शरीर नहीं मिला, लेकिन जुर्म साबित! महिला अफसर के कत्ल में आरोपी इंस्पेक्टर को उम्रकैद, पुलिस भी कटघरे में

नवी मुंबई में API अश्विनी बिद्रे-गोर की हत्या के मामले में इंस्पेक्टर अभय कुरुंदकर को उम्रकैद की सजा सुनाई गई. कोर्ट ने पुलिस की लापरवाही पर सवाल उठाए और दो अफसरों पर कार्रवाई के आदेश दिए.
- API अश्विनी बिद्रे-गोर हत्या मामले में इंस्पेक्टर को उम्रकैद.
- कोर्ट ने पुलिस की लापरवाही पर सवाल उठाए, दो अफसरों पर कार्रवाई के आदेश.
- अश्विनी और कुरुंदकर के बीच अवैध संबंध थे, हत्या की साजिश रची.
नवी मुंबई
साल 2016 में असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर (API) अश्विनी बिद्रे-गोर की हत्या के मामले में बर्खास्त इंस्पेक्टर अभय कुरुंदकर (52) को सोमवार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई. कोर्ट ने माना कि उसने अश्विनी की हत्या कर उसके शरीर के टुकड़े किए और उन्हें ठिकाने लगा दिया.
बता दें कि पिछले हफ्ते ही उसे हत्या का दोषी ठहराया गया था. हालांकि, अश्विनी की बॉडी अब तक नहीं मिली, लेकिन पनवेल सेशंस कोर्ट ने साफ किया कि शव न मिलना आरोपी को बरी करने का आधार नहीं बन सकता. हालांकि, कोर्ट ने ये भी कहा कि यह मामला ‘रेरेस्ट ऑफ रेयर’ की केटेगरी में नहीं आता, इसलिए मृत्युदंड नहीं दिया गया. Prosecution ने फांसी की सजा की मांग की थी.
मुंबई पुलिस पर उठे सवाल
कोर्ट ने नवी मुंबई पुलिस पर भी सवाल उठाए. जज केजी पालदेवार ने कहा कि पुलिस ने समय रहते कार्रवाई नहीं की और पूरा पुलिस तंत्र आरोपी के साथ खड़ा रहा. कोर्ट ने दो अफसरों अनिल सुर्वसे और कोंडीराम पोपरे पर लापरवाही का आरोप मानते हुए पुलिस आयुक्त (Police Commissioner) को उनके खिलाफ कार्रवाई करने को कहा.
इस मामले में कुरुंदकर के दो साथियों ड्राइवर कुंदन भंडारी और दोस्त महेश फालणिकर को शव के टुकड़े ठिकाने लगाने में मदद करने के लिए 7 साल की सजा दी गई है. अश्विनी के भाई ने जुलाई 2016 में गुमशुदगी की रिपोर्ट दी थी, लेकिन FIR जनवरी 2017 में दर्ज हुई और कुरुंदकर की गिरफ्तारी दिसंबर में हुई.
कोर्ट ने माना कि अश्विनी और कुरुंदकर के बीच अवैध संबंध थे और वह शादी का दबाव बना रही थीं. इसी वजह से उसने हत्या की साजिश रची. शव नहीं मिलने के बावजूद हालात और सबूत इतने मजबूत थे कि हत्या साबित हो गई.