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‘एक देश एक चुनाव’ ‘यह संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है’,: कांग्रेस

‘One Nation One Election’: केंद्र सरकार की तरफ से आज कैबिनेट में ‘एक देश, एक चुनाव’ के विधेयक को मंजूरी दे दी गई है। वहीं इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने इसे संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बताया है।

कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने केंद्र सरकार की तरफ से प्रस्तावित ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति को भेजने की मांग की है, उनका कहना है कि यह विधेयक लोकतंत्र को कमजोर करता है। कांग्रेस सांसद ने कहा कि, यह विधेयक संसद में पेश किया जाएगा, और हम चाहते हैं कि पहले इसे संयुक्त संसदीय समिति को भेजा जाए, जो इस पर चर्चा करेगी।

‘यह लोकतंत्र और संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ’
उन्होंने आगे कहा कि, पिछले साल पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थिति स्पष्ट की थी, जिन्होंने एक राष्ट्र, एक चुनाव पर पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की समिति को चार पन्नों का पत्र भेजा था, जिसमें कहा गया था कि हम इस विधेयक का विरोध करते हैं। उन्होंने आगे टिप्पणी की, ‘यह लोकतंत्र और संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है।’

गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दी मंंजूरी
बता दें कि, इससे पहले गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक को मंजूरी दे दी, जिससे संसद में इसे पेश करने का रास्ता साफ हो गया। इस विधयेक की मंजूरी को देश भर में एक साथ चुनाव लागू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है, जिसके जल्द ही एक व्यापक विधेयक पेश किए जाने की उम्मीद है।

केंद्र सरकार को आम सहमति बनानी चाहिए- कोविंद
इससे पहले, बुधवार को भारत के पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने इस पहल पर आम सहमति के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह राजनीतिक हितों से परे है और पूरे देश की सेवा करता है। इस मुद्दे की जांच करने वाली समिति की अध्यक्षता कर रहे कोविंद ने इसके संभावित आर्थिक लाभों पर प्रकाश डाला। पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि, ‘केंद्र सरकार को आम सहमति बनानी चाहिए। यह किसी पार्टी के हितों के बारे में नहीं बल्कि राष्ट्र के कल्याण के बारे में है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि एक राष्ट्र, एक चुनाव को लागू करने से देश की जीडीपी में 1-1.5 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो सकती है।

जबकि इससे पहले सितंबर में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 100 दिनों के भीतर एक साथ लोकसभा, विधानसभा, शहरी निकाय और पंचायत चुनाव कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट में सिफारिशों का विस्तृत विवरण दिया गया था।

पीएम ने कैबिनेट के फैसले को बताया मील का पत्थर
वहीं कैबिनेट की मंजूरी के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस निर्णय को भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने में एक मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा, कैबिनेट ने एक साथ चुनाव पर उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है। मैं इस प्रयास का नेतृत्व करने और हितधारकों के व्यापक स्पेक्ट्रम से परामर्श करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद जी की सराहना करता हूं। यह हमारे लोकतंत्र को और अधिक जीवंत और सहभागी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

 

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