दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 और नोटबंदी जैसे जिंदगी से जुड़े मसलों पर फैसला आने में देरी होना न्याय की गुणवत्ता को प्रभावित करता है:पूर्व जज लोकुर

जस्टिस मदन बी लोकुर उन पांच जजों में शामिल रहे थे, जिन्होंने इतिहास में पहली बार सार्वजनिक प्रेस वार्ता कर सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक प्रणाली पर कुछ बातें कही थीं। न्यायिक सुधार की पैरोकारी करने वाले न्यायमूर्ति लोकुर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 और नोटबंदी जैसे जिंदगी से जुड़े मसलों पर फैसला आने में देरी होना न्याय की गुणवत्ता को प्रभावित करता है।

नई दिल्ली

देश की अदालतों में लाखों मामले लंबित हैं। कई बार जिंदगी और मौत से जुड़े मामले पर फैसला आने में भी देरी होती है। ताजा घटनाक्रम में शीर्ष अदालत की न्यायिक प्रणाली का अंग रहे जस्टिस मदन बी लोकुर ने अहम बयान दिया है। जस्टिस लोकुर ने कहा कि जिंदगी से जुड़े कुछ मुद्दों पर फैसला आने में बहुत अधिक देरी होना, साख के लिए अच्छी बात नहीं। जस्टिस लोकुर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना या नोटबंदी जैसी संवेदनशील मुद्दा आम जनता की जिंदगी से जुड़ा है। इन मुद्दों का शीर्ष अदालत में पहले तो सूचीबद्ध होने में विलंब होना, उसके बाद अदालत से फैसला आने में भी देरी होने से न्याय की गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित होती है।

 

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