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‘मैं 18 साल से जज, लेकिन…’ हाईकोर्ट ने दिया ऐसा ऑर्डर, सीधा सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए पुलिस अफसर, जज भी हैरान

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के एडीजीपी एचएम जयाराम के निलंबन और गिरफ्तारी के मद्रास हाईकोर्ट के आदेश पर हैरानी जताई. कोर्ट ने इसे ‘हतोत्साहित करने वाला’ बताया.
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के निलंबन और गिरफ्तारी के मद्रास हाईकोर्ट के आदेश पर हैरानी जताई. कोर्ट ने इसे ‘हतोत्साहित करने वाला’ बताया. जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और जस्टिस मनमोहन की पीठ बुधवार को इस मामले में एडीजीपी एचएम जयाराम की तरफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें अधिकारी को निलंबित करने और गिरफ्तार करने के निर्देश दिए गए थे.
मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस भुइयां ने सवाल किया, ‘वह एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी हैं. जब वह जांच में शामिल हो चुके हैं, तो उन्हें निलंबित करने का क्या औचित्य है.’ उन्होंने राज्य सरकार के वकील से कहा कि यह आदेश बेहद निराशाजनक है और ऐसे कदम नहीं उठाए जाने चाहिए. उन्होंने राज्य पक्ष से निलंबन आदेश को वापस लेने के लिए निर्देश प्राप्त करने को कहा.
इस बीच, अदालत को बताया गया कि संबंधित अधिकारी को 24 घंटे के लिए हिरासत में रखा गया था. इस पर नाराज़गी जताते हुए जस्टिस भुइयां ने कहा कि ऐसे आदेश वास्तव में चौंकाने वाले हैं. जस्टिस मनमोहन ने भी हैरानी जताते हुए कहा, ‘मैं 18 साल से जज हूं, लेकिन मुझे कभी यह नहीं पता था कि मेरे पास गिरफ्तारी का निर्देश देने का ऐसा अधिकार है.’
दरअसल, मामला एक अपहरण से जुड़ा है, जिसमें तमिलनाडु के एडीजीपी (आर्म्ड पुलिस) एचएम जयाराम को मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के बाद सोमवार को गिरफ्तार किया गया था. 16 जून को जस्टिस पी वेलमुरुगन ने एक सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से पुलिस को एडीजीपी को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया था. यह आदेश उस समय दिया गया जब कोर्ट एमएलए एम जगनमूर्ति की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिन्होंने इस मामले में गिरफ्तारी की आशंका जताई थी.