गुजरात सरकार ने किया 20 साल की बीजेपी सरकारों का प्रचार: फ़ोकस केवल नरेंद्र मोदी पर, केशुभाई पटेल, आनंदी बेन और विजय रूपानी का जिक्र तक नहीं

गुजरात में शुरू किए गए इस अभियान तहत 82 वंदे गुजरात मिनी ट्रकों से पूरे राज्य के गांवों और शहरों में विकास रथ यात्रा निकाली जा रही है। जिसमें गुजरात विकास की शॉर्ट फिल्म दिखाई जा रही है।
नई दिल्ली
गुजरात में बीजेपी सरकार के दो दशकों के शासन पर प्रचार अभियान चलाया जा रहा है। इस प्रचार अभियान के लिए 5 जुलाई से गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने वंदे गुजरात की यात्रा शुरू की है। गुजरात में बीजेपी पहली बार साल 1995 में सत्ता में आ गई थी जब केशुभाई पटेल मुख्यमंत्री बने थे। लेकिन गुजरात में बीजेपी सरकार का प्रचार अभियान से साल 2002-2022 के बीच के कार्यकाल के बारे में किया जा रहा है। इस अभियान में साल 2001 से 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किए गये कार्यों को फोकस किया गया है। जबकि वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और पूर्ववर्ती मुख्मंत्री आनंदी बेन पटेल या फिर विजय रूपाणी का कोई उल्लेख नहीं है।
केशुभाई पटेल को एक प्रमुख पाटीदार नेता के रूप में जाना जाता है जिन्होंने गुजरात में पार्टी की नींव रखी थी। राज्य की पहली महिला सीएम आनंदीबेन ने हार्दिक पटेल के नेतृत्व में पाटीदार आरक्षण आंदोलन के बाद इस्तीफा दे दिया और अब वह उत्तर प्रदेश की राज्यपाल हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री बने विजय रूपाणी का कार्यकाल भी खत्म नहीं हुआ था कि उन्हें बीच में ही बदल दिया गया था और पिछले साल सितंबर में वर्तमान सीएम भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बना दिया गया।
82 मिनी ट्रकों से निकाली गई रथ यात्रा
गुजरात में शुरू किए गए इस अभियान तहत 82 वंदे गुजरात मिनी ट्रकों से पूरे राज्य के गांवों और शहरों में विकास रथ यात्रा निकाली जा रही है। इस विकास रथयात्रा में एलईडी स्क्रीन से लैस ट्रक पिछले 20 सालों से गुजरात में हुए विकास की शॉर्ट फिल्मों का प्रदर्शन करते हुए निकलते हैं। कुल मिलाकर पूरे गुजरात में ऐसे 2,500 कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इन कार्यक्रमों में स्थानीय अधिकारी सार्वजनिक कार्यों की शुरुआत करेंगे या शिलान्यास करेंगे। सांस्कृतिक कार्यक्रमों और स्वच्छता अभियानों के साथ कई जगहों पर सरकारी योजनाओं के शिविर भी लगाए जाएंगे।
एक कहानी के माध्यम से गुजरात के युवाओं को साधने का प्रयास
यात्रा के शुभारंभ पर साबरमती नदी के किनारे के कहानी के माध्यम से गुजरात की युवा पीढ़ी को संबोधित किया जाता है। इस कहानी में ये बताया गया है कि ”उन्होंने केवल एक समृद्ध गुजरात देखा है।” जबकि इसके कुछ ही दिन पहले राज्य ने बिजली की आपूर्ति के बिना अंधेरा देखा था, पानी की कमी देखी थी, और गुजरात के सांप्रदायिक दंगों को देखा था। इस फिल्म में आगे बताया जाता है कि ”साल 2001 में कैसे नरेंद्रभाई का गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में आगमन होता है और इसके साथ ही राज्य के हर घर में खुशी की लहर दौड़ जाती है।”
दो चरणों में गुजरात की तुलना 1947-2002 और 2002-2022
इसी तरह से वंदे गुजरात पहल पर गुजरात सरकार की शुरू की गई एक बुकलेट जिसमें पशुपालन, बिजली, कानून और व्यवस्था और शिक्षा जैसे कई क्षेत्रों की तुलना दो व्यापक चरण दिखाए गए हैं। इनमें साल 1947-2002 और 2002-2022 के बीच के गुजरात का चित्रण है। उदाहरण के लिए कृषि पर बुकलेट में दिखाया गया है कि जहां पहले चरण में गुजरात का किसान आश्रित था वहीं दूसरे चरण में किसानों को आत्मनिर्भर बनते देखा गया। बुकलेट में पर सिर्फ दो नेताओं की तस्वीर है नरेंद्र मोदी और भूपेंद्र पटेल।