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‘जज शेखर यादव को बचा रही सरकार’, महाभियोग नोटिस पर निष्क्रियता को लेकर सिब्बल ने धनखड़ की आलोचना

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शेखर यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर कार्रवाई में देरी को लेकर वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने राज्यसभा सभापति की मंशा पर सवाल उठाए और सरकार पर जज को बचाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि एक जज पर आंतरिक जांच रोकी गई जबकि दूसरे पर बिना महाभियोग के कार्रवाई की जा रही है, जो असांविधानिक है।

नई दिल्ली

राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने मंगलवार को सवाल उठाया कि सभापति जगदीप धनखड़ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस शेखर कुमार यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के नोटिस पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार उस जज को बचाने की कोशिश कर रही है, जिसने पिछले साल पूरी तरह से सांप्रदायिक टिप्पणी की थी।

वरिष्ठ वकील सिब्बल ने कहा कि पूरी घटना से भेदभाव की बू आ रही है, क्योंकि एक तरफ राज्यसभा सचिवालय ने चीफ जस्टिस (सीजेआई) को यादव के खिलाफ आंतरिक जांच न करने के लिए पत्र लिखा था, क्योंकि उनके खिलाफ संसद के उच्च सदन में एक याचिका लंबित थी। जबकि जस्टिस यशवंत वर्मा के मामले में ऐसा नहीं किया गया।

सिब्बल ने यह भी कहा कि अगर सरकार बिना महाभियोग के वर्मा को उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक जांच का हवाला देते हुए हटाने की कोशिश करती है, जैसा कि कुछ रिपोर्ट में दावा किया गया है, तो यह असांविधानिक होगा और न्यायिक आजादी को खतरे में डालने पर इसका कड़ा विरोध किया जाएगा। मार्च के महीने में राष्ट्रीय राजधानी में वर्मा के घर पर आगजनी की घटना हुई थी। तब वह दिल्ली हाईकोर्ट के जज थे। आगजनी की घटना के दौरान उनके घर से नोटों की कई जली हुई बोरियां बरामद की गई थीं।

जस्टिस यादव के मामले में पर सिब्बल ने कहा, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और जब सांविधानिक पद पर बैठा व्यक्ति छह महीने में सांविधानिक दायित्वों को पूरा नहीं करता है, तो सवाल उठना स्वाभाविक है। सिब्बल ने यहां एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, हमने 13 दिसंबर 2024 को राज्यसभा के सभापति को महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस दिया था। इस पर 55 सांसदों के हस्ताक्षर थे। छह महीने बीत गए, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया।

उन्होंने कहा, मैं सांविधानिक पदों पर बैठे लोगों से पूछना चाहता हूं कि उनकी जिम्मेदारी केवल यह जांच करने की है कि हस्ताक्षर हैं या नहीं, क्या इसमें छह महीने लगने चाहिए? एक और सवाल यह उठता हैकि क्या यह सरकार शेखर यादव को बचाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के निर्देश पर यादव ने हाईकोर्ट में परिसर में भाषण दिया था और फिर मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा, जिसने कार्रवाई की। सिब्बल ने कहा, यादव से दिल्ली में पूछताछ की गई। इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से भी रिपोर्ट मांगी गई। मैंने सुना है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने नकारात्मक रिपोर्ट दी और इस बीच 13 फरवरी 2025 को अध्यक्ष ने कहा कि इस मामले को सांविधानिक तरीके से देखा जाना चाहिए और संसद इसे आगे बढ़ा सकती है।

 

 

 

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