भारत में शादी के लिए कानूनी उम्रसीमा तय की गई है, ताकि बच्चों को पढ़ने-लिखने के साथ ही शारीरिक विकास करने का पूरा मौका मिल सके. सख्त कानून के बाद भी नाबालिग की शादी करने का मामला सामने आता रहता है.
नई दिल्ली.
देश में बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए संविधान और कानून में कई तरह के प्रावधान किए गए हैं. इन प्रावधानों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रावधान किया गया है. इसके बावजूद बच्चों और नाबालिगों की आजादी के साथ ही उनके अधिकारों के कुचलने की अक्सर की कोशिश की जाती है. कई मामले कानून की नजर में आ जाते हैं तो कई की रिपोर्ट तक सामने नहीं आती है. जो मामले दुनिया की नजरों में आ जाते हैं तो उनपर एक्शन भी लिया जाता है. सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक ऐसा ही मामला सामने आया. शीर्ष अदालत ने इसपर सुनवाई करते हुए अहम निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को पीड़ित नाबालिग को पूरी सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश दिया है.
यह कहानी बिहार की राजधानी पटना की एक नाबालिग दुल्हन की है. माता-पिता ने उसकी 16 साल की उम्र में शादी कर दी थी. कानून के नजर में तो यह अपराध है ही नैतिकता के आधार पर भी गलत कदम है. बहरहाल, कच्ची उम्र में दुल्हन बनने वाली नाबालिग किशोरी आगे पढ़ना चाहती थी, लेकिन उनके ससुरालवाले इसके लिए तैयार नहीं थे. वह किशोरी की पढ़ाई के आड़े आने लगे थे. इसके बाद नाबालिग बहू ने एक दिन बड़ा फैसला किया. वह एक लड़के के साथ घर से फरार हो गई. अब वही नाबालिग किशोरी बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश से होते हुए अब सुप्रीम कोर्ट पहुंची है. दूसरी तरफ उसके लापता होने की बातें कही जाने लगी थीं.
जानकारी के अनुसार, मूल रूप से बिहार के पटना जिला की रहने वाली नाबालिग लड़की की मात्र 16 साल में ही करीब 36 साल के शख्स से शादी करवा दी गई. किशोरी का पति कॉन्ट्रैक्ट यानी ठेकेदार था. सबकुछ ठीकठाक चल रहा था. समस्या तब पैदा हुई जब लड़की ने आगे पढ़ने की इच्छा जता दी. ससुरालवाले इसके सख्त खिलाफ थे. ससुरालवाले नहीं चाहते थे कि वो आगे की पढ़ाई करे. पीड़िता का कहना है कि ससुरालवाले चाहते हैं कि वो घर परिवार संभाले. लेकिन, मौका देखते ही नाबालिग शादीशुदा लड़की अपने घर से एक साथी लड़के साथ फरार हो गई. बताया जाता है कि लड़की का ससुराल पक्ष काफी शक्तिशाली है. ऐसे में उसकी ओर से उस लड़की के दोस्त के परिजनों के खिलाफ मामला दर्ज करवाकर उसके पिता को गिरफ्तार करवा दिया गया. अब पीड़िता नाबालिग लड़की फिलहाल दिल्ली में है.
सुप्रीम कोर्ट का सख्त आदेश
डरी-सहमी नाबालिग सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई. शीर्ष अदालत ने इस मामले में आज यानी 18 जून 2025 को सुनवाई की. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस और बिहार सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि इस मामले में 15 जुलाई को वे स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें. साथ ही दिल्ली पुलिस को उस नाबालिग लड़की और उसके दोस्त की सुरक्षा-व्यवस्था को पुख्ता करने का आदेश दिया है.
ये है पूरा मामला
16 साल 6 महीने की नाबालिग लड़की ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि उनकी जबरन शादी करा दी गई. साथ ही शादी को बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत रद करने की मांग की गई. याचिका में कहा गया है कि लड़की की शादी जबरन 36 साल के व्यक्ति से कराई गई, जबकि वह अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती थी. ससुराल में उसे शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना दी गई. लड़की की मां ने 4 अप्रैल 2025 को पटना के पिपलावा थाना में एफआईआर संख्या 59/25 दर्ज कराई, जिसमें लड़की के दोस्त और उसके परिवार पर अपहरण का आरोप लगाया गया, ताकि लड़की को वापस ससुराल भेजा जा सके. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से खुद और अपने दोस्त और उनके उसके परिवार की सुरक्षा की मांग की थी. याचिका में संविधान के अनुच्छेद 32 और 142 का हवाला देते हुए कोर्ट से अनुरोध किया गया कि कोर्ट उसके हित में हस्तक्षेप कर जबरन हुए इस बाल विवाह को अवैध घोषित करे और उसके मौलिक अधिकारों की रक्षा करे.
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