बेटी को बचाने मां लगाएगी जान की बाजी! भारत सरकार ने खड़े कर दिए थे हाथ, मिली वॉर जोन में जाने की इजाजत

दिल्ली हाई कोर्ट ने भारत संघ को याचिकाकर्ता के लिए अधिसूचना में ढील देने का निर्देश दिया है. याचिकाकर्ता ने हलफनामा दायर किया है कि वह भारत संघ या संबंधित राज्य सरकार के दायित्व के बिना अपने व्यक्तिगत जोखिम पर बेटी की रिहाई के लिए बातचीत करने के लिए यमन की यात्रा करेंगी.
नई दिल्ली.
मौत की सजा पा चुकी भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की मां अपनी बेटी की जान बचाने के लिए युद्धग्रस्त यमन जाएगी. दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को मूल रूप से केरल की रहने वाली नर्स की मां को अपने रिस्क पर यमन जाने की इजाजत दे दी है. अदालत की तरफ से यह साफ कर दिया गया है कि अगर उन्हें यमन में कुछ हुआ तो इसमें भारत सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी. ‘ब्लड मनी’ देकर यह मां अपनी बेटी की जान बचाना चाहती है. न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार से कहा कि वो अपनी ट्रेवल एडवाइजरी में थोड़ा ढील दें, ताकि यह मां यमन की यात्रा कर सके.
मौजूदा वक्त में भारत यमन के लिए वीजा जारी नहीं करता है. यमनी की राजधानी सना में एक एयरलाइन के सीईओ के रूप में कार्यरत भारतीय सैमुअल जेरोम के नर्स प्रिया की मां प्रेमा कुमारी के साथ यात्रा करने की उम्मीद है. सैमुअल भारत सरकार के प्रति किसी भी दायित्व के बिना, संबंधित अधिकारियों के साथ बातचीत करने में उसकी मदद करेंगे. आदेश में कहा गया, ‘अदालत भारत संघ को याचिकाकर्ता के लिए अधिसूचना में ढील देने का निर्देश दिया है. याचिकाकर्ता ने हलफनामा दायर किया है कि वह भारत संघ या संबंधित राज्य सरकार के दायित्व के बिना अपने व्यक्तिगत जोखिम पर बेटी की रिहाई के लिए बातचीत करने के लिए सैमुअल के साथ यमन की यात्रा करेंगी.’
भारत सरकार ने क्यों नहीं दी इजाजत?
सना पर हूती विद्रोहियों का नियंत्रण है, जो सउदी अरब में निर्वासित होकर आधिकारिक सरकार के साथ गृह युद्ध में उलझे हुए हैं. नई दिल्ली हूतियों को मान्यता नहीं देता है. यही वजह है कि दोनों देशों के बीच कोई राजनयिक संबंध नहीं हैं. पिछले हफ्ते सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा कि मां को भेजने से खतरनाक स्थिति पैदा हो सकती है, जहां उनकी सुरक्षा से भी समझौता किया जा सकता है.
क्या है पूरा मामला?
आठ साल के बच्चे की मां प्रिया निमिषा 2011 से यमन के सना में काम करती थी. प्रिया साल 2017 में यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या की दोषी है. महदी के कब्जे से अपना पासपोर्ट छुड़ाने के लिए प्रिया ने उसे इंजेक्शन में नशीला पदार्थ दे दिया था. बेहोशी की दवा के ओवरडोज से महदी की मौत हो गई. इस मामले में प्रिया और एक अन्य शख्स को मौत की सजा सुनाई गई। मां ने हाई कोर्ट के समक्ष याचिका में कहा कि बेटी की जान बचाने के लिए वो यमन में मृतक के परिवार से “ब्लड मनी” देने पर बातचीत करना चाहती हैं. ब्लड मनी से तात्पर्य किसी अपराधी या उसके परिजनों द्वारा पीड़ित के परिवार को दिए जाने वाले मुआवजे से है.