धर्म
शिव जी के सबसे ताकतवर 5 मंत्र, 2 मिनट लगेंगे, 1 भी कर लेंगे जाप तो साल भर महादेव की कृपा बरसती रहेगी

Shivji 5 Powerful Mantra: सावन का पवित्र महीन 11 जुलाई यानी शुक्रवार से शुरू हो गया है. इस पावन महीने में अगर आप शिवजी की कृपा चाहते हैं तो 5 में से किसी एक मंत्र का जाप रोज कर लें. बाबा भोलेनाथ की साक्षात कृपा होगी.
सावन का यह पावन महीना देवाधिदेव महादेव का प्रिय महीना है. मनुष्य के लिए भोलेनाथ से बढ़कर कोई परमपिता नहीं. सावन के महीने में बाबा भोलेनाथ बेहद खुश रहते हैं और वे अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं. अगर आप बहुत ज्यादा व्यस्त दिनचर्या में रहते हैं, आपके पास समय नहीं है लेकिन परमपिता बाबा भोलेनाथ में आस्था हैं तो इस महीने रोजाना सिर्फ 2 मिनट के लिए शिवजी की अराधना कर लीजिए. रोज स्नान-ध्यान कर पवित्र जगह बाबा भोलेनाथ के पास बैठकर शांति से इन 5 में से किसी एक मंत्र का जाप कर लीजिए. बाबा औघरदानी की कृपा आपपर पूरे साल बरसती रहेगी. बाबा औघरदानी बड़े विशाल हृदय के हैं. वे आपके सारे पापों को भी हर लेंगे. तो देर मत कीजिए जब से आप चाहे बाबा की चरणों में ये मंत्र समर्पित कर दीजिए.
1. पहला मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात ।
Om Tatpurushaay Vidmahe Vidmahe Mahadevaay Deemahi Tanno Rudrah Prachodayat.
इस मंत्र का स्नान-ध्यान करके रोज 108 बार जाप करें. यदि इतना भी संभव नहीं है तो सिर्फ 11 बार शुद्ध मन इस मंत्र का जाप कर लें. सबसे पहले ॐ का अर्थ जान लीजिए. ॐ (Om) यह एक पवित्र ध्वनि है जो ब्रह्मांड की शुरुआत का प्रतीक है. अगर हम ॐ शब्द का उच्चारण करते हैं तो इससे परमपिता परमेश्वर भगवान शिव को आह्वान करते हैं. जहां से इस चराचर जगह की शुरुआत हुई है उस देव का स्मरण करते हैं. अब इस मंत्र का अर्थ जान लीजिए. इस मंत्र का अर्थ है “हे परम पुरुष परमात्मा, हे देवाधिदेव महादेव, हम आपका ध्यान करते हैं, हमें उच्च बुद्धि प्रदान करें. हे भगवान रुद्र हमें प्रकाशित करें.” अगर इस मंत्र का शुद्ध अंतःकरण से जाप किया जाय तो अपने भीतर मौजूद खुशी और दिव्यता की खोज संभव हो पाएगी.
इस मंत्र का स्नान-ध्यान करके रोज 108 बार जाप करें. यदि इतना भी संभव नहीं है तो सिर्फ 11 बार शुद्ध मन इस मंत्र का जाप कर लें. सबसे पहले ॐ का अर्थ जान लीजिए. ॐ (Om) यह एक पवित्र ध्वनि है जो ब्रह्मांड की शुरुआत का प्रतीक है. अगर हम ॐ शब्द का उच्चारण करते हैं तो इससे परमपिता परमेश्वर भगवान शिव को आह्वान करते हैं. जहां से इस चराचर जगह की शुरुआत हुई है उस देव का स्मरण करते हैं. अब इस मंत्र का अर्थ जान लीजिए. इस मंत्र का अर्थ है “हे परम पुरुष परमात्मा, हे देवाधिदेव महादेव, हम आपका ध्यान करते हैं, हमें उच्च बुद्धि प्रदान करें. हे भगवान रुद्र हमें प्रकाशित करें.” अगर इस मंत्र का शुद्ध अंतःकरण से जाप किया जाय तो अपने भीतर मौजूद खुशी और दिव्यता की खोज संभव हो पाएगी.
2. दूसरा मंत्र
“मृत्युञ्जयाय रुद्राय नीलकन्ताय शंभवे
अमृतेषाय सर्वाय महादेवाय ते नमः”
Mrutyunjayaaya Rudraaya Neelakantaya Shambhave
Amriteshaaya Sarvaaya Mahadevaaya Te Namaha
Amriteshaaya Sarvaaya Mahadevaaya Te Namaha
अर्थ- हे देवाधिदेव भगवान शिव, आपने मृत्यु पर विजय प्राप्त की है.आप महामृत्युंजय हैं. आप रुद्र यानी विनाशक भी हैं. आप नीलकंठ यानी नीली गर्दन वाले हैं. हे शंभू आप सबका कल्यान करने वाले हैं. आप अमृतेश हैं यानी अमृत के स्वामी है. आप ही नाग धारण करने वाले हैं. आप महादेव हैं. आपको कोटि-कोटि प्रणाम है. इस मंत्र का 108 बार या 11 बार जाप करें. भगवान की साक्षात कृपा आपपर बरसेगी. आपकी आंतरिक क्षमता और शक्ति को बढ़ाएगी.
3. तीसरा मंत्र
करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं वा श्रवणनयनजं वा मानसंवापराधं ।
विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥
विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥
Karcharankritam Vaa Kaayjam Karmjam Vaa Shravannayanjam Vaa Maansam Vaa Paradham
Vihitam Vihitam Vaa Sarv Metat Kshamasva Jay Jay Karunaabdhe Shree Mahadev Shambho
Vihitam Vihitam Vaa Sarv Metat Kshamasva Jay Jay Karunaabdhe Shree Mahadev Shambho
अगर आप संस्कृत उच्चारण में थोड़ा ठीक हैं तो इस मंत्र का जाप कीजिए. यदि संभव हो तो 108 बार कीजिए, नहीं तो 11 बार कीजिए. इस मंत्र का अर्थ है-हे करुणा के सागर, कर यानी हाथों द्वारा, चरणों द्वारा, वाणी और शरीर से किया हुआ, कर्मजं यानी कर्म से किया हुआ, श्रवण और नेत्रों से किया हुआ और मन से किया हुआ जाने अनजाने में हम हजारों पाप करते हैं. हे देवाधिदेव महादेव आप करुणा के सागर हैं, इसलिए इन सब अपराधों को क्षमा करें. हे भोलेनाथ मुझपर कृपा करें. इस मंत्र के उच्चारण से देवीय कंपण होती है जो मनःस्थिति से नकारात्मक और बुरी शक्तियों को दूर करती है. इससे भय, दुख और रोग का नाश होता है. यह मनुष्य के लिए सुरक्षा कवच है.
4. तीसरा मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्
Om Tryambakam Yajamahe Sugandhim Pushti-Vardhanam
Urvarukamiva Bandhanan Mrityormukshiya Mamritat
Urvarukamiva Bandhanan Mrityormukshiya Mamritat
कदाचित यह मंत्र अधिकांश को आता ही होगा. आप इस मंत्र का जाप 108 बार करें. यदि इतना संभव नहीं है तो 11 बार इस मास में रोज करें. इस मंत्र का अर्थ है- हम महाप्रभु तीन नेत्रों वाले भगवान शिव की पूजा करते हैं जो सुगंधित हैं, जो इस चराचर जगत के प्राणियों का पालन पोषण करते हैं. हे महादेव जिस पका हुआ ककड़ी का फल अपने शाखा के बंधन से मुक्त हो जाता है, वैसे ही हम भी मृत्यु और नश्वरता से मुक्त करें. इस मंत्र में बहुत शक्ति है. इससे अकालमृत्यु नहीं होती. यह बेहद पावरफुल मंत्र है.
5. पांचवा मंत्र
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम् ।
ऊँ नमः शिवाय
अगर आपके पास बिल्कुल भी समय नहीं है तो सिर्फ इसी मंत्र का जाप कर लें. बहुत समय लगता है तो आप रोज शुद्ध अंतःकरण से ऊँ नमः शिवाय| का 108 बार जाप करें. इसके साथ ही कर्पूरगौरं का जाप करें. यह मंत्र सबको आता ही होगा.
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम् ।
सदावसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि ॥