आप BJP की राज्य सरकारों के खिलाफ एक्शन क्यों नहीं लेते…’, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक मामले पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को जमकर फटकारा। सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा शासित राज्यों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने में विपल रहने पर केंद्र सरकार को फटकार लगाई
नेशनल डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक मामले पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को जमकर फटकारा। सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा शासित राज्यों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने में विपल रहने पर केंद्र सरकार को फटकार लगाई। पूर्वोत्तर राज्य नागालैंड में आरक्षण के मुद्दे पर केंद्र सरकार के खिलाफ शीर्ष अदालत ने सख्त टिप्पणियां कीं। सर्वोच्च अदालत ने सवाल उठाया कि राज्य में महिलाओं के लिए आरक्षण लागू क्यों नहीं किया गया। अदालत ने केंद्र से कहा कि आप अपनी ही पार्टी की राज्य सरकारों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करते? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि आप अन्य राज्य के खिलाफ तो कड़ा रुख अपनाते हैं जो आपके प्रति उत्तरदायी नहीं हैं लेकिन राज्य में आपकी की सरकार होती तो आप कुछ नहीं करते।
जस्टिस कौल ने पूछा कि क्या महिलाओं के लिए आरक्षण के खिलाफ कोई प्रावधान है? महिलाओं की भागीदारी का विरोध क्यों जबकि जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाएं समान रूप से शामिल हैं। इसके जवाब में एटॉर्नी जनरल नागालैंड ने कहा कि ऐसे महिला संगठन हैं जो कहते हैं कि उन्हें आरक्षण नहीं चाहिए और ये कोई छोटी संख्या नहीं है। ये पढ़ी-लिखी महिलाएं हैं।
फिर जस्टिस कौल ने कहा, हमने आपको एक बहुत लंबी रस्सी दी है। आपने वचन दिया था कि आप ऐसा करेंगे, लेकिन मुकर गए। यही हमारी चिंता है। यथास्थिति में बदलाव का हमेशा विरोध होता है। लेकिन, किसी को यथास्थिति बदलने की जिम्मेदारी लेनी होगी। इसके जवाब में सरकार की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने कहा, राज्य ने कुछ अभ्यास शुरू किए हैं। वे कुछ कानून बनाना चाहते हैं। उत्तर पूर्व में जो स्थिति है, उसे देखते हुए समय दिया जाए।
महिलाओं को आरक्षण दिया जाने का मुद्दा
जस्टिस कौल ने कहा, लेकिन मौजूदा मुद्दा अलग है। क्या समाज के आधे हिस्से को प्रशासनिक प्रक्रिया में एक तिहाई भागीदारी मिलती है। यह अजीब है कि महाधिवक्ता संवैधानिक प्रावधान को लागू करने के लिए संबंधित राजनीतिक व्यवस्था से बात करने के लिए नौवीं बार निर्देश मांग रहे हैं। एजी की भावुक दलील को देखते हुए, हम एक आखिरी मौका देने के इच्छुक हैं। हम केवल इतना कह सकते हैं कि नागालैंड के जो भी व्यक्तिगत कानून हैं और उन्हें राज्य का विशेष दर्जा दिया गया है, उन्हें किसी भी तरह से नहीं छुआ जा रहा है। यह एक ऐसा राज्य है जहां महिलाओं की शिक्षा, आर्थिक और सामाजिक स्थिति सबसे अच्छी है। इसीलिए हम यह स्वीकार नहीं कर सकते कि महिलाओं के लिए आरक्षण क्यों लागू नहीं किया जा सकता।
अदालत ने राज्य सरकार को दिया समय
जस्टिस कौल ने कहा कि केंद्र सरकार इस मुद्दे से अपना हाथ नहीं झाड़ सकती। इसका कार्य इस तथ्य से सरल हो गया है कि राज्य में राजनीतिक व्यवस्था केंद्र में राजनीतिक व्यवस्था के अनुरूप है। चीजों को अंतिम रूप देने के लिए राज्य को अंतिम अवसर देना चाहिए। इस मामले में अदालत ने 26 सितंबर तक का समय दिया है। जज ने कहा कि यदि आप अगली बार समाधान नहीं ढूंढते हैं तो हम मामले की सुनवाई करेंगे और अंतिम निर्णय लेंगे।