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जम्मू-कश्मीर में उम्मीदों की सरकार क्या केंद्र की मोदी सरकार ये नई सरकार को खरा उतर ने देगी ?

हिंसा और राज्य समर्थित दमन के 10 वर्षों के बाद जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस व नेशनल कांफ्रेंस की गठबन्धन वाली सरकार बनी है तो स्वाभाविकत: लोगों के मन में उसे लेकर बड़ी उम्मीदें हैंपर क्या केंद्रकी मोदी सरकार ये नई सरकारको खरा उतरने देंगी या भाजपा का कुख्यात ‘ऑपरेशन लोटस’ फिर से सक्रिय………?

 

हिंसा और राज्य समर्थित दमन के 10 वर्षों के बाद जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस व नेशनल कांफ्रेंस की गठबन्धन वाली सरकार बनी है तो स्वाभाविकत: लोगों के मन में उसे लेकर बड़ी उम्मीदें हैं। ये आशाएं केवल उस राज्य में रहने वालों को ही नहीं वरन देश-विदेश में रहने वाले हर उस व्यक्ति की हैं जो उस राज्य की स्थिति को लेकर दुखी हैं। 5 अगस्त, 2019 को भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त कर जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा छीन लिया था। वहां आतंकवाद के सफाये के नाम पर नागरिकों पर जुल्म ढाये गये। पिछले एक दशक तक प्रदेश प्रतिनिधित्व विहीन रहा। भाजपा का एक नुमाइंदा प्रशासक बनकर राज्य को हांकता रहा। इसे लेकर जो बड़े-बड़े दावे भाजपा और केन्द्र सरकार ने किये थे, वे कुछ भी पूरे नहीं हुए। उल्टे जम्मू-कश्मीर विकास की दौड़ में पिछड़ता चला गया।

नयी सरकार से लोगों को उम्मीद है कि वह लोगों के ज़ख्मों पर मरहम लगाये और सूबे को विकसित करे। हिंसा और नफ़रत को खत्म कर यहां कश्मीरियत की वह इबारत फिर से लिखे जाने की ज़रूरत है, जिसे पिछले बरसों में पूर्णत: मिटाने की कोशिश की गयी। इस प्रांत में रहने वालों के प्रति भाजपा की घृणा जगजाहिर है। इसी नफरती भावना के चलते 370 समाप्त तो कर दी गयी लेकिन केन्द्र सरकार को उसके बाद यह नहीं पता चल सका कि अब क्या करना है। बताया गया था कि अनुच्छेद 370 ही सारी समस्याओं की जड़ है और इसके हटते ही कश्मीर में शांति और विकास की गंगा बहने लगेगी। वैसे साफ था कि केन्द्र सरकार की दिलचस्पी जम्मू-कश्मीर के लोगों में नहीं बल्कि यहां के व्यवसाय और यहां की जमीनों को हड़पने में है। आरोप लगे कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यहां के प्रमुख कारोबार अपने व्यवसायी मित्रों को सौंपना चाहते हैं। सम्भवत: बाद में उन्हें और उनके दोस्तों को एहसास हुआ होगा कि इस प्रांत को सम्हालना वैसा आसान नहीं है. जैसा वे सोच रहे थे। हकीकत यह है कि धारा 370 के खत्म करने से यहां कुछ भी हासिल नहीं हुआ। नागरिकों का जो नुकसान हुआ वह अपनी जगह पर है।

जम्मू-कश्मीर की जो नयी सरकार बनने जा रही है, उसे कुछ बातों का ख्याल रखना होगा। पहली तो यह कि सरकार को गिराने की हरसम्भव कोशिश होगी क्योंकि यह भाजपा की नाक का सवाल है और धु्रवीकरण का उपकरण भी। प्रचारित यह किया गया था कि अनुच्छेद 370 हटने से यहां के नागरिक खुश हैं और खुशहाली बहाल हुई है। सत्ता पाने के लिये जम्मू में 5 सीटें बढ़ाई भी गईं। फिर, एक अशांत सीमा से लगे होने के कारण केन्द्र के माध्यम से भाजपा द्वारा प्रदेश सरकार को अस्थिर करने की भरपूर कोशिशें होंगी। जम्मू-कश्मीर के जो हालात हैं, ऐसे अवसर मिल सकते हैं। न हों तो बनाये जा सकते हैं। भाजपा का कुख्यात ‘ऑपरेशन लोटस’ फिर से सक्रिय करने के भी प्रयास होंगे। हालांकि नयी विधानसभा में जो दलीय स्थिति है, उसके चलते फिलहाल उसकी गुंजाइश नहीं है परन्तु भाजपा इस सरकार को गिराने के रास्ते तैयार करती ही रहेगी। दूसरे, वह यह भी ख्याल रखे कि इस सरकार को पाने के लिये यहां की गैर भाजपायी सियासती पार्टियों को अनेक तरह की तकलीफें उठानी पड़ी हैं। 370 का विलय करने के बाद पूरी घाटी में असंतोष था। लोगों का दमन करने के लिये सरकार ने कई क्रूर कार्रवाइयां कीं। इनमें अंधाधुंध गिरफ्तारियां, गोलीचालन आदि से लेकर लम्बे-लम्बे कर्फ्यू तथा इंटरनेटबंदी आदि शामिल है। ऐसे ही, प्रशासक बैठाकर जनप्रतिनिधियों को अप्रासंगिक बनाया गया।

गठबन्धन वाली इस सरकार को बनाने में राहुल गांधी का बड़ा योगदान रहा है। 7 सितम्बर, 2022 को कन्याकुमारी से निकली उनकी पहली भारत जोड़ो यात्रा कश्मीर के श्रीनगर स्थित लाल चौक पर खत्म हुई थी। 30 जनवरी, 2023 को इस अवसर पर बर्फबारी के बीच राहुल के दिये भाषण ने यहां के लोगों तथा भाजपा विरोधी राजनीतिक दलों- खासकर नेशनल कांफ्रेंस एवं पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी को बड़ा हौसला दिया था। स्थानीय कारणों से पीडीपी ने अलग चुनाव लड़ा था- बावजूद इसके कि वह राष्ट्रीय स्तर पर बने संयुक्त विपक्षी गठबन्धन इंडिया का हिस्सा है। दोनों पार्टियों का इतिहास देखें तो वे कभी न कभी केन्द्र हो या राज्य में भाजपा के साथ सत्ता में भागीदारी निभा चुकी हैं। वैसे तो अनुच्छेद 370 हटाने के कारण कश्मीर में भाजपा के खिलाफ माहौल है जिसके चलते कोई भी पार्टी भाजपा के साथ मिलकर सरकार गिराने में मदद नहीं करेगी। तो भी राजनीति में कब क्या हो जाये कुछ भी नहीं कहा जा सकता।

नयी सरकार को चाहिये कि अनुच्छेद 370 खत्म करने तथा राज्य का दर्जा वापस पाने के लिये केन्द्र पर दबाव डाले। हालांकि यह आसान नहीं है लेकिन लोगों की सबसे बड़ी अपेक्षा यही है। जम्मू के लोग भी 370 के विलोपन के खिलाफ रहे हैं परन्तु भाजपा विधायक मदद नहीं करेंगे जिन्हें जम्मू क्षेत्र में अच्छा जन समर्थन मिला है। अपने चुनाव प्रचार में राहुल ने इसका आश्वासन दिया था। नब्बे के दशक में घाटी से पलायन कर गये कश्मीरी पंडितों की वापसी भी एक मुद्दा है। नयी सरकार इस दिशा में गम्भीरतापूर्वक काम करे। इसके साथ ही वह राज्य के आर्थिक पुनरुत्थान की कोशिशें करे। पर्यटन के अलावा बागवानी, हस्तशिल्प, दस्तकारी आदि अनेक क्षेत्र हैं जो तबाह हो चुके हैं। इनका फिर से विकास हो ताकि लोगों को रोजगार मिले। चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस व एनसी ने जो वादे किये थे, वे जल्दी पूरे हों।

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