क्राइम

CM सर! इस केस में हाथ मत डालिए, नहीं तो आपका हाथ जल जाएगा…जब IPS किशोर कुणाल ने दे डाली थी एक मुख्यमंत्री को चुनौती!

बिहार की बॉबी हत्याकांड ऐसी घटना थी, जिसमें एक-दो नहीं कई बड़े-बड़े नेताओं के फंसने की संभावना थी. मीडिया रिपोर्टस्, कई किताबों और उस दौर के पटना के पत्रकार आज भी मानते हैं कि अगर इस केस को सीबीआई को नहीं सौंपा जाता है. बिहार के कई राजनेताओं और ठेकेदार का ‘नंगापन’ सामने आ जाता.

सन् 1983 का समय, बिहार के सीएम जगन्नाथ मिश्र ने पटना के एसपी को फोन किया और पूछा कि बॉबी हत्याकांड में क्या अपडेट है. युवा एसपी का सीएम को जवाब था-सर अन्य मामलों में आपकी छवि चाहे जैसी हो, इसमें आप बेदाग हैं. इस केस में हाथ मत डालिए, नहीं तो हाथ जल जाएगा…ऐसे थे  किशोर कुणाल. साहब. यही तेवर और मिजाज धार्मिक न्यास बोर्ड के सर्वेसर्वा बनने के बाद भी बना रहा.

वे अब हमारे बीच नहीं हैं. लेकिन बेहतर पुलिसिंग से लेकर बिहार के मठ-मंदिरों तक के संरक्षण में उनका काम और योगदान हमेशा याद रखा जाएगा. पटना के कई वरीष्ठ पत्रकार आज भी उनके एसपी रहने के दिनों को याद करते हैं और कहते हैं कि किशोर कुणाल. के खौफ के कारण उनदिनों अपराधी पटना से भाग गए थे या गिरफ्तारी के डर से कहीं बिल में छुप गए थे.

‘श्वेतनिशा’ उर्फ बॉबी हत्याकांड 
सन् 1973 में राज कपूर साहब ने अपने बेट ऋषि कपूर और डिंपल कपाडिया स्टारर एक सुपरहिट फिल्म बनाई थी बॉबी. इस फिल्म में डिंपल कपाडिया ने खुद को एक युवा फैशन आइकन के रूप में स्थापित किया था. युवतियों पर इस फिल्म का ऐसा खुमार चढ़ा कि कई सुंदर लड़कियों ने अपना नाम बदल कर बॉबी रख लिया. 80 के दशक में पटना सचिवालय में काम करने वाली ‘श्वेतनिशा’ भी ऐसी ही एक खूबसूरत लड़की थी, जिसे बिहार की राजनीति का ‘बॉबी’ कहा जाता है. राजनेताओं से लेकर उस वक्त के ठेकेदार तक उसके हुस्न के दीवाने थे. यूं कहें कि वह लॉबिस्ट का काम करती थी. कानाफूसी में कई किस्से हैं उसके. नेजाओं से सांठगांठ का फायदा वह ठेकेदारों को टेंडर आदि दिलवाने में करती थी. एक दिन इस खूबसूरत श्वेतनिशा उर्फ बॉबी की हत्या हो जाती है. फिर, बॉबी के गड़े लाश को उखाड़ने के साथ एंट्री होती है पटना के तब के युवा एसपी IPS किशोर कुणाल. की.

हत्यारा पकड़ाता तो चली जाती सीएम की कुर्सी
देशभर में हर दिन सैकड़ों हत्याएं होती है. इन हत्याओं में कई बार बड़े-बड़े नेताओं या उनके बच्चों के नाम सामने आते रहते हैं. बिहार की बॉबी हत्याकांड ऐसी घटना थी, जिसमें एक-दो नहीं कई बड़े-बड़े नेताओं के फंसने की संभावना थी. मीडिया रिपोर्टस्, कई किताबों और उस दौर के पटना के पत्रकार आज भी मानते हैं कि अगर इस केस को सीबीआई को नहीं सौंपा जाता है. बिहार के कई राजनेताओं और ठेकेदार का ‘नंगापन’ सामने आ जाता.  शायद उन राजनेताओं और उनके परिवार का पॉलिटिकल करियर भी डूब जाता. पटना पुलिस यानि IPS कुणाल किशोर को केस सॉल्व करने के लिए छोड़ दिया जाता, तो शायद सीएम की कुर्सी खतरे में आ सकती थी. यही कारण था कि जब यह केस सुलझने वाला था. उसी समय केस को सीबीआई को सौंप दिया गया. बॉबी मर ही चुकी थी. सीबीआई को केस ट्रांसफर होने के बाद मामला भी दब गया. कई लोग केस ड्रायवर्ट होने की बात भी कहते हैं.

 

‘पॉलिटिकल लॉबिस्ट थी बॉबी’
लोकल 18 से बात करते हुए पटना के वरिष्ठ क्राइम रिपोर्टर संजय उपाध्याय बताते हैं कि बॉबी हत्याकांड बिहार ही नहीं, बल्कि देश की पहली ऐसी घटना थी, जिसने तत्कालीन राजनीति में भूचाल ला दिया था. दरअसल, वह 1983 का दौर था. बिहार विधानसभा में काम करने वाली एक लड़की ‘जिसे एक प्रसिद्ध लॉबिस्ट के रूप में खासा पहचान मिली थी’ कि एक दिन रहस्यमई तरीके से मौत हो जाती है. महज कुछ ही घंटे के अंदर गुपचुप तरीके से उसके शव को ठिकाने लगा दिया जाता है. सब कुछ इतनी सफाई से किया गया कि किसी को कानोंकान भनक तक नहीं लगी. इत्तेफाक से यह जानकारी एक अखबार के हाथ लगती है. फिर हरकत में आते हैं पटना के तत्कालीन IPS ऑफिसर किशोर कुणाल. मामले की जांच करते हुए कुणाल जैसे-जैसे आगे बढ़ रहे थे. उन्हें इस बात की जानकारी होती जा रही थी कि शव को जल्दबाजी में ठिकाने लगाने की तैयारी यूं ही नहीं की गई थी. दरअसल, बॉबी की मौत के पीछे राजनीतिक जगत के कुछ बड़े नाम जुड़े हुए थे. तफ्तीश में इस बात का खुलासा भी होता है कि बॉबी उस समय की बेहद प्रसिद्ध और हाईक्लास लॉबिस्ट थी, जिसके संबंध राजनेताओं एवं रसूख वाले लोगों से थे.

छोटी सी खबर पर गई थी किशोर कुणाल की नजर
वरिष्ठ क्राइम रिपोर्टर संजय उपाध्याय बताते हैं कि सन 1983 में किशोर कुणाल पटना के तत्कालीन SP हुआ करते थे. बॉबी की मौत के बाद किशोर कुणाल ने अखबार की एक खबर के आधार पर इस केस की जांच शुरू की. मामले की गंभीरता को आप इस तरह से समझ सकते हैं कि कुणाल किशोर ने एक बार फिर से शव का पोस्टमॉर्टम करवाया. इसके बाद यह स्पष्ट हो गया कि बॉबी की मौत अप्राकृतिक रूप से नहीं, बल्कि साजिश के तहत जहर देकर हत्या की गई थी. कहा जाता है कि विधायकों और मंत्रियों के दबाव में मुख्यमंत्री जग्गनाथ मिश्र ने इस केस को सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया, ताकि केस की आंच धीमा/बुझ जाए.

 

काम में तेज तर्रार
संजय उपाध्याय कहते हैं कि बहुत कम लोगों को पता होगा कि किशोर कुणाल., पूर्व IPS किरण बेदी की बैच मैट थीं. दोनों ने साथ-साथ एकेडमी में ट्रेनिंग ली थी. इसका खुलासा भी कुछ वर्ष पूर्व पटना के एक कार्यक्रम में भाग लेने आई किरण बेदी ने खुद किया था. बकौल संजय, किरण बेदी ने कहा था कि किशोर कुणाल बेहद शर्मीले स्वभाव के थे. हंसी-मजाक करने पर भी वे सुकचा जाते थे.

 

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