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लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा अगर…’, सुप्रीम कोर्ट की LG को खरी-खरी, पूछा- चुनाव में बाधा कैसे डाल सकते हैं?

दिल्‍ली नगर निगम की स्‍थायी समिति के छठवें सदस्‍य के चुनाव का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. कोर्ट ने दिल्‍ली के LG वीके सक्‍सेना को जल्‍दबाजी के लिए फटकार लगाई है.

नई दिल्ली.

दिल्‍ली नगर निगम (MCD) की स्‍थायी समिति के छठे सदस्‍य के चुनाव का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने स्‍पष्‍ट शब्‍दों में दिल्‍ली के उपराज्‍यपाल कार्यालय को निर्देश दिया है कि जब तक अदालत MCD की मेयर शैली ओबेरॉय की याचिका पर सुनवाई न कर ले नगर निगम के अध्‍यक्ष का चुनाव न कराया जाए. बता दें कि उपराज्‍यपाल (LG) वीके सक्‍सेना ने निगम की स्‍थायी समिति के आखिरी (छठे) सदस्‍य का चुनाव तत्‍काल कराने का आदेश दिया था. आम आदमी पार्टी के पार्षदों ने LG के फैसले का विरोध करते हुए चुनाव प्रक्रिया में हिस्‍सा नहीं लिया था. इस तरह बीजेपी का उम्‍मीदवार निर्विरोध चुन लिए गए थे.

MCD मेयर शेली ओबेरॉय की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस पीएस नरसिम्‍हा और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने एलजी वीके सक्‍सेना को खरी-खरी सुनाई. शीर्ष अदालत ने नगर निगम की स्‍टैंडिंग कमेटी के छठे सदस्‍य का चुनाव कराने में एलजी ऑफिस की ओर से की गई अत्‍यधिक जल्‍दबाजी पर सवाल उठाया. साथ ही सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने स्‍पष्‍ट तौर पर एलजी ऑफिस को निर्देश दिया कि वह स्थायी समिति के अध्यक्ष पद का चुनाव तब तक न कराए जब तक कोर्ट 27 सितंबर को हुए स्थायी समिति चुनाव के खिलाफ मेयर शैली ओबेरॉय की याचिका पर सुनवाई न कर ले.

सख्‍त निर्देश
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने LG ऑफिस की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट संजय जैन से कहा, ‘यदि आप एमसीडी स्थायी समिति के अध्यक्ष के लिए चुनाव कराते हैं तो हम इसे गंभीरता से लेंगे.’ कोर्ट ने आगे कि शुरुआत में अदालत इस याचिका पर विचार करने की इच्छुक नहीं थी, लेकिन उपराज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से दिल्ली नगरपालिका अधिनियम की धारा 487 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करने के निर्णय के कारण नोटिस जारी करना पड़ा.

‘लोकतंत्र के लिए खतरा’
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्‍ली के उपराज्‍यपाल को खरी-खरी सुनाई. शीर्ष अदाल ने उपराज्यपाल से कहा, ‘यदि आप दिल्ली नगर निगम अधिनियम की धारा 487 के तहत एग्जिक्‍यूटिव पावर का इस्तेमाल करना शुरू करते हैं तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा. आप चुनावी प्रक्रिया में बाधा कैसे डाल सकते हैं?’ सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने दिल्‍ली के एलजी से दो सप्ताह में जवाब मांगा और मामले की सुनवाई दशहरा की छुट्टियों के बाद तय की है. नियमानुसार सिर्फ मेयर ही इस बात का निर्णय ले सकता है कि एमसीडी की स्‍टैंडिंग कमेटी के सदस्‍यों का चुनाव कब और कहां होगा. साथ ही सिर्फ मेयर ही चुनाव के लिए पार्षदों की बैठक की अध्‍यक्षता करेंगे.

 

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