अरविंद केजरीवाल की वो ‘दोस्त’, जिसने महाराष्ट्र में मचाया तूफान, देवेंद्र फडणवीस-अजित पवार को टेंशन में डाला

दिल्ली में बीजेपी के सीएम का अनाउंसमेंट होने वाला है, वहीं अरविंद केजरीवाल की पुरानी साथी अंजलि दमानिया ने महाराष्ट्र में धनंजय मुंडे के इस्तीफे की मांग कर सियासी तूफान मचा दिया है.
- अंजलि दमानिया महाराष्ट्र में इंडिया अगेंस्ट करप्शन का चेहरा रही हैं.
- इंडिया अगेंस्ट करप्शन के बैनर तले ही आम आदमी पार्टी का गठन हुआ.
- अब अंजलि दमानिया ने संतोष देशमुख हत्याकांड में बड़ा सवाल उठाया है.
इधर दिल्ली में बीजेपी के सीएम का अनाउंसमेंट होने जा रहा है, उधर अरविंद केजरीवाल की एक पुरानी साथी ने महाराष्ट्र में सियासी तूफान मचा दिया है. उन्होंने ऐसी डिमांड कर डाली है, जो मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजित पवार के लिए टेंशन बढ़ाने वाली है. मामला सरपंच संतोष देशमुख हत्याकांड से जुड़ा है. विपक्ष इसमें अजित पवार गुट के दिग्गज नेता धनंजय मुंडे का इस्तीफा मांग रहा है. अब केजरीवाल की पुरानी साथी अंजलि दमानिया ने कहा कि अगर धनंजय मुंडे का इस्तीफा नहीं होता तो हम मान लेंगे कि बीजेपी और एनसीपी उन्हें बचाने की कोशिश कर रहे हैं.
सबसे पहले जानिए अंजलि दमानिया कौन हैं? अंजलि दमानिया एक आरटीआई एक्टिविस्ट हैं. वे महाराष्ट्र में इंडिया अगेंस्ट करप्शन की सदस्य हैं. अंजलि दमानिया ने दो और लोगों के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सिंचाई घोटाले का पर्दाफाश किया था. इसके बाद अजित पवार को इस्तीफा तक देना पड़ा था. अन्ना आंदोलन के वक्त वे भी नजर आई थीं और अरविंद केजरीवाल ने अंजलि दमानिया को महाराष्ट्र की जिम्मेदारी सौंपी थी. उन्हें महाराष्ट्र आम आदमी पार्टी की संयोजक बनाया था. हालांकि, बाद में उन्होंने आम आदमी पार्टी से इस्तीफा दे दिया था और खुद पार्टी बनाने का ऐलान किया था. उन्हें सरकार विरोधी माना जाता है. चाहे महाविकास अघाड़ी हो या फिर महायुति की सरकार, वे हमेशा आवाज उठाती रही हैं.
दमानिया ने क्या कहा
अब अंजलि दमानिया ने धनंजय मुंडे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. बुधवार को उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा, मैं पहले दिन से कह रही हूं कि जब तक धनंजय मुंडे कैबिनेट में हैं, देशमुख परिवार को न्याय नहीं मिलेगा. धनंजय मुंडे के वाल्मीकि कराड के साथ गहरे रिश्ते हैं. धनंजय मुंडे एक अयोग्य मंत्री हैं और उन्हें जल्द से जल्द मंत्रिमंडल से हटा दिया जाना चाहिए. जो मंत्री बिना तारीख वाले पत्रों पर सिग्नेचर करता है, उसे पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है.