राजस्थान

Public Opinion: वुमेन सेफ्टी हो प्राथमिकता, थाने में चाहिए सही व्यवहार…नए DGP से लोगों की उम्मीदें

Public Opinion: राजस्थान के नए पुलिस महानिदेशक राजीव शर्मा ने पदभार संभालते ही जनता की बड़ी उम्मीदें जगाई हैं. आम लोग चाहते हैं कि पुलिस प्रशासन सख्त, संवेदनशील और जवाबदेह बने। महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस करना चाहती हैं.

 

हाइलाइट्स
  • राजीव शर्मा ने राजस्थान के नए DGP का कार्यभार संभाला
  • जनता को कानून व्यवस्था में सुधार की उम्मीद
  • महिला सुरक्षा और साइबर क्राइम पर सख्त कदम उठाने की अपेक्षा
जोधपुर.
राजस्थान के नए पुलिस महानिदेशक (DGP) के रूप में राजीव शर्मा ने गुरुवार को कार्यभार संभाल लिया है. राज्य में मौजूदा कानून व्यवस्था को देखते हुए आम जनता, विशेषकर महिलाएं, बुजुर्ग और युवा वर्ग, उनसे बड़ी उम्मीदें लगाए हुए हैं. कानून व्यवस्था को लेकर आमजन लंबे समय से बदलाव की अपेक्षा कर रहे हैं. ऐसे में नए पुलिस महानिदेशक राजीव शर्मा से जनता को नई ऊर्जा और सख्त प्रशासनिक रवैये की उम्मीद है. 

विशेषकर महिलाएं और वरिष्ठ नागरिक चाहते हैं कि थानों में उनकी शिकायतों पर तुरंत और संवेदनशीलता से कार्रवाई हो. युवाओं का मानना है कि साइबर अपराध, नशा तस्करी और सड़क सुरक्षा जैसे मुद्दों पर ठोस कदम उठाए जाएं. लोगों को विश्वास है कि नए डीजीपी राजीव शर्मा के नेतृत्व में पुलिस व्यवस्था और जनसुनवाई में पारदर्शिता आएगी, जिससे अपराधियों में भय और जनता में विश्वास बढ़ेगा.
साइबर क्राइम पर अंकुश और गरीबों की सुनवाई हो
मनोज विश्नोई ने कहा कि आज के दौर में लगातार बढ़ते साइबर क्राइम आम लोगों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन चुके हैं. खासतौर पर गरीब तबका इस डिजिटल ठगी का सबसे बड़ा शिकार बन रहा है. ये लोग न केवल आर्थिक रूप से नुकसान झेल रहे हैं, बल्कि न्याय की प्रक्रिया में भी उन्हें अक्सर अनसुना कर दिया जाता है. हमारी अपेक्षा यही है कि इन साइबर अपराधों पर सख्त अंकुश लगाया जाए. सिर्फ साइबर ठगी ही नहीं, बल्कि जो छोटे-मोटे अपराध दिन-प्रतिदिन हो रहे हैं, उन पर भी सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.
महिला सुरक्षा बने प्राथमिकता
निरूपा पटवा ने कहा कि महिलाएं अक्सर बाजार या काम पर जाते समय खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं. चैन स्नैचिंग और छेड़छाड़ की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. नए DGP को महिला सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए, ताकि हम बेझिझक बाहर जा सकें.
पुलिस थानों में हो संवेदनशील व्यवहार
युवा पिंटू सरस्वत ने बताया कि घरेलू महिलाओं की सुरक्षा व सुनवाई सुनिश्चित की जाए. कई बार वे डर के कारण थाने नहीं पहुंच पातीं और वहां उन्हें सही व्यवहार नहीं मिलता. सभी थानों में सरल स्वभाव के साथ कड़ी सुरक्षा व्यवस्था हो. स्कूल-कॉलेजों के आसपास कालिका टीम की संख्या बढ़ाई जाए ताकि बालिकाएं सुरक्षित महसूस करें. 

धमकी देकर खुदखुशी नोट या मानसिक प्रताड़ना पर करने वालों पर सख्त कार्यवाही हो. यह साइबर ठगी से भी अधिक खतरनाक है, क्योंकि किसी का भी नाम लेकर झूठे आरोप लगाए जाते हैं, जिससे आम आदमी का विश्वास टूटता है. सभी थानों में बुजुर्गों की प्राथमिक सुनवाई हो, उन्हें भटकना न पड़े. आम नागरिक डर के कारण रिपोर्ट नहीं करते क्योंकि संतरी और सिपाही उन्हें बाहर से ही भगा देते हैं. थाना प्रभारी या अधिकारी तक पहुंच पाना मुश्किल होता है.

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