‘नए आपराधिक कानूनों से न्याय प्रशासन में केवल भ्रम पैदा हुआ’,: पी. चिदंबरम

‘नए आपराधिक कानूनों से न्याय प्रशासन में केवल भ्रम पैदा हुआ’, पी. चिदंबरम का अमित शाह पर पलटवार…..
अमित शाह ने नए आपराधिक कानूनों (भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम) के एक साल पूरे होने पर भारत मंडपम में आयोजित कार्यक्रम में कहा था कि नए कानून में 90 दिन में जांच, चार्जशीट और फैसले की समयसीमा तय की गई है, जिससे लोगों में ‘एफआईआर से तुरंत न्याय’ मिलेगा, ऐसा विश्वास बढ़ेगा।
नई दिल्ली
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने नए आपराधिक कानूनों को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने इन कानूनों को लागू करने को ‘कट एंड पेस्ट’ एक्सरसाइज बताया। चिदंबरम ने कहा कि तीन नये आपराधिक कानूनों को लागू करना व्यर्थ का काम है। इनसे न्यायाधीशों, वकीलों और पुलिस के बीच न्याय प्रशासन में केवल भ्रम की स्थिति पैदा हुई है।
पी चिदंबरम ने यह बयान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा नए आपराधिक कानूनों के एक साल पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में इन्हें स्वतंत्र भारत में सबसे बड़ा सुधार करार दिए जाने पर दिया है। बीते दिन, राजधानी दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था कि नए आपराधिक कानूनों से न्यायिक प्रक्रिया न केवल सस्ती और सुलभ होगी, बल्कि सरल, समयबद्ध और पारदर्शी भी होगी।
चिदंबरम ने आपराधिक कानूनों को लेकर कसा तंज
सरकार पर निशाना साधते हुए चिदंबरम ने कहा कि सरकार ने बार-बार दावा किया है कि तीन आपराधिक कानून विधेयक, जो अब अधिनियम बन चुके हैं, आजादी के बाद के सबसे बड़े सुधार हैं, लेकिन यह सच से बहुत दूर है। उन्होंने कहा कि मैंने तीनों विधेयकों की जांच करने वाली संसदीय स्थायी समिति को अपना असहमति नोट भेजा था। इतना ही नहीं यह संसद में पेश की गई रिपोर्ट में भी शामिल है। अपने असहमति नोट में आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धाराओं की तुलना संबंधित नए विधेयक से करने के बाद, मैंने कहा था कि यह केवल कट-पेस्ट एक्सरसाइज है। नए विधेयक में आईपीसी का 90-95%, सीआरपीसी का 95% और साक्ष्य अधिनियम का 99% हिस्सा काट-छांट कर शामिल किया गया है।
क्या बोले थे अमित शाह
अमित शाह ने नए आपराधिक कानूनों (भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम) के एक साल पूरे होने पर भारत मंडपम में आयोजित कार्यक्रम में कहा था कि नए कानून में 90 दिन में जांच, चार्जशीट और फैसले की समयसीमा तय की गई है, जिससे लोगों में ‘एफआईआर से तुरंत न्याय’ मिलेगा, ऐसा विश्वास बढ़ेगा। गृह मंत्री ने कहा कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के लिए अलग अध्याय बनाया गया है और आतंकवाद व संगठित अपराध पर सख्त सजा का प्रावधान है। नए कानून का 14.80 लाख पुलिसकर्मियों, 42 हजार जेल कर्मियों और 19 हजार जजों को प्रशिक्षण दिया गया। उन्होंने कहा कि 160 बैठकों और 89 देशों की न्याय प्रणालियों के अध्ययन के बाद इन कानूनों को तैयार किया गया। उन्होंने जोर दिया था कि जनता को अपने अधिकारों की जानकारी जरूरी है, ताकि ये कानून आजादी का सबसे बड़ा सुधार बने।
गौरतलब है कि बीते साल एक जुलाई को तीनों नए आपराधिक कानून लागू हुए थे। बीएनएस, बीएनएसएस और बीएसए ने भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली थी।