क्या आपके पास है LMV लाइसेंस? अब कार ही नहीं इन कमर्शियल वाहन को चलाने की मिली इजाजत, सुप्रीम कोर्ट का फैसला

पहले यह मामला सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच के पास था. मामले की गंभीरता को देखते हुए इस मामले को पांच जजों की संविधान बैंच के पास भेज दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला लिया कि 7500 किलो से कम वजन वाले ट्रांसपोर्ट वाहन एलएमवी यानी लो मोटर व्हिकल की श्रेणी में आएंगे या नही.
नई दिल्ली.
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को साफ कर दिया हल्के मोटर वाहन यानी एलएमवी वाले ड्राइविंग लाइसेंस होल्डर 7,500 किलोग्राम तक के भारी परिवहन वाहन को चला सकेंगे. चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ का यह निर्णय बीमा कंपनियों के लिए एक बड़ा झटका है. कंपनी इस आधार पर बीमे की रकम देने से बचने का प्रयास कर रही थी. 5 जजों की बेंच ने उनके दावे को खारिज कर दिया. नए नियम के तहत अब कार के अलावा छोटा हाथी सहित इस श्रेणी में आने वाले हल्के कमर्शियल वाहनों को एलएमवी लाइसेंस के साथ चलाने का रास्ता अब साफ हो गया है. हालांकि बड़े ट्रक चलाने के लिए लोगों को अलग से लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा.
इस मुद्दे पर सभी 5 जज एकमत दिखे. फैसला लिखने वाले जस्टिस ऋषिकेश रॉय ने कहा कि इस बात के कोई ठोस सबूत नहीं हैं कि एलएमवी लाइसेंस धारक सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि के लिए जिम्मेदार हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एलएमवी लाइसेंस वाले ड्राइवर जो सड़क पर सबसे अधिक समय बिताते हैं, उनकी शिकायतें जायज हैं और उन्हें तकनीकी आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता. पेश मामले में जुलाई 2023 से सात दिनों तक बेंच ने सुरक्षा और आजीविका पर दलीलें सुनीं थी. इस मुद्दे को मार्च 2022 में तीन जजों की बेंच ने सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के पास सुनवाई के लिए भेज दिया था.
2017 के अदालती फैसले में थी कमी
तब यह पाया गया था कि मुकुंद देवांगन बनाम ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड केस में कोर्ट के 2017 के फैसले में मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के कुछ प्रावधानों पर ध्यान नहीं दिया था जबकि यह माना गया था कि 7500 किलो से कम वजन वाला ट्रांसपोर्ट वाहन एलएमवी होगा. हालांकि यह मामला पहले सुरक्षा और रेगुलेटरी मुद्दों पर केंद्रित था. बाद में इसमें उन हजारों वर्कर्स की आजीविका को ध्यान में रखा गया, जो परिवहन उद्देश्यों के लिए एलएमवी चलाते हैं.
किस बात पर फंसा था पेच?
मुकुंद देवांगन मामले में सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच को यह तय करने के लिए कहा गया था कि क्या एमवीए की धारा 10(2)(डी) के तहत चलाने के लिए लाइसेंस रखने वाले व्यक्ति को परिवहन वाहन (एमवीए की धारा 10(2)(ई) के तहत) चलाने के लिए अलग लाइसेंस की आवश्यकता होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि उस पर कोई सामान लोड होने से पहले वो 7500 किलोग्राम से कम था. तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था कि “एक परिवहन वाहन और ओमनीबस, जिनमें से किसी का भार 7500 किलोग्राम से अधिक नहीं है, एक हल्का मोटर वाहन होगा.” मार्च 2022 में, बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस बनाम रंभा देवी मामले में, कई बीमा कंपनियों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया, जिसमें कहा गया कि मुकुंद देवांगन ने एलएमवी लाइसेंस धारकों को परिवहन वाहन चलाने की अनुमति देकर गलत किया.