कानून बनाना संसद का काम, अदालत कानून बनाने के लिए निर्देश नहीं दे सकती: हाई कोर्ट

दिल्ली उच्च न्यायालय (DELHI HIGH COURT ) ने कहा है कि कानून बनाना संसद या राज्य विधानसभा का संप्रभु कार्य है और कोई अदालत कानून पारित करने के लिए निर्देश नहीं दे सकती.
नयी दिल्ली.
दिल्ली उच्च न्यायालय (DELHI HIGH COURT ) ने कहा है कि कानून बनाना संसद या राज्य विधानसभा का संप्रभु कार्य है और कोई अदालत कानून पारित करने के लिए निर्देश नहीं दे सकती. इसके साथ ही अदालत ने ‘व्हिसल ब्लोअर’ सुरक्षा अधिनियम 2014 को एक अधिसूचना के जरिये क्रियान्वित करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज कर दी. उच्च न्यायालय ने कहा कि राज्य विधानसभा ‘लोगों की इच्छाओं’ का प्रतिनिधित्व करती है और कानून बनाना संसद या राज्य विधानसभा के विवेक पर निर्भर करता है.
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा, ‘कानून और कुछ नहीं बल्कि लोगों की इच्छा होती है तथा वे (राज्य विधानसभा) लोगों की इच्छा को लागू करते हैं. हम संसद के संप्रभु कार्य के लिए कोई नोटिस जारी नहीं कर सकते.’ अदालत, डॉ मोहम्मद एजाजुर रहमान की एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. रहमान यहां गुरु तेग बहादुर अस्पताल में वरिष्ठ मुख्य चिकित्सा अधिकारी के तौर पर तैनात हैं.