.
शव से करता रेप…
1960 के दशक में अचानक मुंबई में हत्याओं का सिलसिला शुरू हुआ. एक के बाद एक गरीब महिलाओं की लाशें सड़कों और फुटपाथ पर मिलने लगीं. ये महिलाएं रात में सड़क किनारे या फुटपाथ पर सोती थीं. पुलिस ने जब इन लाशों की जांच की, तो पता चला कि सभी महिलाओं की हत्या के बाद उनके साथ बलात्कार किया गया था. इन हत्याओं का मास्टरमाइंड था रमन राघव. इसके हत्या करने का तरीका भी बेहद डरावना था. वह रात के अंधेरे में सो रही महिलाओं पर धारदार हथियार से हमला करता. एक ही वार में वह उनकी जान ले लेता और फिर उनके मृत शरीर के साथ अपनी हवस पूरी करता.
पुलिस इलाके के बड़े-बड़े अपराधियों को पकड़कर पूछताछ करती, लेकिन रमन राघव उनकी पकड़ से कोसों दूर था. उसकी साधारण शक्ल-सूरत और गरीब जिंदगी की वजह से किसी को शक नहीं हुआ कि वह इतना खतरनाक हो सकता है. लेकिन जैसे-जैसे उसकी हिम्मत बढ़ती गई उसकी हरकतें और खौफनाक होती गईं.
Inside the mind of Raman Raghav, Mumbai's serial killer of the 60s | Bollywood - Hindustan Times
रमन राघव
सगी बहन के साथ किया था बलात्कार
साल 1965 में एक रात फुटपाथ पर सो रहे 19 लोगों पर अचानक हमला हुआ. इस हमले में 9 लोग मारे गए और 10 लोग बुरी तरह घायल हो गए. इस बार कुछ घायल लोग बच गए और उन्होंने पुलिस को रमन राघव का नाम बताया. पुलिस ने उसकी पुरानी फाइलें खंगाली तो पता चला कि रमन पहले डकैती के एक मामले में 5 साल की सजा काट चुका था. लेकिन जो बात पुलिस को हैरान कर गई वह थी उसका पुराना रिकॉर्ड. रमन ने अपनी सगी बहन को भी नहीं बख्शा था. उसने अपनी बहन को गंभीर रूप से घायल करने के बाद उसके साथ भी बलात्कार किया था. 

50 से ज्यादा लोगों की हत्या
पुलिस को जैसे-जैसे रमन के बारे में जानकारी मिली उसकी क्रूरता का अंदाजा लगने लगा। उसने 50 से ज्यादा लोगों की हत्या की थी लेकिन पुलिस के पास उसे सजा दिलाने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं था. उस समय तकनीक की कमी और गवाहों का न होना पुलिस की सबसे बड़ी कमजोरी थी. कई बार रमन को गिरफ्तार किया गया लेकिन कोर्ट में सबूतों के अभाव में उसे छोड़ दिया जाता.
पहली शिकायत
साल 1968 में रमन की हरकतें और खतरनाक हो गईं. 5 जुलाई की रात को वह चोरी करने निकला. उसने एक हार्डवेयर की दुकान से लोहे की रॉड चुराई और उसे हुक जैसा बनवाया. उसी रात उसने मलाड में एक शिक्षक अब्दुल करीम पर हमला कर उसकी हत्या कर दी. रमन ने उसके 262 रुपये, घड़ी, टॉर्च और छाता चुरा लिया. छाता चुराना उसकी अजीब आदत थी. इसके बाद 19 जुलाई को उसने गोरेगांव में 54 साल के एक व्यक्ति की हत्या की और उसका छाता और चूल्हा लेकर फरार हो गया. 11 अगस्त 1968 को रमन ने मलाड में एक दंपति और उनकी तीन महीने की बच्ची की लोहे की रॉड से हत्या कर दी. हत्या के बाद वह मृत महिला के साथ दुष्कर्म कर रहा था तभी एक वृद्ध महिला ने उसे देख लिया. डर के मारे वह वहां से भाग निकला. 

गिरफ्तारी का सिलसिला शुरू
इन हत्याओं ने मुंबई पुलिस को परेशान कर दिया था. तत्कालीन पुलिस कमिश्नर ई.एस. मोदक ने सभी बड़े अधिकारियों की एक आपात बैठक बुलाई. पुलिस ने रमन राघव के पुराने रिकॉर्ड, फोटो और फिंगरप्रिंट सभी थानों में भेजे. पुलिस ने आम लोगों में उसकी तस्वीरें बांटीं. एक महिला मंजू देवी ने उसे पहचान लिया. उसने बताया कि 24 अगस्त 1968 को उसने रमन को देखा था. वह खाकी हाफ पैंट, नीली शर्ट और जूते पहने हुए था. 26 अगस्त 1968 को क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर एलेक्स फियालोह ने रमन को भिंडी बाजार में देखा. उसके कपड़ों और गीले छाते ने इंस्पेक्टर को शक दिलाया. बारिश न होने के बावजूद उसका छाता गीला था. पूछताछ में रमन ने अपना नाम दलवई सिंधी बताया लेकिन इंस्पेक्टर को याद आया कि यह रमन का एक और नाम था. उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया.
सच बताने से पहले कहा- मुर्गा खाऊंगा
पुलिस ने उससे सच उगलवाने की पूरी कोशिश की लेकिन मजाल थी कि वह किसी को कुछ बता दे. गुस्सा और प्रताडित कर के जब उसने कुछ नहीं हुआ तो उंगली तो टेढ़ा किया गया, उससे प्यार और शांति से सच पूछा गया. लेकिन सच बताने से पहले उसने पुलिस के सामने एक शर्त रखी, उसने कहा कि- वह सब सच बताएगा लेकिन उससे पहले उसे दूध, केले और मांसाहारी खाना चाहिए. पुलिस ने उसकी शर्त मान ली. खाना खाने के बाद रमन ने अपनी डायरी और हत्या में इस्तेमाल रॉड पुलिस को सौंप दी. उसकी डायरी में हिंदी और अंग्रेजी में लिखा था- ‘खल्लास, खतम.’ इसके बाद रमन ने 6 नवंबर 1968 को मजिस्ट्रेट आरएम देवरे के सामने 24 हत्याओं का गुनाह कबूल कर लिया.
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हथियार और डायरी, जो रमन ने पुलिस को दी थी…
ऐसे हुई मौत…
जिला सत्र न्यायालय ने रमन को मौत की सजा सुनाई, लेकिन उसके वकील ने हाईकोर्ट में दलील दी कि रमन मानसिक रूप से बीमार है और उसे क्रॉनिक पैरेनाइक सिजोफ्रेनिया है. हाईकोर्ट ने उसकी सजा को उम्रकैद में बदल दिया और उसे पुणे की यरवदा जेल में रखने का आदेश दिया. राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की लेकिन सजा बरकरार रही. साल 1995 में रमन राघव की दोनों किडनियां खराब हो गईं. पुणे के एक अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. इस तरह मुंबई के सबसे खौफनाक हत्यारे की कहानी खत्म हुई लेकिन उसका नाम आज भी लोगों के दिलों में डर पैदा करता है.

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