याचिका दाखिल करने के बाद से लेकर अब तक इस बाबत दिल्ली हाईकोर्ट में एक लंबी बहस चली और अंततः अदालत ने चुनाव आयोग को वोटिंग मशीन में उम्मीदवारों की फोटो रंगीन लगाने पर उसकी राय पूछ लिया है। बहस के दौरान मौखिक टिप्पणी में अदालत ने यह भी कहा है कि यदि चुनाव आयोग इस पर कोई अंतिम राय नहीं बताता है तो अदालत इससे संबंधित मामले पर विचार कर सकती है।
दिल्ली
महाराष्ट्र-झारखंड में मतदान के दिन दिल्ली उच्च न्यायालय से बड़ी खबर सामने आई है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग से इस बात पर उसका जवाब मांगा है कि चुनाव मत पत्रों या ईवीएम पर उम्मीदवारों की फोटो रंगीन क्यों नहीं होनी चाहिए? यदि ईवीएम में उम्मीदवारों की फोटो रंगीन लगाने संबंधी आदेश जारी हो जाता है तो यह चुनावी इतिहास में एक बड़ा बदलाव होगा। इसके बाद मतदाताओं का वोट देने का अनुभव बदल जाएगा। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक सप्ताह में इसके बाबत चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। इस मामले पर अगली सुनवाई 20 फरवरी को होगी।
दरअसल, प्रताप चंद्र नाम के एक व्यक्ति ने 2019 में दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर कहा था कि वोटिंग मशीन में श्वेत-श्याम फोटो होने से मतदाताओं को अपने मनपसंद उम्मीदवार को पहचानने में परेशानी होती है। कई बार यह भ्रम पैदा करता है। चुनाव आयोग पहले ही वोटिंग आई कार्ड सहित अनेक स्थानों पर रंगीन फोटो लगाना अनिवार्य कर चुका है। ऐसे में अब मतदाताओं को उम्मीदवारों का रंगीन फोटो न उपलब्ध कराना गलत होगा। याचिकाकर्ता प्रताप चंद्र राष्ट्रीय राष्ट्रवादी पार्टी नाम के एक राजनीतिक दल के अध्यक्ष भी हैं।
याचिका दाखिल करने के बाद से लेकर अब तक इस बाबत दिल्ली हाईकोर्ट में एक लंबी बहस चली और अंततः अदालत ने चुनाव आयोग को वोटिंग मशीन में उम्मीदवारों की फोटो रंगीन लगाने पर उसकी राय पूछ लिया है। बहस के दौरान मौखिक टिप्पणी में अदालत ने यह भी कहा है कि यदि चुनाव आयोग इस पर कोई अंतिम राय नहीं बताता है तो अदालत इससे संबंधित मामले पर विचार कर सकती है।
दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस प्रतीक जालान की एक सदस्यीय पीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए दोनों पक्षों की बहस सुनी। प्रताप चंद्रा ने व्यक्तिगत बहस किया और कहा कि वोटिंग मशीन/मतपत्र पर प्रत्याशियों की फोटो ब्लैक एंड व्हाइट लगने से सुविधा के बजाए और भ्रांति होती है। आयोग भी पहले ब्लैक एंड व्हाइट फोटो लगाकर वोटर कार्ड बनाता था, किन्तु अब वोटर कार्ड में रंगीन फोटो लगती है। उनके अनुसार, अब वोटिंग मशीन/मतपत्र पर रंगीन फोटो न लगाने का कोई कारण नहीं है। अदालत ने याचिकाकर्ता के इस तर्क को तर्कसंगत पाया।
जस्टिस प्रतीक जालान ने चुनाव आयोग से माना कि चुनाव आयोग द्वारा पेश की गई दलीलें तर्कपूर्ण नहीं हैं। अदालत ने आयोग से कहा है कि उम्मीदवारों की फोटो रंगीन लगाने में कोई हर्ज नहीं है, इसलिए एक हफ्ते में इस पर अपना हलफ़नामा दाखिल करें।
प्रताप चंद्र ने अमर उजाला को बताया कि प्रत्याशियों की फोटो जो ब्लैक एंड व्हाइट फोटो लगाई जाती है, उससे मतदाताओं को कम पहचान में आता है। कई बार ऐसे में गलत उम्मीदवार को वोट चला जाता है तो कभी वोट खराब हो जाता है। लेकिन यदि प्रत्याशियों की फोटो रंगीन होगी तो मतदाता अपने पसंद के प्रत्याशी को पहचानने में कोई गलती नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि देश की चुनावी प्रक्रिया में यह एक बड़ा बदलाव होगा। इसके लिए चुनाव आयोग से कई बार मांग किया गया था, किन्तु आयोग ने कोई आदेश नहीं किया। इसके बाद अंततः उन्हें अदालत की शरण लेनी पड़ी थी।
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