दिल्ली

भरे कोर्ट में ईडी पर तमतमाए चीफ जस्टिस गवई, तुषार मेहता से बोले- इसने सारी लिमिट पार कर दी

 सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई ने ईडी पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि ईडी ने सारी लिमिट पार कर दी है. यह एजेंसी देश के संघीय ढांचे को नष्ट कर रही है.

हाइलाइट्स
  • चीफ जस्टिस गवई ने ईडी पर सख्त टिप्पणी की.
  • ईडी की कार्रवाइयां संघीय ढांचे को कमजोर कर रही हैं.
  • सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की जांच पर रोक लगाई.

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई ने इनफॉर्सेंट डायरेक्ट्रेट को लेकर बेहद शख्त टिप्पणी की है. उन्होंने भरी अदालत में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सवाल पूछते हुए कहा कि ईडी ने सारी लिमिट पार कर दी है. यह एजेंसी देश के संघीय ढांचे को नष्ट कर रही है. चीफ जस्टिस ने यह टिप्पणी तमिलनाडु सरकार और तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन (TASMAC) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान की. इस मामले में ईडी के हालिया सर्च ऑपरेशन को चुनौती दी गई थी.

यह मामला मार्च 2025 में ईडी द्वारा TASMAC के चेन्नई मुख्यालय और अन्य ठिकानों पर की गई छापेमारी से जुड़ा है. ईडी ने आरोप लगाया था कि TASMAC में टेंडर में हेरफेर, नकद लेनदेन और शराब की बोतलों की अधिक कीमत वसूलने जैसी अनियमितताओं से 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ. तमिलनाडु सरकार ने इन छापेमारी को गैरकानूनी बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.

ईडी को नोटिस

सुनवाई के दौरान तमिलनाडु सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि ईडी ने TASMAC कर्मचारियों के फोन जब्त कर उनकी गोपनीयता का उल्लंघन किया. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या गोपनीयता नाम की कोई चीज नहीं है? इसके जवाब में चीफ जस्टिस गवई ने ईडी की कार्रवाई पर नाराजगी जताई और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि ईडी की कार्रवाइयां संघीय ढांचे को कमजोर कर रही हैं. सीजेआई ने यह भी पूछा कि ईडी TASMAC पर कैसे छापा मार सकती है?

सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की मनी लॉन्ड्रिंग जांच पर रोक लगा दी और एजेंसी को नोटिस जारी किया. तमिलनाडु सरकार ने दलील दी कि बिना राज्य की सहमति के बिना ईडी की कार्रवाई गलत है और यह संघीय ढांचे के खिलाफ है. इससे पहले मद्रास हाईकोर्ट ने 23 अप्रैल को तमिलनाडु सरकार और TASMAC की याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिसमें छापेमारी को गैरकानूनी बताने की मांग की गई थी. हाईकोर्ट ने कहा था कि ईडी की कार्रवाई जनहित में है और इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई कहना गलत है.

 

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