चीन ने भ्रष्ट अधिकारी को दी फांसी, भारत में कब होगी कड़ी सजा? आखिर कैसे रुकेगा करप्शन?

चीन ने अपने देश में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए कड़ी सजाओं पर अमल करना शुरू कर दिया है. एक भ्रष्ट सरकारी अधिकारी को फांसी पर लटका दिया गया. इसे साथ ही ये सवाल खड़ा हो गया कि भारत में कब भ्रष्टाचार पर खत्म होगा. आखिर कब भ्रष्टाचारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
नई दिल्ली.
चीन ने मंगलवार को उत्तरी इनर मंगोलिया स्वायत्त क्षेत्र के पूर्व अधिकारी ली जियानपिंग को फांसी दे दी. उसे चीन में अब तक के सबसे बड़े भ्रष्टाचार के मामले में दोषी ठहराया गया था. जिसकी कुल रकम 42.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक थी. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने साफ कहा कि चाहे बड़े पदों पर बैठे ‘बाघ’ हों या निचले स्तर के सरकारी कर्मचारियों जैसी ‘मक्खियां’ हों, अगर कोई भी भ्रष्टाचार का दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इस बयान पर उनकी सरकार में अमल होना भी शुरू हो गया है. इससे चीन में भ्रष्टाचार किस हद तक रुकेगा, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.
फिलहाल बात भारत की करते हैं, जहां पर हर स्तर पर करप्शन ने अपने पांव पसार रखे हैं. अरबों रुपये के बड़े हथियारों के सौदे हों या फिर गर्भवती महिलाओं को मिलने वाली आर्थिक मदद, हर तरह का और हर स्तर का भ्रष्टाचार भारत में आए दिन देखा जा सकता है. इनमें से बोफोर्स घोटाला से लेकर चारा घोटाला जैसे मामले खासे चर्चा में रहे. मगर अनेक ऐसे घोटाले हैं, जिनकी शायद किसी भी तरह से चर्चा नहीं होती है. घोटालेबाजों ने करप्शन करने के इतने तरीके खोज निकाले हैं कि उनको पकड़ने की कल्पना करना भी नामुमकिन है. इनको देश के आला नेताओं और अफसरों का सपोर्ट भी मिलता रहा है.
नेहरू के समय भी भ्रष्टाचार
भारत में जितनी तेजी से भ्रष्टाचार फैला, उतनी ही तेजी से उसे रोकने के लिए उपाय भी किए गए. देश के पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू तो भ्रष्टाचारियों से इतने खफा रहते थे कि एक बार तो उन्होंने घोटालेबाजों को सीधे लैंप पोस्ट पर लटका देने की बात कही थी. मगर भ्रष्टाचार की विषबेल उनके शासन काल में ही फैलनी शुरू हो गई थी. इसकी बानगी जीप घोटाला और हरिदास मूंदड़ा घोटाले में देखी गई थी. मूंदड़ा घोटाला तो खुद उनके दामाद फिरोज गांधी ने उजागर किया था. जिसमें एलआईसी ने सरकारी दबाव में मूंदड़ा की कई कंपनियों में निवेश किया. मगर उसको कई करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा था.
इंदिरा ने घुटने टेके
इसी तरह इंदिरा गांधी के कार्यकाल में भी कई तरह के घोटालों की एक सीरिज सामने आई थी. इनमें मारूति घोटाला और नागरवाला कांड की बड़ी चर्चा हुई थी. जब इंदिरा गांधी से उनके राज में भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों पर सवाल पूछा गया तो एक बार तो उन्होंने साफ-साफ कहा कि करप्शन तो पूरी दुनिया में फैली हुई प्रवृत्ति है. उसको केवल अपने देश में रोका जाना कतई संभव नहीं है. इस ग्लोबल समस्या को उसी स्तर पर खत्म करने के उपाय किए जाने चाहिए. हालांकि उस समय देश में गरीबी और भुखमरी की भारी समस्या थी. मगर फिर भी भ्रष्टाचार की बीमारी से देश को दूर रखना असंभव साबित हुआ. जबकि राजीव गांधी ने कहा था कि सेंटर से 1 रुपया भेजा जाता है और 15 पैसे लोगों तक पहुंचते हैं.
पीएम मोदी के कड़े कदम भी बेअसर
पीएम नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आने के बाद भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कई उपाय किए. इनमें सरकारी योजनाओं का पैसा सीधे लाभार्थियों के खाते में भेजने का रास्ता अपनाया जाना भी शामिल है. सरकार का मानना है कि डायरेक्ट बेनेफिट ट्रॉन्सफर से सरकारी अमले के भ्रष्टाचार को रोकने में काफी मदद मिलेगी. इसके अलावा बड़े स्तर पर करप्शन करने वाली बड़ी मछलियों को शिकंजे में लाने के लिए ईडी लगातार कार्रवाई कर रही है. इसके बावजूद सरकारी बाबुओं के पास से अरबों रुपये की संपत्ति मिल रही है. इसने ये सवाल एक बार फिर खड़ कर दिया कि आखिर देश में कब भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी?