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राजनीतिक सत्ता के साथ गठजोड़ तोड़ें और जनता का भरोसा हासिल करें: CJI की पुलिस अधिकारियों को सलाह

 प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण ने कहा कि भ्रष्टाचार, पुलिस ज्यादती, निष्पक्षता की कमी और राजनीतिक वर्ग के साथ घनिष्ठता के आरोपों से पुलिस संस्थान की छवि खेदजनक रूप से खराब हुई है. उन्होंने कहा, “अक्सर पुलिस अधिकारी हमारे पास शिकायत लेकर आते हैं कि शासन में बदलाव के बाद उन्हें परेशान किया जा रहा है. जब आप अपने आप को सत्ता से जोड़ने करने की कोशिश करते हैं तो आपको परिणाम भुगतने होंगे.”

न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि सामाजिक वैधता और जनता के विश्वास को फिर से हासिल करना समय की मांग है.

नई दिल्ली.

सरकार बदलने के बाद उत्पीड़न की शिकायत करने वाले पुलिस अधिकारियों को सीधी सलाह देते हुए देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन. वी. रमण ने शुक्रवार को उनसे हमेशा निष्पक्ष रहने को कहा. न्यायाधीश ने कहा “जब आप अपने आप को सत्ता से जोड़ लेते हैं तो आपको परिणाम का सामना करना पड़ेगा.”

प्रधान न्यायाधीश केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के स्थापना दिवस पर 19वें डी पी कोहली स्मृति व्याख्यान में “लोकतंत्र: जांच एजेंसियों की भूमिका और जिम्मेदारियां” विषय पर कहा कि कुछ कर्मियों के सर्वोच्च बलिदान के साथ कई उपलब्धियां हासिल करने के बावजूद यह विडंबना है कि लोग निराशा के समय उनसे (जांच एजेंसी) संपर्क करने से हिचकिचाते हैं.

इन वजहों से खराब हुई पुलिस संस्थान की छवि
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार, पुलिस ज्यादती, निष्पक्षता की कमी और राजनीतिक वर्ग के साथ घनिष्ठता के आरोपों से पुलिस संस्थान की छवि खेदजनक रूप से खराब हुई है. उन्होंने कहा, “अक्सर पुलिस अधिकारी हमारे पास शिकायत लेकर आते हैं कि शासन में बदलाव के बाद उन्हें परेशान किया जा रहा है. जब आप अपने आप को सत्ता से जोड़ने करने की कोशिश करते हैं तो आपको परिणाम भुगतने होंगे.”

‘राजनीतिक कार्यपालिका के साथ गठजोड़ को तोड़ें’
न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि सामाजिक वैधता और जनता के विश्वास को फिर से हासिल करना समय की मांग है. उन्होंने कहा, “इसे हासिल करने के लिए पहला कदम राजनीतिक कार्यपालिका के साथ गठजोड़ को तोड़ना है. अक्सर सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाएं पहचान और प्रशंसा की उम्मीद में इस व्यवस्था में प्रवेश करती हैं. लेकिन, अगर खतरा बड़ा होता है तो ईमानदार और सच्चे अधिकारियों को अपनी सत्यनिष्ठा के साथ खड़ा होना मुश्किल लगता है.”

‘कुछ ईमानदार अधिकारी व्यवस्था में क्रांति ला सकते हैं’
न्यायमूर्ति रमण ने कहा, “सच्चाई यह है कि अन्य संस्थाएं कितनी भी कमजोर और असहयोगी क्यों न हों अगर आप सभी अपनी नैतिकता के साथ, सत्यनिष्ठा के साथ खड़े हों तो कुछ भी आपके कर्तव्य के आड़े नहीं आ सकता.” उन्होंने कहा, “वास्तव में, यह सभी संस्थाओं के लिए सही है. यहीं से नेतृत्व की भूमिका सामने आती है. संस्था उतनी ही अच्छी है, या उतनी ही बुरी, जितनी उसका नेतृत्व. कुछ ईमानदार अधिकारी व्यवस्था में क्रांति ला सकते हैं. हम या तो प्रवाह के साथ जा सकते हैं या हम एक आदर्श बन सकते हैं. चुनाव हमारा होता है.”

न्यायमूर्ति रमण ने पुलिस अधिकारियों से कहा कि उन्हें यह याद रखना चाहिए कि उनकी निष्ठा किसी व्यक्ति के प्रति नहीं, बल्कि संविधान और कानून के शासन के प्रति होनी चाहिए.

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