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कांग्रेस के आरोपों पर चुप क्यों है’केन्द्र सरकार व भाजपा चुप रहना भी सवालिया निशान ?

सेबी (सेक्यूरिटिज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) की अध्यक्ष माधवी बुच को लेकर विवाद गहराता जा रहा है……

सेबी (सेक्यूरिटिज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) की अध्यक्ष माधवी बुच को लेकर विवाद गहराता जा रहा है, और जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं, संकेत और भी साफ होते जा रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार उन्हें बचाने की कोशिश कर रही है। अब मामला सिर्फ बचाने तक का नहीं रह गया है वरन, जैसा कि कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा कह रहे हैं कि, ‘माधवी बुच सरकार को ब्लैक मेल कर रही हैं।’ जबसे सेबी चेयरपर्सन माधवी बुच द्वारा विवादास्पद शेल कम्पनी में पति सहित उनके द्वारा निवेश किये जाने एवं सेबी के अलावा अन्य कम्पनियों से आर्थिक लाभ लेने की खबरें आई हैं, कांग्रेस लगातार सवाल कर रही है। केन्द्र सरकार ही नहीं, भाजपा भी उन्हें बचाने हेतु दौड़ी चली आती है। बुलाये जाने के बावजूद माधवी बुच के पिछले गुरुवार को सार्वजनिक लेखा समिति (पीएसी) के समक्ष उपस्थित न होने से उनके तथा सरकार के संशयास्पद रिश्ते और प्रगाढ़ दिखते हैं।

पवन खेड़ा ने प्रेस कांफ्रेंस में आरोप लगाया कि सरकार बुच को बचा रही है। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा सोमवार को जारी वीडियो का हवाला दिया जिनमें राहुल पूछ रहे हैं कि ‘केन्द्र सरकार के सामने ऐसी क्या मजबूरी है कि वह बुच को बचा रही है? क्या माधवी सरकार को ब्लैकमेल कर रही हैं?’ राहुल गांधी ने यह भी चेताया कि ‘लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित किसी भी सरकार के लिये यह सम्भव नहीं होता कि वह किसी दागी व्यक्ति को बचाये जिसके बारे में सार्वजनिक डोमेन में स्पष्ट आरोप हों।’ राहुल गांधी द्वारा अपलोड किये गये इन वीडियो में पवन खेड़ा बुच पर लगे आरोपों की बारीकियां समझाते दिख रहे हैं।

इसके पहले 24 अक्टूबर (गुरुवार) को भी राहुल गांधी ने एक वीडियो जारी किया था जिसमें उन्होंने बताया था कि कांग्रेस के महासचिव एवं सांसद केसी वेणुगोपाल की अध्यक्षता में पीएसी की इस मसले पर उस दिन आयोजित बैठक में माधवी बुच को उपस्थित होना था लेकिन वे यह कहकर उपस्थित नहीं हुईं कि ‘उनके लिये अभी मुम्बई से दिल्ली की यात्रा करना मुमकिन नहीं है।’ इसे लेकर राहुल ने भाजपा पर बड़ा हमला करते हुए कहा था कि ‘कोई तो है जो उन्हें (बुच को) पीएसी के प्रति जवाबदेह बनने से रोक रहा है।’ राहुल ने पूछा था कि ‘आखिर क्यों माधवी बुच पीएसी के सवालों का जवाब देने से कतरा रही हैं और उन्हें बचाने की किसकी योजना है?’ राहुल ने यह सारा कुछ अपने एक्स अकाउंट पर भी अपलोड किया है।

बुच के न आने से पीएसी की बैठक को रद्द करना पड़ा था। इसके बाद वेणुगोपाल ने पत्रकारों को बतलाया था कि उन्हें सुबह ही माधवी बुच ने सूचित किया था कि वे दिल्ली आने में असमर्थ हैं। वैसे इसी वर्ष सितम्बर में जब उन्हें लेकर अनेक खुलासे हुए थे तब माधवी एवं उनके पति धवल बुच ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा था कि उन दोनों के खिलाफ लगाये गये सारे आरोप झूठे, असत्य और दुर्भावनापूर्ण हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि उन दोनों के इन्कम टैक्स रिटर्न को आरोप लगाने वालों ने अवैधानिक तरीके तथा धोखाधड़ी से हासिल किये हैं।

जिन वीडियोज़ का ज़िक्र ऊपर किया गया है वे दरअसल राहुल तथा पवन के पॉडकॉस्ट के हिस्से हैं। इनमें राहुल अपने पार्टी सहयोगी से यह कहते सुने गये हैं कि उन्होंने सेबी अध्यक्ष के खिलाफ काफी सबूत जुटाये हैं। पवन खेड़ा इस बात का सिलसिलेवार ब्यौरा दे रहे हैं कि कैसे एक नियामक संस्था सेबी को सुनियोजित तरीके से कमजोर कर दिया गया जिसका विपरीत असर करोड़ों निवेशकों पर पड़ा है। सेबी का नेतृत्व इन सबकी कीमत पर बड़े कारोबारी घरानों के हितों की रक्षा कर रहा है। बुच कार्पोरेट एजेंडा को जांचने या लगाम लगाने की बजाये उसे और आगे बढ़ा रही हैं। खेड़ा ने याद दिलाया कि 2022 में यह पद सम्हालने वाली बुच निजी क्षेत्र से आई थीं और पहली बार ऐसा हुआ था (इसके पहले कोई वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ही यह पद सम्हालता आया था)। उम्मीदों के अनुरूप उन्होंने निजी क्षेत्र के हित पोषण का ही काम किया है।

माधवी बुच तब चर्चा में आई थीं जब हिंडेनबर्ग रिपोर्ट ने खुलासा किया था कि उन्होंने तथा उनके पति ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करीबी कहे जाने वाले गौतम अदानी के भाई विनोद अदानी की ऑफशोर कम्पनियों में निवेश किया हुआ है। हालांकि दोनों ने अपने बही-खातों तथा जीवन को खुली किताब बतलाया था।

वैसे पुराने आरोपों के अलावा मंगलवार की प्रेसवार्ता में पवन खेड़ा ने एक नया आरोप जड़ दिया है। उन्होंने खुलासा किया कि सेबी चीफ के विनोद अदानी की कम्पनी के अलावा प्रेडिबल हेल्थ प्राइवेट लिमिटेड में भी शेयर हैं और वहां भी वे पूर्णकालिक सदस्य का पद धारण की हुई हैं। इसे हितों के टकराव की संज्ञा देते हुए खेड़ा ने बताया कि यह ‘एकाधिकार बचाओ समूह’ है जो अदानी ग्रुप, प्रमुख नियामक संस्था (आशय: सेबी) तथा भाजपा का ‘खतरनाक गठजोड़’ है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बुच ने अपनी एक प्रॉपर्टी को ऐसी कम्पनी को किराये पर चढ़ाया है जो निजी तौर पर इंडियाबुल्स ग्रुप से सम्बद्ध है और जो फिलहाल जांच के दायरे में है। वैसे तो अब तक बुच दम्पति में से किसी का भी या अदानी गु्रप का इन आरोपों पर स्पष्टीकरण नहीं आया है लेकिन इस मामले पर सरकार का चुप रहना भी सवालिया निशान खड़ा करता है कि आखिर ब्लैकमेलिंग जैसे गंभीर आरोप जब कांग्रेस की तरफ से लग रहे हैं, तब भी सरकार अपना पक्ष क्यों नहीं रख रही। आखिर चुप्पी तोड़ने के लिए वह किस मौके का इंतजार कर रही है।

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