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Ashwin Exclusive: अश्विन के रिटायरमेंट की स्क्रिप्ट लिखने वाला आज क्यों हैं मौन , इतने बड़े मैच विनर के साथ खेल करने वाला कौन ?

सूत्रों की मानें तो ब्रिसबेन के बाद मेलबर्न और उसके बाद टीम को सिडनी जाना था जहां पर अश्विन का खिलाया जा सकता था क्योंकि ये हर कोई जानता है कि सिडनी में स्पिन फ्रेंडली पिच होती है पर शायद अश्विन के मन में शंका थी कि सिडनी में भी कहीं उनको ड्रॉप कर दिया गया तो वे अपनी नज़रों में गिर जाएँगे. इसी डर ने अश्विन को इतना बड़ा कदम उठाने पर मजबूर कर दिया .

ब्रिसबेन . ड्रा टेस्ट के बाद प्रेस कॉन्फ़्रेंस को लेकर ब्रिस्बेन में अजीब सी गहमागहमी थी, अटकलों का बाज़ार गर्म था और कानाफूसी चरम पर थी. हर कोई बेचैन था क्योंकि मैदान पर हवा कुछ और ही संदेश लेकर प्रेस बॉक्स पहुँची थी . मैच के अंतिम दिन कप्तान रोहित का आना तो बनता था पर उनके साथ जो शख़्स आ रहा था उसके नाम से ही कान खड़े हो गए थे . ये शख़्स था मॉर्डन क्रिकेट का देश का सबसे बड़ा मैच विनर आर अश्विन.

बहती हवा से जो ख़बर चंद मिनट पहले प्रेस बॉक्स पहुँची थी उस पर अश्विन की एक मिनट छियालिस सेकेंड की बात ने मुहर लगा दी . सब सकते में आ गए किसी ने उम्मीद भी नहीं कि था कि ये रिटायरमेंट इतनी जल्दी होगा पर हुआ. अश्विन ने भावुक होते हुए अपनी बात रखी और फिर वहाँ से जाने लगे तो मैंने उनको रोका , तस्वीर ली और उनके चेहरे की मुस्कान और आँखों को पढ़ने की कोशिश की .

संन्यास से पहले लिखी गई थी स्क्रिप्ट

चोट शरीर पर लगे तो इंसान सह जाता है पर चोट दिल पर लगे तो वो भूला जाता है और ना ही वो आसानी से ठीक होती हैं . प्रेस कांफ्रेंस में अश्विन की उस लाइन पर जरा गौर कीजिएगा जहां वो कहते हालाँकि उनके अंदर अभी क्रिकेट बाक़ी है पर वो अब क्लब के लिए अपना सेवा देंगे. मतलब साफ़ है जो कुछ पर्थ एडीलेड और ब्रिस्बेन में हुआ वो एक महान गेंदबाज़ की गरिमा को चोट पहुँचाने जैसा था . अश्विन के साथ सबकुछ मानो स्क्रिप्ट के हिसाब से चल रहा था . पर्थ में जानबूझकर अश्विन के ऊपर वॉशिंगटन सुंदर को तरजीह दी गई, टीम मैनेजमेंट ने क्यों ऐसा किया ये आज समझ आता है , क्योंकि अश्विन जैसे गेंदबाज़ को जो 500 से ज़्यादा विकेट ले चुका हो उसको आप बेंच पर बिठाकर एक ऐसे खिलाड़ी को खिला दे जिसकी अगले टेस्ट में जगह पक्की नहीं थी. रोहित लौटे तो अश्विन की पिंक बॉल में वापसी हुई . एडीलेड में भारतीय बल्लेबाज फेल हुए लेकिन ब्रिसबेन में बदलाव हुआ गेंदबाज़ी में, अश्विन के ड्रॉप करके रवींद्र जाडेजा को खिलाया गया . यानि तीन मैच में तीन अलग अलग स्पिनर खेले . साफ़ है कि टीम मैनेजमेंट के पास अपने स्पिन गेंदबाज़ों के लिए कोई ठोस प्लान नहीं था . अश्विन जैसे बड़े मैच विनर को म्यूजिकल चेयर खिलाया जाने लगा जो उनको लगातार परेशान कर रहा था . स्वाभिमान पर लगातार चोट हो रही थी और अश्विन की बेचैनी बढ़ती जा रही थी .सब कुछ स्क्रिप्ट के हिसाब से चल रहा था लगातार अश्विन के क़द को नीचा दिखाया जा रहा था क्योंकि स्क्रिप्ट लिखने वाला जानता था अश्विन टूट जाएँगें और ठीक वैसा ही हुआ.

सिडनी की स्पिन फ़्रेंडली विकेट भी रोक नहीं पाई

अश्विन ने ड्रेसिंग रूम में बड़ी बात कही कि उन्होंने सचिन तेंदुलकर समेत कई बड़े खिलाड़ियों के रिटायर होते देखा है और एक दिन सबको रिटायर होना है पर मेरा सवाल है कि बीच सीरीज़ में क्यों ? क्यों टीम मैनेजमेंट सिडनी तक उनको रोक नहीं पाई . क्यों अश्विन के रातों रात देश जाना पड़ा , ऐसा क्या हुआ कि क्लब क्रिकेट खेलने को तैयार गेंदबाज़ देश के लिए खेलने से मना कर देता है .
ब्रिसबेन के बाद मेलबर्न और उसके बाद टीम को सिडनी जाना था जहां पर अश्विन का खिलाया जा सकता था क्योंकि ये हर कोई जानता है कि सिडनी में स्पिन फ्रेंडली पिच होती है पर शायद अश्विन के मन में शंका थी कि सिडनी में भी कहीं उनको ड्रॉप कर दिया गया तो वे अपनी नज़रों में गिर जाएँगे. इसी डर ने अश्विन को इतना बड़ा कदम उठाने पर मजबूर कर दिया . हैरानी कि बात ये है कि किसी ने ना तो अश्विन से संन्यास लेने पर बात कि और ना ही उनको भरोसा दिया कि आप सिडनी टेस्ट ज़रूर खेलेगें . देश के नंबर स्पिनर के लिए शायद बड़ी बात थी जिसने वो करने पर अश्विन को मजबूर कर दिया जो आज देश में चर्चा का सबसे बड़ा विषय बना हुआ है .

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