पाक ही है हाईजैकिंग का जनक! BLA ने कैसे कुरेदा 62 साल पुराना जख्म, जानिए दुनिया में कब-कब बंधक बनीं ट्रेनें

BLA Train Hijacking: बलूचिस्तान में ट्रेन हाईजैकिंग के बाद दहाड़े मार रहा पाकिस्तान असल में खुद ही ऐसी वारदातों का जनक रहा है. बीएलए ने तो सिर्फ 62 साल बाद उसके पुराने जख्म को कुरेदा है. जानिए कब, कहां और किसने ट्रेन हाईजैकिंग की वारदात को अंजाद दिया.
- पाकिस्तान में हुई थी पहली ट्रेन हाईजैकिंग की वादरात.
- 1962 में ऑल पाकिस्तान एक्सप्रेस को किया गया था हाईजैक.
- अमेरिका में भी हो चुकी है ट्रेन हाईजैकिंग की वारदात.
BLA Train Hijacking: प्लेन हाईजैकिंग की घटनाएं तो कई बार सुनी और देखी गई हैं, लेकिन बलूचिस्तान में ट्रेन हाईजैक की वारदात ने सभी को स्तब्ध कर दिया है. सभी के जहन में एक ही सवाल है कि क्या ट्रेन भी हाईजैक की जा सकती है. तो यहां जवाब यह है कि बलूचिस्तान में ट्रेन हाईजैकिंग की वारदात कोई पहली वारदात नहीं है, बल्कि इससे पहले भी दुनिया के अलग-अलग हिस्सो में ट्रेन हाईजैकिंग की वारदात को अंजाम दिया जा चुका है. साथ ही, आपको यह जानकार हैरानी नहीं होगी कि ट्रेन हाईजैकिंग की वारदात का जनक पाकिस्तान ही है.
करीब 62 साल बाद बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी( बीएलए) ने एक बार फिर पाकिस्तान के इस जख्म को कुरेद दिया है. रिपोर्ट्स की माने तो दुनिया में ट्रेन हाईजैकिंग की पहली घटना 1963 में पाकिस्तान में ही देखने को मिली थी. ऑल पाकिस्तान एक्सप्रेस नामक इस ट्रेन को कुछ हथियारबंद आतंकियों ने हाईजैक कर लिया था. इन आतंकियों ने पहले ट्रेन में घुसकर यात्रियों को बंधक बनाया, फिर ट्रेन को एक अनजानी दिशा में ले जाने की कोशिश की. हाईजैकर्स ने ट्रेन ऑपरेशन के पूरे ऑपरेशन को अपने कब्जे में ले लिया था.
अमेरिका में हुई ‘ग्रेट ट्रेन रॉबरी’
ट्रेन हाईजैकिंग की दूसरी वारदात 15 अगस्त 1864 को अमेरिका से सामने आई. इस वारदात को ‘ग्रेट ट्रेन रॉबरी’ के तौर पर भी जाना जाता है. ओहायो में हुई इस वारदात में विलियम एच. जोन्स नाम के एक कंफेडरेट सैनिक के नेतृत्व में कुछ सैनिकों ने एक ट्रेन को हाईजैक किया, जिसमें यूनियन सैनिक और महत्वपूर्ण सामान जा रहे थे. उनका मकसद यूनियन के सप्लाई लाइनों को नुकसान पहुंचाना था. इस वारदात के बाद ट्रेन हाईजैकिंग की अगली घटना नीदरलैंड में अंजाम दिया गया, जहां एक डच ट्रेन को हाईजैक कर लिया गया था.
रिपोर्ट्स मे अनुसार, नीदरलैंड में 1970 के दशक में दक्षिण मोलुक्कन अलगाववादियों ने दो बार ट्रेन हाईजैक किया. पहली वारदात 2 दिसंबर 1975 को अंजाम दी गई, जिसमें दक्षिण मोलुक्कन विद्रोहियों ने एक यात्री ट्रेन को हाईजैक कर लिया. इस ट्रेन में 50 से अधिक यात्री सवार थे. हाईजैकर से ट्रेन को मुक्त कराने के लिए सिक्योरिटी एजेंसीज को करीब 12 दिनों तक जद्दोजहद करनी पड़ी थी. वहीं, हाईजैकिंग की दूसरी घटना 23 मई 1977 की है. दक्षिण मोलुक्कन अलगाववादियों एक बार फिर ट्रेन को हाईजैक कर लिया था.
नीदरलैंड में हो चुकी है दो ट्रेन हाईजैक
इस बार हाईजैकिंग 20 दिनों तक चली और इसमें 6 हाईजैकर के साथ दो यात्रियों की भी मृत्यु हो गई थी. ट्रेन हाईजैकिंग की अगली वारदात रूस से सामने आई. 1993 में रूस के दक्षिणी क्षेत्र में मास्को और सेंट पीटर्सबर्ग के बीच एक फास्ट ट्रेन को हाईजैक कर लिया गया था. यह ट्रेन निज़नी नोवगोरोड से मास्को के लिए जा रही थी और इसमें सैकड़ों यात्री सवार थे. हाईजैकिंग के दौरान, कापो नामक आतंकवादी समूह ने ट्रेन पर हमला किया और ट्रेन को अपने कब्जे में ले लिया. हाईजैकर रूस सरकार से कुछ राजनीतिक और आर्थिक मांगें मानवाना चाहते थे.
2004 में चीन के शांक्सी प्रांत में एक पासेंजर ट्रेन को आतंकवादियों और अपराधियों द्वारा हाईजैक कर लिया गया था. यह ट्रेन D301 थी, जो बीजिंग से शांक्सी जा रही थी. आतंकवादियों ने ट्रेन को अपने कब्जे में लिया और यात्रियों को बंधक बना लिया. उनकी मांगें थीं कि उन्हें सुरक्षित निकलने का रास्ता दिया जाए और इसके बदले में वे यात्रियों की सुरक्षा का वादा कर रहे थे. रेलवे पुलिस और चीनी सेना के अधिकारियों ने ऑपरेशन शुरू किया और लगभग 24 घंटे के भीतर हाईजैकर्स को पकड़ लिया। हालांकि, इस दौरान कुछ यात्रियों के साथ हिंसा हुई और उनकी जान भी चली गई.