दिल्ली

इंसानियत चाहिए तो गरीबों के साथ… झुग्गियां तोड़ने पर SC ने डिप्टी कलेक्टर को बना दिया तहसीलदार

सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट आदेश का उल्लंघन कर झुग्गियां तोड़ने वाले आंध्र प्रदेश के डिप्टी कलेक्टर को तहसीलदार बना दिया और ₹1 लाख जुर्माना लगाया. कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा– कानून से बड़ा कोई नहीं.

 

हाइलाइट्स
  • सुप्रीम कोर्ट ने आदेश तोड़ने पर अफसर को डिमोट किया.
  • झुग्गियां हटाने पर डिप्टी कलेक्टर को तहसीलदार बनाया.
  • कोर्ट ने ₹1 लाख जुर्माना भरने का आदेश दिया.

सोचिए, एक अफसर कोर्ट के साफ-साफ आदेश के बावजूद गरीबों की झोपड़ियां गिरवा दे, तो क्या होगा? ऐसा ही कुछ आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में हुआ. यहां एक डिप्टी कलेक्टर, जो उस समय तहसीलदार थे, ने कोर्ट की बात को अनसुना किया और गरीब लोगों की झोपड़ियों को पुलिस के साथ मिलकर हटवा दिया. ये सब तब हुआ जब हाईकोर्ट ने पहले ही कहा था कि इन झोपड़ियों को हटाया नहीं जाएगा, जब तक इन लोगों की याचिकाओं पर फैसला नहीं हो जाता.

सुप्रीम कोर्ट ने लिया सख्त फैसला, अफसर का हुआ डिमोशन
इस पूरे मामले पर जब सुप्रीम कोर्ट की नजर पड़ी, तो कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया. अफसर की गलती को नजरअंदाज नहीं किया गया. सुप्रीम कोर्ट ने साफ आदेश दिया कि इस अधिकारी को डिप्टी कलेक्टर से वापस तहसीलदार बना दिया जाए यानी उसका प्रमोशन रद्द कर दिया जाए. कोर्ट ने कहा कि अफसर ने जो किया, वो पूरी तरह से गलत था और कानून का मज़ाक उड़ाने जैसा था.

जेल जाने से बचाया, लेकिन सजा से नहीं छोड़ा
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि अफसर की सजा माफ नहीं की जा सकती, लेकिन उसके बच्चों और परिवार को भी सजा नहीं दी जा सकती. अगर अफसर को जेल भेजा जाता, तो उसकी नौकरी चली जाती और उसका पूरा परिवार बेरोजगार हो जाता. इसलिए कोर्ट ने इंसानियत दिखाते हुए जेल की सजा हटाई, लेकिन साथ में ये भी कहा कि अफसर को एक स्तर नीचे किया जाएगा और उसे 1 लाख रुपये का जुर्माना भी भरना होगा.

“अगर इंसानियत चाहिए थी, तो गरीबों के साथ गलत नहीं करते” – कोर्ट
कोर्ट में जब अफसर के वकील ने कहा कि अगर अफसर को सजा दी गई तो उसके बच्चे सड़क पर आ जाएंगे और उनकी पढ़ाई रुक जाएगी, तो कोर्ट ने बहुत सटीक जवाब दिया. कोर्ट ने कहा – “अगर अफसर को इंसानियत की उम्मीद थी, तो उसे भी गरीबों के साथ इंसानियत दिखानी चाहिए थी. लेकिन उसने खुद ही गरीबों को सड़कों पर ला दिया, उनकी झोपड़ियां तोड़ दीं, और अब अपने लिए दया चाहता है. ये नहीं चलेगा.”

 

 

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