‘सहमति से बने रिश्ते में खटास आपराधिक मामले का आधार नहीं’; सुप्रीम कोर्ट

पीठ ने कहा, शीर्ष अदालत ने बार-बार प्रावधानों के दुरुपयोग के खिलाफ चेतावनी दी है। शादी करने के हर वादे के उल्लंघन को झूठा वादा मानना और दुष्कर्म के अपराध के लिए किसी व्यक्ति पर मुकदमा चलाना ‘मूर्खता’ करार दिया है।
नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सहमति से बने रिश्ते में खटास आना या पार्टनर का दूर होना आपराधिक तंत्र को लागू करने का आधार नहीं हो सकता। इस तरह का आचरण न सिर्फ अदालतों पर बोझ डालता है बल्कि आरोपी की पहचान को भी धूमिल करता है। शीर्ष अदालत ने जुलाई 2023 में महाराष्ट्र में एक व्यक्ति के खिलाफ शादी का झूठा आश्वासन देकर एक महिला से दुष्कर्म के आपराधिक मामले को खारिज कर दिया।
पीठ ने कहा, शीर्ष अदालत ने बार-बार प्रावधानों के दुरुपयोग के खिलाफ चेतावनी दी है। शादी करने के हर वादे के उल्लंघन को झूठा वादा मानना और दुष्कर्म के अपराध के लिए किसी व्यक्ति पर मुकदमा चलाना ‘मूर्खता’ करार दिया है। शीर्ष अदालत ने आरोपी की अपील पर अपना फैसला सुनाया, जिसने बॉम्बे हाईकोर्ट के जून 2024 के आदेश को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने सतारा में दुष्कर्म समेत अन्य अपराधों के लिए उसके खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने की उसकी याचिका को खारिज कर दिया गया था।
दंपती को सलाह…साथ बैठकर खाना खाएं और मतभेद सुलझाएं
जस्टिस बीवी नागरत्ना व जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने एक अन्य मामले में दंपती को साथ बैठकर खाना खाने और आपसी मतभेद को सुलझाने की सलाह दी। पीठ ने अंग्रेजी की कहावत का इस्तेमाल किया जिसका अर्थ है कि एक कप कॉफी पर बहुत सारी बातें हल हो सकती हैं। पीठ एक फैशन उद्यमी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता ने अपने तीन साल के बेटे के साथ विदेश जाने की अनुमति मांगी थी। पीठ ने कहा, आपका तीन साल का बच्चा है। दोनों के बीच में ऐसा क्या गुरूर है। हमारी अदालत की कैंटीन में खाना हो सकता है बहुत अच्छा न हो। हम आप लोगों को एक और कमरा मुहैया कराएंगे। रात को साथ बैठिए खाना खाइये और मसले को आपस में सुलझा लीजिए। पीठ ने दंपती को पुरानी बातों को कड़वी दवा की तरह निगल लेने की सलाह दी और भविष्य के बारे में सोचने को कहा। इस मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को होगी।