एकनाथ शिंदे को CM बनाना भाजपा की मजबूरी, मामूली चूक से राख से उठ खड़े होंगे उद्धव ठाकरे!

महाराष्ट्र में शिवसना नेता एकनाथ शिंदे को सीएम नहीं बनाए जाने से किसको सबसे ज्यादा फायदा होगा? भाजपा के लिए यह आसान सवाल नहीं है. भले ही वह सबसे बड़ी पार्टी बनी हो लेकिन इस सवाल का जवाब बहुत जटिल है.
Maharashra Chunav Result
महाराष्ट्र में पूरी तरह से एकतरफा आए रिजल्ट ने चुनावी पंडितों की भी बोलती बंद कर दी है. विश्लेषण के लिए अब किसी किंतु-परंतु की गुंजाइश नहीं बची है. ऐसे में अब पूरा मामला महायुती पर आकर टिक गया है. महायुती से सीएम कौन बनेगा इस पर ही विमर्श चल रहा है. इसी कड़ी में हम भी आपको एक सच्चाई से अवगत कराते हैं. अभी की रिपोर्ट के मुताबिक महायुती के सबसे बड़े दल भाजपा के नेता देवेंद्र फडणवीस के सीएम बनने की संभावना सबसे प्रबल है. इस रेस में मौजूदा सीएम एकनाथ शिंदे पिछड़ते दिख रहे हैं. भले ही उनके पास सीटों की संख्या 2022 की तुलना में काफी ज्यादा है. 2024 के विधानसभा चुनाव में शिंदे के पास 57 विधायक हैं, जबकि 2022 में जब उन्होंने शिवसेना को तोड़ा था तब उनके पास करीब 40 विधायक थे. बावजूद इसके भाजपा ने उनको सीएम की कुर्सी थमाई थी. उस वक्त भाजपा के पास 105 विधायक थे.
हालांकि अभी तक एकनाथ शिंदे ने सीएम की कुर्सी को लेकर सरेंडर नहीं किया है. लेकिन, हमारा विश्लेषण इसी पर टिका है कि अगर एकनाथ शिंदे सीएम नहीं बनाए जाते हैं तो सबसे ज्यादा फायदा किसको होगा. दरअसल, एकनाथ शिंदे के सीएम नहीं बनने की स्थिति में 2022 में उनका शिवसेना तोड़ने का पूरा आधार ही निराधार हो जाएगा. 2019 में जिस सीएम पद के लिए उद्धव ठाकरे ने एनडीए का साथ छोड़ा था उसी मुद्दे पर भाजपा ने समझौता कर एकनाथ शिंदे को सीएम पद दिया था.
अजित पवार फैक्टर
अब चीजें बदल गई हैं. भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है. उसके पास अजित पवार जैसे धाकड़ नेता की एनसीपी है. ऐसे में अजित पवार की वजह से पहले ही शिंदे की बार्गेनिंग पावर कम हो गई है. अब भाजपा के पास शिंदे को सीएम बनाने की कोई मजबूरी नहीं है. लेकिन, उसके परदे से पीछे से एक ऐसी ताकत है जो भाजपा को बार-बार यह विचार करने पर मजबूर कर रही है कि शिंदे को सीएम की कुर्सी न देने का परिणाम क्या होगा.
यह ताकत हैं उद्धव ठाकरे. हम सभी को लगता है कि इस चुनाव में उद्धध ठाकरे खत्म हो चुके हैं. लेकिन, सच्चाई कुछ अलग है. दरअसल, मुंबई में उद्धव ठाकरे एक बड़ी ताकत है. यहां लोकसभा की छह और विधानसभा की 36 सीटें हैं. इस विधानसभा चुनाव में मुंबई में ठाकरे गुट का प्रदर्शन अच्छा रहा. उसे 36 में से 10 सीटों पर जीत मिली है वहीं शिंदे गुट को केवल छह सीटें मिली हैं. भाजपा को 14 सीटों पर जीत मिली है.
मुंबई का रिजल्ट
दक्षिणी मुंबई लोकसभा क्षेत्र की तीन सीटों पर शिवसेना उद्धव गुट को जीत मिली है. वर्ली से आदित्य ठाकरे, शिवाडी से अजय चौधरी और बाइकुला से जामसुत्कर विजयी हुए हैं. मुंबई साउथ सेंट्रल लोकसभा में भी छह विधानसभा सीटें हैं. वैसे तो यहां की एक सीट माहिम पर शिवसेना उद्धव गुट को जीत मिली है. वहां से महेश सावंत विजयी हुए हैं. शिवसेना शिंदे गुट को भी यहां केवल एक सीट मिली है.
मुंबई नॉर्थ सेंट्रल लोकसभा क्षेत्र की दो सीटों पर शिवसेना उद्धव गुट विजयी हुई है. वांद्रा ईस्ट से वरुण सरदेसाई और कालिना से संजय पोंटिस विजयी हुए हैं. शिवसेना शिंदे गुट को भी दो ही सीट मिली हैं. मुंबई नॉर्थ ईस्ट लोकसभा क्षेत्र की केवल एक सीट विख्रोली से शिवसेना उद्धव गुट से सुनील राउत विजयी हुए हैं. शिवसेना शिंदे गुट को भांडुप वेस्ट से जीत मिली है.

आदित्य ठाकरे वर्ली सीट से विधायक चुने गए हैं.
मुंबई नार्थ लोकसभा क्षेत्र की किसी भी सीट पर शिवसेना उद्धव गुट को जीत नहीं मिली है. शिवसेना शिंदे गुट को केवल एक सीट मागठाणे में जीत मिली है. मुंबई नॉर्थ वेस्ट लोकसभा क्षेत्र में भी छह सीटें हैं जिसमें से तीन पर शिवसेना उद्धव गुट ने कब्जा जमाया है. इस क्षेत्र की केवल एक सीट अंधेरी ईस्ट पर शिवसेना शिंदे गुट के मुर्जी पटेल विजयी हुए हैं.
बीएमसी चुनाव
मुंबई में विधानसभा चुनाव के बाद बीएमसी चुनाव होने वाले हैं. बीएमसी देश का सबसे अमीर और सबसे बड़ा निकाय है. इसका बजट लाखों करोड़ रुपये का है. ऐसे में इस चुनाव का महत्व किसी मझौले राज्य की विधानसभा से ज्यादा है. फिलहाल बीएमसी में शिवसेना उद्धव गुट का दबदबा है. ऐसे में उद्धव गुट की पहली कोशिश इस बीएमसी चुनाव में जान लगाने की है जिससे कि पार्टी को लगे झटके से उबारा जा सके. उसके लिए ऐसा करना बहुत मुश्किल भी नहीं है क्योंकि इस बुरी स्थिति में भी पार्टी ने मुंबई में अपना जनाधार बचाए रखा है.
एकनाथ शिंदे फैक्टर
एकनाथ शिंदे को सीएम नहीं बनाए जाने से शिवसेना उद्धव गुट को एक बड़ा मुद्दा मिल जाएगा कि भाजपा न केवल उद्धध के साथ नहीं बल्कि अब शिंदे के साथ भी वही खेल कर रही है. इससे शिवसैनिकों की भावना आहत होगी और ऐसी संभावना है कि वे फिर उद्धव के पक्ष में लामबंद हो जाएं. अगर ऐसा होता है तो मुंबई की राजनीति में भूचाल आ जाएगा. इस बात को एकनाथ शिंदे की शिवसेना भी जानती है. वह शिंदे को सीएम बनाने के पीछे इस तर्क को मजबूती रख भी रही है.