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चीन की कठपुतली… डोनाल्ड ट्रंप का WHO से बाहर जाने का फैसला, अमेरिका की स्वास्थ्य नीति में बड़ा बदलाव?

डोनाल्ड ट्रंप, जो जनवरी 2025 में अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत करेंगे, अपने पहले दिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से अमेरिका के बाहर होने का ऐलान कर सकते हैं। ट्रंप ने COVID-19 महामारी के दौरान WHO पर चीन का पक्ष लेने का आरोप लगाया। रॉबर्ट एफ. कैनेडी…

नेशनल डेस्क

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल में एक बार फिर से वैश्विक राजनीति में हलचल मचा सकते हैं। 20 जनवरी, 2025 को जब वह राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे, तो कई बड़े फैसलों का ऐलान हो सकता है। इनमें सबसे अहम फैसला हो सकता है—अमेरिका का विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से बाहर निकलने का। ट्रंप की ट्रांजिशन टीम ने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है, और खबरें आ रही हैं कि वह अपनी शपथ के पहले ही दिन WHO से बाहर जाने का ऐलान कर सकते हैं।

ट्रंप और WHO के बीच विवाद
डोनाल्ड ट्रंप का WHO के साथ असहमति का लंबा इतिहास रहा है। खासकर 2019 में जब कोरोनावायरस (COVID-19) महामारी ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लिया, तब से ट्रंप ने WHO पर लगातार हमला बोलना शुरू कर दिया। उनका कहना था कि WHO ने महामारी के शुरुआती दौर में चीन का पक्ष लिया और सही समय पर उस देश को जिम्मेदार नहीं ठहराया। ट्रंप का आरोप था कि WHO ने महामारी की गंभीरता को कम करके दिखाया और चीन को मदद करने के बजाय, इस संक्रमण को बढ़ने दिया। ट्रंप ने एक बार WHO को “चीन की कठपुतली” तक कह दिया था, और उनका यह मानना था कि WHO के अधिकारी चीन के प्रभाव में हैं, जिसकी वजह से वैश्विक स्तर पर महामारी के खिलाफ सही कदम नहीं उठाए गए। यही कारण था कि 2020 में ट्रंप ने WHO से बाहर निकलने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। हालांकि, उनका यह कदम आधिकारिक रूप से पूरा नहीं हो पाया क्योंकि चुनावी परिणामों में जो बाइडेन की जीत के बाद नए प्रशासन ने इस फैसले को पलट दिया।

ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में WHO से बाहर जाने का ऐलान?
अब जब ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बनने के करीब हैं, तो उनके द्वारा WHO से बाहर निकलने की संभावना एक बार फिर से तूल पकड़ रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रंप अपनी शपथ ग्रहण के पहले ही दिन WHO से बाहर जाने की घोषणा कर सकते हैं। उनका यह कदम अमेरिकी स्वास्थ्य नीति में एक बड़ी परिवर्तनकारी शिफ्ट साबित हो सकता है। ट्रंप की ट्रांजिशन टीम ने इस फैसले की तैयारियां शुरू कर दी हैं, और इसके पीछे उनका मुख्य तर्क यह हो सकता है कि WHO ने महामारी के दौरान चीन की रक्षा की और अमेरिका के राष्ट्रीय हितों की उपेक्षा की। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ट्रंप WHO से बाहर जाने का ऐलान करते हैं, तो इसका असर न केवल अमेरिका की स्वास्थ्य नीति पर पड़ेगा, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी यह एक बड़ा कदम होगा। अमेरिका के लिए WHO से बाहर होना स्वास्थ्य संकटों से निपटने के प्रयासों को एक नई दिशा में मोड़ सकता है, लेकिन यह अमेरिका को वैश्विक स्वास्थ्य नेटवर्क से अलग कर सकता है, जो महामारी जैसी गंभीर परिस्थितियों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए जरूरी होता है।

 

रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर का स्वास्थ्य मंत्री पद के लिए नामांकन
ट्रंप प्रशासन में एक और दिलचस्प बात यह है कि ट्रंप ने रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर को स्वास्थ्य मंत्री पद के लिए नामांकित किया है। रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर ने लंबे समय से वैक्सीनेशन के विरोध का पक्ष लिया है। वह यह मानते हैं कि वैक्सीनेशन से बच्चों में ऑटिज्म और अन्य बीमारियां हो सकती हैं। उनका यह विचार WHO के दृष्टिकोण से बिल्कुल विपरीत है, क्योंकि WHO का प्रमुख उद्देश्य वैश्विक स्तर पर बीमारी की रोकथाम के लिए वैक्सीनेशन कार्यक्रमों को बढ़ावा देना है। कैनेडी का यह रुख ट्रंप के WHO से बाहर जाने के फैसले के साथ मेल खाता है, क्योंकि यह संकेत मिलता है कि ट्रंप प्रशासन विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रभाव और वैश्विक स्वास्थ्य नीतियों से दूरी बनाने का इच्छुक है। उनके इस कदम से यह भी प्रतीत होता है कि ट्रंप प्रशासन स्वास्थ्य नीति में एक राष्ट्रीयतावादी दृष्टिकोण अपनाएगा, जिसमें अमेरिकी नागरिकों की प्राथमिकता होगी, न कि वैश्विक संस्थाओं के दिशानिर्देशों को मानने की।

 

WHO से अमेरिका के बाहर होने से क्या होगा?
अगर ट्रंप अपने फैसले को लागू करते हैं और अमेरिका को WHO से बाहर कर देते हैं, तो इसका वैश्विक स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर असर पड़ेगा। WHO जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्था का सदस्य बनने से देशों को महामारी नियंत्रण, टीकाकरण कार्यक्रमों, और अन्य वैश्विक स्वास्थ्य संकटों के समाधान में सहयोग मिलता है। अमेरिका का WHO से बाहर होना, वैश्विक स्वास्थ्य प्रयासों में अमेरिकी नेतृत्व को कमजोर कर सकता है और अन्य देशों के लिए स्वास्थ्य नीति को आकार देने में मुश्किलें पैदा कर सकता है। इसके अलावा, अमेरिका को अपने स्वास्थ्य और महामारी नियंत्रण के उपायों के लिए वैश्विक सहयोगियों के साथ नई साझेदारियों और नेटवर्क बनाने होंगे। यह नीति को अधिक संकीर्ण बना सकता है, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संकटों में उसकी भूमिका घट सकती है। WHO से बाहर जाने के बाद, अमेरिका को अपनी स्वास्थ्य सहायता और वैक्सीनेशन कार्यक्रमों के लिए पूरी तरह से अपने ही संसाधनों पर निर्भर रहना पड़ सकता है।

क्या ट्रंप का फैसला स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकता है?
विशेषज्ञों का कहना है कि WHO से बाहर निकलने का कदम स्वास्थ्य संकटों को और बढ़ा सकता है। उदाहरण के लिए, कोविड-19 महामारी ने यह दिखाया कि वैश्विक स्वास्थ्य के मुद्दे के समाधान में अंतरराष्ट्रीय सहयोग कितनी अहम भूमिका निभाता है। अगर अमेरिका WHO से बाहर हो जाता है, तो उसे भविष्य में किसी वैश्विक महामारी या स्वास्थ्य संकट का सामना करते समय अपनी नीति और कार्यक्रमों में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पहले ही कई गंभीर समस्याओं का सामना कर रही है, जैसे स्वास्थ्य बीमा, कम लागत वाले उपचार, और सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में असमानताएं। अगर ट्रंप ने WHO से बाहर जाने का फैसला लिया, तो यह पूरी दुनिया को प्रभावित करने वाले स्वास्थ्य संकटों के समाधान के लिए अमेरिका के प्रभाव को सीमित कर सकता है।

डोनाल्ड ट्रंप का WHO से बाहर जाने का विचार, एक बड़ा और प्रभावशाली कदम साबित हो सकता है, लेकिन इसके साथ ही कई जटिलताएं भी जुड़ी हुई हैं। ट्रंप की सरकार के इस फैसले से न केवल अमेरिकी स्वास्थ्य नीति में बदलाव आएगा, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य व्यवस्था में भी एक खंजर सा असर हो सकता है। हालांकि, यह देखना होगा कि क्या ट्रंप अपने चुनावी भाषणों में दी गई वादों को वास्तविकता में बदलते हैं, और क्या यह फैसला अमेरिकी नागरिकों और वैश्विक समुदाय के लिए किसी दीर्घकालिक समस्या का कारण बनेगा।

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