उत्तरप्रदेश

बिल्कुल अहमदाबाद जैसा मामला, प्लेन का फ्यूल सिस्टम हुआ फेल, गोरखपुर पर गिरने वाला था विमान, फिर पायलट ने…

Both engines of plane failed and then…2500 फीट की ऊंचाई पर प्‍लेन का दाहिना इंजन भी बंद चुका था. अब प्‍लेन किसी कटी पतंग की तरफ आबादी की तरफ बढ़ रहा था. विंग कमांडर वर्नन ने प्‍लेन और आबादी को बचाने के लिए बड़ा निर्णय‍ लिया, इसके बाद…

 

हाइलाइट्स
  • विंग कमांडर वर्नन ने गोरखपुर में विमान दुर्घटना टाली.
  • विंग कमांडर वर्नन को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया.
  • विंग कमांडर वर्नन ने तकनीकी ज्ञान से विमान को सुरक्षित उतारा.
Plane Crash
 अहमदाबाद में एयर इंडिया के बोइंग 787 ड्रीमलाइनर क्रैश को लेकर एयर लॉक की नई थ्‍योरी आई है. इस थ्‍योरी के तहत, प्‍लेन की फ्यूल लाइन में हवा के बुलबुले आने की वजह से इंजन और हाइड्रॉलिक सिस्‍टम में फ्यूल का फ्लो रुक गया. नतीजतन इंजन को पॉवर और प्‍लेन को थ्रस्‍ट नहीं मिला. देखते ही देखते यह प्‍लेन कुछ ही सेकेंडों में क्रैश हो गया और 241 पैसेंजर्स और क्रू-मेंबर्स की जान चली गई. बिल्‍कुल इसी थ्‍योरी पर एक घटना गोरखपुर में हुई, लेकिन इसके अंजाम अहमदाबाद एयरक्रैश से अलग था.
दरअसल, यह घटना 24 जुलाई 2023 की है. भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर वर्नन डेसमंड कीन उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के ऊपर एक रूटीन सिस्टम चेक उड़ान पर थे. उनका जैगुआर फाइटर प्‍लेन करीब 24 हजार फीट की ऊंचाई पर था. तभी अचानक उन्हें कॉकपिट में एक नहीं, बल्कि दो खतरनाक अलर्ट मिले—ऑयल सिस्टम-1 और ऑयल सिस्टम-2 फेलियर. यह टेक्निकल फॉल्‍ट बेहद दुर्लभ और खतरनाक था. विंग कमांडर वर्नन को अब तक अहसास हो चुका था कि प्‍लेन के दोनों इंजन उनका साथ छोड़ने वाले हैं.
2500 फीट की ऊंचाई पर फेल हो गया दाहिना इंजन
प्‍लेन के दोनों इंजन पूरी तरह से खराब होते, इससे पहले विंग कमांडर वर्नन ने एक खतरनाक फैसला किया. फैसले के तहत, उन्‍होंने विमान के बाएं इंजन को बंद कर दिया, जिससे उसे किसी भी तरह से बचाया जा सके. इसके बाद, उन्‍होंने दाएं इंजन से नजदीकी एयरबेस की तरफ बढ़ना शुरू कर दिया. प्‍लेन करीब 2500 फीट की ऊंचाई पर पहुंचा ही था, तभी दाहिना इंजन भी फेल हो गया. अब प्‍लेन पूरी तरह बिना पावर के हवा में था. वह किसी कटी पतंग की तरह लहराता हुआ गोरखपुर की एक घनी आबादी की तरफ बढ़ रहा था.
अब विंग कमांडर वर्नन के पास दो विकल्‍प थे. पहला- वह प्‍लेन से इजेक्‍ट होकर खुद की जान बचा लें और प्‍लेन को आबादी इलाके में क्रैश होने के लिए छोड़ दें. दूसरा- अपनी जान को खतरे में डालकर प्‍लेन और आबादी को बचाने की कोशिश करें. विंग कमांडर वर्नन ने आखिर में खुद की जान की परवाह न करते हुए प्‍लेन और आबादी को बचाने का फैसला किया. इसके बाद, उन्‍होंने प्‍लेन में मौजूद ज्‍यादातर फ्यूल को हवा में इजेक्‍ट कर दिया, ताकि जमीन पर आग लगने या धमाके का खतरा कम हो.
विंग कमांडर वर्नन के सामने बची थी आखिरी उम्‍मीद
विंग कमांडर वर्नन के सामने आखिरी उम्मीद थी कि बंद हो चुके बाएं इंजन को दोबारा चालू किया जाए. यह किसी चमत्कार से कम नहीं था. लेकिन विंग कमांडर वर्नन ने तकनीकी जानकारी, प्रशिक्षण और संकल्प से वो कर दिखाया जो असंभव माना जाता है. बायां इंजन दोबारा शुरू हो गया. इसके बाद उन्होंने कंट्रोल्‍ड सिंगल इंजन लैंडिंग करवाई और प्‍लेन को सुरक्षित अपने एयरबेस पर उतार लिया. विंग कमांडर वर्नन की इस सूझबूझ से प्‍लेन भी बच गया और शहर भी के मासूम लोग भी.
इस अद्वितीय साहस और सूझबूझ के लिए 2025 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया. यह भारत का तीसरा सबसे बड़ा शांति कालीन वीरता पुरस्कार है. इससे पहले भी विंग कमांडर वर्नन को 2017 में वायु सेवा पदक मिल चुका है, जब उन्होंने जामनगर में एक डबल इंजन फायर की स्थिति को संभाला था.

डोनेट करें - जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर क्राइम कैप न्यूज़ को डोनेट करें.
 
Show More

Related Articles

Back to top button