दिल्ली

सर्वे: 66 फीसदी व्यापारियों को देनी पड़ रही घूस, घूस का 83 फीसदी पैसे की नकदी में हो रही लेनदेन ये हैं हमारे देश की सचाई !

Bribe: लोकल सर्वे के एक सर्वे में दावा किया गया है कि 54 प्रतिशत व्यापारियों को हर हाल में घूस देने के लिए मजबूर किया गया। यानी यदि वे ऐसा न करते तो उनके काम नहीं होते। लगभग आधे (46 प्रतिशत) व्यापारियों ने स्वीकार किया है कि उन्हें अपना टेंडर पास कराने के नाम पर, कागज को आगे बढ़ाने के लिए या काम किए गए पैसे को पाने के लिए अधिकारियों को घूस खिलानी पड़ी है।

 

नई दिल्ली

 

केंद्र से लेकर राज्य सरकारों तक लगातार यही दावा करती हैं कि उनके प्रयासों के कारण घूसखोरी में कमी आई है और शासन-प्रशासन स्वच्छता के साथ काम कर रहे हैं। लेकिन व्यापारियों की बीच किए गए एक सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है कि देश के कम से कम 66 प्रतिशत व्यापारियों को अभी भी अपने कामों के लिए घूस देनी पड़ रही है। घूस की लेनदेन सबसे ज्यादा 83 फीसदी कैश के रूप में किया जा रहा है, जबकि 17 फीसदी मामलों में यह काम उपहारों के माध्यम से किया जाता है।

 

लोकल सर्वे के एक सर्वे में दावा किया गया है कि 54 प्रतिशत व्यापारियों को हर हाल में घूस देने के लिए मजबूर किया गया। यानी यदि वे ऐसा न करते तो उनके काम नहीं होते। लगभग आधे (46 प्रतिशत) व्यापारियों ने स्वीकार किया है कि उन्हें अपना टेंडर पास कराने के नाम पर, कागज को आगे बढ़ाने के लिए या काम किए गए पैसे को पाने के लिए अधिकारियों को घूस खिलानी पड़ी है।

सर्वे में शामिल 41 प्रतिशत व्यापारियों ने माना है कि उन्हें एक से अधिक बार घूस देनी पड़ी है। 24 प्रतिशत लोगों ने माना है कि उन्हें एक या दो बार अधिकारियों को घूस देने की सेवा करनी पड़ी है। 19 प्रतिशत लोगों ने माना है कि उन्हें घूस देने की जरूरत ही नहीं पड़ी, जबकि 16 प्रतिशत लोगों ने माना है कि उन्होंने बिना घूस दिए ही अपना काम कराने में सफलता हासिल कर ली।
इन विभागों में सबसे ज्यादा घूस
व्यापारियों ने माना है कि कुछ विशेष विभाग हैं जहां सबसे ज्यादा लेनदेन करना पड़ता है। इसमें पीएफ का विभाग भी शामिल है जहां कर्मचारियों-कंपनियों की तरफ से अंशदान जमा किया जाता है। इसमें प्रॉपर्टी और स्वास्थ्य जैसे विभाग भी हैं जहां लोगों को आवश्यक सेवाएं लेने के लिए जाना पड़ता है और इसके अलावा लोगों को पास कोई विकल्प नहीं होता।
तकनीकी के प्रयोग से घूस में कमी की उम्मीद
हालांकि, जिन विभागों में जितनी अधिक तकनीकी का प्रयोग हो रहा है, वहां उतनी ही तेजी के साथ करप्शन में कमी आई है। व्यापारियों को अनुमान है कि मशीनीकरण और तकनीकी के बढ़ते प्रभाव के कारण करप्शन में कमी आएगी और कामकाज में पारदर्शिता बढ़ेगी। पिछले वर्षों की तुलना में करप्शन में कमी आने का सबसे बड़ा कारण यह भी हो सकता है।

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