DNA नहीं हुआ मैच, फिर भी मिली थी सजा! अब हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी को क्यों दी राहत?

गुजरात हाईकोर्ट ने माधव वाघेला की 20 साल की सजा पर डीएनए बेमेल के कारण रोक लगाई और जमानत दी. वकील ने जन्म प्रमाण पत्र की कमी पर सवाल उठाए.
- गुजरात हाईकोर्ट ने माधव वाघेला की सजा पर रोक लगाई.
- डीएनए बेमेल के कारण सजा पर रोक और जमानत मिली.
- वकील ने जन्म प्रमाण पत्र की कमी पर सवाल उठाए.
अहमदाबाद
गुजरात हाईकोर्ट ने रेप के एक मामले में दोषी माधव वाघेला की 20 साल की सजा पर रोक लगा दी है. साथ ही उसे जमानत भी दे दी गई है. बता दें कि इस केस में पॉक्सो एक्ट के तहत शिकायत दर्ज की गई थी. माधव पर आरोप था कि उसने 14 साल की लड़की का रेप किया था. फरवरी 2025 में राजकोट जिले के धोराजी कोर्ट ने उसे दोषी माना था. हालांकि, जांच में यह बात सामने आई थी कि पीड़िता के डीएनए नमूने और माधव वाघेला के डीएनए का मिलान नहीं हुआ था. फिर भी कोर्ट ने अन्य सबूतों और लड़की के बयान के आधार पर उसे सज़ा सुनाई थी.
अपनी सजा पर रोक लगाने की गुहार लगाई
बता दें कि माधव वाघेला ने हाईकोर्ट में अपील की और अपनी सजा पर रोक लगाने की गुहार लगाई. उसके वकील रथिन रावल ने दलील दी कि डीएनए रिपोर्ट में यह साबित नहीं हुआ कि गर्भस्थ शिशु का पिता वही था.
‘जन्म प्रमाण पत्र पेश नहीं किया गया था’
बता दें कि साथ ही वकील ने सवाल उठाया कि ट्रायल कोर्ट ने लड़की की उम्र को लेकर पूरी तरह भरोसे के लायक सबूत नहीं देखे. जन्म प्रमाण पत्र पेश नहीं किया गया था, केवल स्कूल रिकॉर्ड पर भरोसा किया गया.
कोर्ट ने दोषी की सजा पर अस्थायी रूप से रोक लगाई
मामले में सुनवाई के बाद जस्टिस ईलेश वोरा और जस्टिस संदीप भट्ट की बेंच ने कहा कि स्कूल रिकॉर्ड में जो जन्मतिथि है, उसका स्रोत रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है. इसलिए निचली अदालत ने इस मामले का सही मूल्यांकन नहीं किया. कोर्ट ने कहा कि इन आधारों पर दोषी की सजा पर अस्थायी रूप से रोक लगाई जाती है और उसे जमानत दी जाती है.