130 साल बाद लौटी ‘भूतिया झील’, नक्शे से थी गायब, लेकर आई तबाही, खेत बने समंदर

Ghost Lake: कैलिफोर्निया की तुलारे झील 130 साल बाद अचानक फिर से उभर आई है. इससे कॉर्कोरन इलाके की 94,000 एकड़ खेती की जमीन पानी में डूब गई है. कभी नक्शे से गायब हो चुकी ये झील अब किसानों के लिए बड़ी परेशानी बन गई है. आइए जानते हैं कैसे एक ‘भूतिया झील’ फिर से लौट आई.
- तुलारे झील 130 साल बाद फिर से उभरी.
- झील की वापसी से 94,000 एकड़ खेती डूबी.
- भारी बर्फबारी और बारिश से झील फिर बनी.
Ghost Lake
कैलिफोर्निया में प्रकृति ने ऐसा अजूबा कर दिखाया है जिसे जानकर कोई भी चौंक जाएगा. एक विशाल झील जो 130 साल पहले नक्शे से गायब हो गई थी वो अब अचानक से दोबारा जिंदा हो गई है. इस झील का नाम है तुलारे लेक (Tulare Lake) है. कभी अमेरिका के पश्चिमी हिस्से की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील मानी जाने वाली तुलारे झील फिर से अस्तित्व में आ गई है और इसके लौटने से करीब 94000 एकड़ की खेती योग्य जमीन पानी से लबालब हो गई है. इस झील की वापसी ने वैज्ञानिकों, किसानों और प्रकृति के रखवालों को हैरानी में डाल दिया है.
तुलारे झील कभी कैलिफोर्निया की सैन जोआक्विन वैली में फैली हुई थी. ताची योकट जनजाति के लोग इसे पा’आशी कहते थे और ये झील उनकी जिंदगी और संस्कृति का अहम हिस्सा थी. इस झील में बर्फ से पिघला पानी आता था और यहां कभी नावें यहां तक कि स्टीमर भी चला करते थे. जो बेकर्सफील्ड से सैन फ्रांसिस्को तक सामान ले जाते थे. लेकिन जब इंसानों ने पानी को खेती के लिए मोड़ना शुरू किया, नहरें बनाई गईं और बर्फ से आने वाला पानी खेतों की ओर मोड़ दिया गया तब ये झील धीरे-धीरे सूख गई और इतिहास बन गई.
लेकिन साल 2023 कैलिफोर्निया में इतिहास की सबसे भारी बर्फबारी और मूसलाधार बारिश हुई. जैसे ही बर्फ पिघली, पहाड़ों से बहकर आया पानी घाटियों में भरने लगा. और वहीं जहां कभी तुलारे झील हुआ करती थी वहां एक बार फिर बड़ी मात्रा में पानी जमा हो गई. रिसर्चर विवियन अंडरहिल के मुताबिक यह एक नेचुरल फ्लैशबैक है यानी प्रकृति ने इतिहास को दोहराया है. हालांकि यह झील पर्यावरणीय दृष्टि से रोचक है, लेकिन किसानों के लिए यह संकट बन गई है. कई गांव और हजारों एकड़ फसलें पूरी तरह डूब चुकी हैं जिससे आर्थिक नुकसान भी हुआ है.
‘कुदरत अपना रास्ता ढूंढ़ ही लेती है’
तुलारे झील की वापसी पर्यावरण और जल-प्रबंधन को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है. क्या हम पानी के स्रोतों का सही इस्तेमाल कर रहे हैं? क्या हमें पुराने प्राकृतिक जलभंडारों को बहाल करने की ज़रूरत है? यह घटना एक चेतावनी है कि जब प्रकृति पलटवार करती है तो उसका असर सीधा हमारी जिंदगी और आजीविका पर पड़ता है. ‘भूतिया झील’ का यूं लौट आना जहां पहले सिर्फ खेत थे अब पानी का समंदर है ये दिखाता है कि इंसान भले भूगोल बदल दे लेकिन कुदरत अपना रास्ता ढूंढ़ ही लेती है.