‘आपराधिक इतिहास वाले आरोपी को जमानत देने से पहले विचार करें अदालतें’, सुप्रीम कोर्ट

सर्वोच्च अदालत ने मद्रास हाईकोर्ट के एक आदेश को गलत करार देते हुए उसे रद्द कर दिया। हाईकोर्ट ने भारी मात्रा में गांजा जब्ती से संबंधित एक मामले में आरोपी को अग्रिम जमानत दी थी।
नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने मादक पदार्थ जब्ती मामले और आपराधिक इतिहास वाले आरोपियों को नियमित जमानत देने को लेकर अहम टिप्पणी की है। सोमवार को एक मामले में सुनवाई करते हुए शीर्ष कोर्ट ने कहा कि अदालतों को उन मामलों में आरोपी को नियमित जमानत देने पर विचार करना चाहिए, जिसमें भारी मात्रा में मादक पदार्थ जब्त किए गए हों, खासकर जब आरोपी का आपराधिक इतिहास हो।
सर्वोच्च अदालत ने मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश को गलत करार देते हुए रद्द कर दिया, जिसमें 232.5 किलोग्राम गांजा जब्ती से संबंधित एक मामले में एक आरोपी को अग्रिम जमानत दी गई थी। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट इस बात पर विचार करने में विफल रहा कि आरोपी का आपराधिक इतिहास है और उसे पहले से ही नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत दो मामलों में दोषी ठहराया गया था।
पीठ ने 12 फरवरी को पारित अपने आदेश में कहा, इतनी भारी मात्रा में मादक पदार्थ की जब्ती मामले में अदालतों को आरोपी को नियमित जमानत देने में विचार करना चाहिए, अग्रिम जमानत पर तो विचार ही नहीं करना चाहिए, खासकर जब आरोपी का आपराधिक इतिहास हो। पीठ मद्रास हाईकोर्ट के जनवरी 2022 के आदेश के खिलाफ तमिलनाडु सरकार की ओर से दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी। हाईकोर्ट ने एनडीपीएस अधिनियम के तहत दर्ज मामले में आरोपी को अग्रिम जमानत दी थी।