पहलगाम Attack: ‘बालाकोट की तरह फिर जवाब देने का समय आ गया है’, पहलगाम हमले पर भड़के पूर्व एयर चीफ अरूप राहा

पूर्व एयर चीफ ने कहा कि ‘पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों को 1971 के युद्ध के दौरान आत्मसमर्पण करना पड़ा था। अब यह पूरी दुनिया के सामने भीख का कटोरा फैला रहा है। ऐसे समय में भी पाकिस्तान की सेना आतंकी घटनाओं को बढ़ावा दे रही है।’
नई दिल्ली
पहलगाम हमले को लेकर पूरे देश में गम और गुस्से का वातावरण है। लोग आतंकियों की कायराना हरकत का बदला लेने की मांग कर रहे हैं। अब पूर्व वायु सेना प्रमुख अरूप राहा ने भी पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में सैन्य कार्रवाई करने की जोरदार वकालत की है। उन्होंने कहा कि भारत ने उस मिथक को तोड़ा है कि दो परमाणु संपन्न देशों में युद्ध नहीं हो सकता और एक बार उरी हमले के जवाब में और दूसरी बार पुलवामा के जवाब में आतंकवादियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की है।
‘भारत ने मिथक तोड़ा’
पूर्व एयर चीफ ने कहा कि ‘यह जरूरी हो गया है कि भारतीय सशस्त्र बल फिर से जवाबी कार्रवाई करें ताकि हमारे दुश्मनों को पता चल सके कि उनका पाला किससे पड़ा है। ऐसा करने की आज बहुत जरूरत है।’ उन्होंने कहा कि ‘भारत जवाबी कार्रवाई कब और कैसे करेगा ये तो मैं नहीं बता सकता, लेकिन इतना कह सकता हूं कि भारत ने पहले भी बालाकोट और उरी के समय भी ऐसा किया था। हमें ऐसा करने की आदत है और हम फिर से ये कर सकते हैं। भारत ने उस मिथक को तोड़ दिया है कि दो परमाणु संपन्न शक्तियां एक दूसरे के खिलाफ सैन्य कार्रवाई नहीं कर सकतीं।’
‘निगरानी को मजबूत करने की जरूरत’
गौरतलब है कि पहलगाम आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की हत्या के बाद भारत सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए पाकिस्तान के साथ अपने कूटनीतिक संबंधों को कम किया है। साथ ही सिंधु जल समझौता भी बर्खास्त कर दिया है। अटारी सीमा को बंद कर दिया गया है और पाकिस्तान के सभी नागरिकों को देश छोड़ने का निर्देश दिया है। वायुसेना के पूर्व प्रमुख अरूप राहा ने कहा कि पहलगाम हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ है। उन्होंने कहा कि ‘पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों को 1971 के युद्ध के दौरान आत्मसमर्पण करना पड़ा था। अब यह पूरी दुनिया के सामने भीख का कटोरा फैला रहा है। ऐसे समय में भी पाकिस्तान की सेना आतंकी घटनाओं को बढ़ावा दे रही है।’ पूर्व अधिकारी ने कहा कि आतंकवादी घुसपैठ को रोकने के लिए उपग्रह तस्वीरों, ड्रोन्स और यूएवी जैसी उन्नत तकनीकों से निगरानी करने की जरूरत है, साथ ही मानव खुफिया निगरानी को भी मजबूत करने की जरूरत है। राहा ने कहा कि खुफिया निगरानी की चूक का हमने पहले भी खामियाजा उठाया है और इस बार भी हमें नुकसान उठाना पड़ा है।