सुप्रीम कोर्ट के एक जज ऐसे भी, ना कोई फेयरवेल ना ताम-झाम, रिटायर होते ही खाली किया बंगला और चल पड़े गांव

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टीस डीवाई चंद्रचूड़ रिटायरमेंट के बाद सरकारी बंगला खाली ना करने पर चर्चा में हैं. मगर, सुप्रीम कोर्ट के एक ऐसे भी जज हैं, जिन्होंने रिटायरमेंट के अगले ही दिन सरकारी बंगला खाली कर अपने गांव चल दिए थे. उनका नाम है जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर.
- जस्टिस चेलमेश्वर ने रिटायर होते ही सरकारी बंगला खाली किया.
- उन्होंने बिना ताम-झाम के अपने गांव जाने का फैसला किया.
- सुप्रीम कोर्ट में कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे.
सरकारी पदों पर आसीन उच्च पदों पर आसीन व्यक्तियों चाहे सरकारी अफसर हों या कोई मंत्री…. सरकारी बंगले के इतने आदि हो चुके होते हैं कि कार्यकाल समाप्त होने के बाद उनका मोह खत्म नहीं होता है. महीनों-सालों तक उसी में डेरा जमाए हुए रहते हैं. कभी-कभी तो लंबे समय तक सरकारी नोटिस को दरकिनार करते रहते हैं, जब तक कड़ाई से उनसे बंगला खाली ना करवाया जाए. ऐसे नेताओं और सरकारी अफसरों की लिस्ट काफी लंबी है. मगर, चर्चा में हैं सुप्रीम कोर्ट के पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़. वह बीते साल 10 नवंबर 2024 को रिटायर हुए थे, मगर वह अभी तक उन्होंने सरकारी बंगला खाली नहीं किया था. सुप्रीम कोर्ट द्वारा सरकार के लिखे लेटर के बाद बवाल मचा हुआ है. मगर, हम इस विवाद पर बात नहीं करेंगे. हम एक सुप्रीम कोर्ट के एक ऐसे ही जज की बात करेंगे, जिन्होंने रिटायर होते ही अपना सरकारी बंगला खाली किए और बिना किसी तामझाम के अपने गांव चल दिए. दरअसल, हम बात कर रहे हैं- जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर की. वह 22 जून 2018 को रिटायर हुए थे. आइए, उनकी कहानी पर नजर डालते हैं.
कोई पद नहीं चाहिए
सुप्रीम कोर्ट के गंभीर मुद्दों पर उठा चुके हैं सवाल
उनके कार्यकाल की सबसे चर्चित घटना वह ऐतिहासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस थी. 12 जनवरी 2018 को उनके आवास पर आयोजित की गई थी. इसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के तीन अन्य जस्टिसों के साथ मिलकर देश की सर्वोच्च अदालत में व्याप्त गंभीर मुद्दों को उजागर किया था. उन्होंने चीफ जस्टिस को लिखे एक पत्र को सार्वजनिक किया था, जिसमें मामलों के आवंटन (Master of Roster) को लेकर पारदर्शिता की कमी की ओर इशारा किया गया था.
18 मई को उनका अंतिम कार्यकाल था. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में मुख्य जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के साथ बेंच में बैठकर मामलों की सुनवाई की थी. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से दी जाने वाली पारंपरिक विदाई लेने से इनकार कर दिया था. ऐसा उन्होंने गुवाहाटी और केरल हाईकोर्ट में भी किया था. उनके इस फैसले ने फिर से एक चर्चा को जन्म दिया. अपने विदाई पर उन्होंने बार के सदस्यों की सराहना की. उन्होंने सभी लोगों से माफी मांगी. वह दोनों हाथ जोड़कर सुप्रीम कोर्ट से विदाई ली और लोगों से माफी मांगते हुए कहा यदि किसी को आहत किया हो तो क्षमा चाहते हैं.