इस तारीख से शुरू हो रहा गुप्त नवरात्र, पंडित जी ने बताई कलश स्थापना की विधि, जानें शुभ मुहूर्त

Navratri 2025: गुप्त नवरात्र पर भी कलश की स्थापना की जाती है. गुप्त नवरात्र पर देवी मंदिरों में धार्मिक कार्यक्रम होंगे. धर्म विशेषज्ञ चंद्रप्रकाश ढांढण ने बताया कि 30 जनवरी को गुप्त नवरात्र का कलश स्थापित करने का शुभ मुहूर्त सुबह 9.25 बजे शुरू होगा.
- माघ गुप्त नवरात्र 30 जनवरी से शुरू होंगे.
- कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 9:25 से 10:46 बजे तक.
- अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:13 से 12:56 बजे तक रहेगा.
जयपुर
हिंदू धर्म में नवरात्र को बहुत पवित्र व शुभ माना जाता है. साल में चार नवरात्र होते हैं. इसमें दो प्रत्यक्ष व दो गुप्त नवरात्र होते हैं. पहली चैत्र मास में, दूसरी आषाढ़, तीसरी आश्विन में और चौथी माघ मास में आती है. माघ और आषाढ़ माह के नवरात्र गुप्त माने जाते हैं. चैत्र और आश्विन मास के नवरात्र को प्रकट माना जाता है. इस साल माघ गुप्त नवरात्र की शुरुआत 30 जनवरी होगी और 7 फरवरी को इसकी पूर्णाहुति की जाएगी.
धर्म विशेषज्ञ चंद्रप्रकाश ढांढण ने बताया कि प्रत्यक्ष नवरात्र के दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. वहीं, गुप्त नवरात्र में 10 महाविद्याओं के पूजन का विधान है. इन महाविद्याओं में मां काली, तारादेवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी व कमलादेवी शामिल हैं. गुप्त नवरात्र पर भी कलश की स्थापना की जाती है. गुप्त नवरात्र पर देवी मंदिरों में धार्मिक कार्यक्रम होंगे.
जानें कलश स्थापना का मुहूर्त
धर्म विशेषज्ञ चंद्रप्रकाश ढांढण ने बताया कि 30 जनवरी को गुप्त नवरात्र का कलश स्थापित करने का शुभ मुहूर्त सुबह 9.25 बजे शुरू होगा. यह मुहूर्त सुबह 10.46 बजे तक रहेगा. ऐसे में कुल 1 घंटे 21 मिनट में कलश स्थापना कर सकते हैं. अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:13 से लेकर 12:56 बजे तक रहेगा. इस मुहूर्त में कलश स्थापित करने के लिए 43 मिनट का समय मिलेगा.
ऐसे करें कलश स्ठापना
मिट्टी के कलश की स्थापना गुप्त नवरात्र के पहले दिन शुभ मुहूर्त में ईशान कोण में करनी चाहिए. कलश में थोड़ी मिट्टी और जौ डालनी चाहिए. फिर एक परत मिट्टी बिछाकर दोबारा जौ डालनी चाहिए. फिर से मिट्टी की परत बिछानी चाहिए. मिट्टी की परत पर जल छिड़कना चाहिए. ऊपर तक कलश को मिट्टी से भर देना चाहिए. फिर कलश की स्थापना करके पूजन करना चाहिए. जहां कलश स्थापित करना हो, वहां एक पाट रखकर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर कलश रखना चाहिए. कलश पर रोली या चंदन स्वास्तिक बनवाना चाहिए. कलश के गले में रोली जरूर बांधनी चाहिए.
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