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चुनावी राज्यों में मोदी शाशन में धु्रवीकरण की प्रक्रिया तेज़ ?

इस वर्ष की बची अवधि में जिन चार राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं, उनमें से हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के लिये तो प्रक्रिया प्रारम्भ हो भी गयी है, वहीं महाराष्ट्र तथा झारखंड के लिये कभी भी इसका ऐलान हो सकता है। चारों ही राज्यों में भारतीय जनता पार्टी एवं उसके गठबन्धन (नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस- एनडीए) की हालत पतली समझी जाती है। इसके कारण राज्यवार तो अलग-अलग हैं, लेकिन जो बात सब पर लागू होती है, वह है उसके सामने मुद्दों का अभाव। अपने कथित विकास की कोई भी बात मतदाताओं के सामने रखने में नाकाम रही भाजपा के साथ हमेशा ऐसा होता आया है। सामान्य मौकों पर विकास, खुशहाली, मजबूत अर्थव्यवस्था जैसे विषयों पर बड़ी जोर-जोर से ढोल पीटने वाली भाजपा चुनाव के वक्त पर हिन्दू-मुस्लिम, भारत-पाकिस्तान और श्मशान-कब्रिस्तान पर उतर आती है।

लगता है कि फिर वैसा ही कुछ होने जा रहा है। हरियाणा और महाराष्ट्र में हुई दो घटनाओं का सम्बन्ध उसी गौ मांस से है, जिसके बूते भाजपा अपनी सरकारें (केन्द्र की हो या फिर राज्य की) बनाने की हमेशा जुगत करती है। गाय में श्रद्धा के नाम पर भाजपा ने देश भर में गोमांस को हमेशा से एक मुद्दा बनाकर रखा है। इसे लेकर भाजपा सियासी खेल करती रहती है। एक ओर तो वह गोमांस पर प्रतिबन्ध लगाने की बात करती है लेकिन जिन राज्यों में बीफ भोजन का हिस्सा है, वहां उसे जीवन शैली के नाम पर स्वीकारती भी है। गोवा, केरल, पूर्वोत्तर आदि के राज्यों में उसका अधिकृत रवैया यही होता है कि वह उसे स्वीकार करती चले। दूसरी तरफ उसके अथवा सहयोगी संगठनों के कार्यकर्ता देश भर में इसे लेकर उत्पात मचाते हैं। कई लोगों की गोमांस रखने या खाने के आरोप या संदेह मात्र में पीट-पीटकर हत्याएं कर दी गयी हैं।

पहली घटना हरियाणा के चरखी दादरी की है जहां पश्चिम बंगाल से मजदूरी करने गये दो व्यक्तियों को गोमांस खाने के आरोप में कुछ लोगों ने इतना पीटा कि उनमें से एक की मृत्यु हो गयी तथा एक गम्भीर रूप से घायल हो गया है। ये दोनों ही 24 परगना जिले के हैं और वहां रहकर कूड़ा बीनने का काम करते थे। वैसे पुलिस ने 7 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। 3 को न्यायिक रिमांड में भेज दिया गया है, जबकि 4 पुलिस हिरासत में हैं। एक पुलिस अधिकारी के अनुसार उन्हें सूचना मिली थी कि हंसावास खुर्द गांव की एक झुग्गी बस्ती में कुछ लोग प्रतिबंधित मांस खा रहे हैं। पुलिस ने वहां जाकर सैंपल लिया और प्रयोगशाला में भेजा। चूंकि इस पर कार्रवाई लैब की रिपोर्ट पर ही निर्भर है, इसलिये इसका इंतज़ार किया जा रहा था। यह घटना 27 अगस्त को हुई थी। इस बीच कुछ लोगों को इसकी जानकारी होने पर उन्होंने जाकर लिंचिंग की घटना को अंजाम दिया। घटना में शामिल दो नाबालिग हैं। पहले उन्होंने दोनों का अपहरण कर लिया और फिर अन्यत्र ले जाकर उनकी मरते या घायल होने तक पिटाई की।

दूसरी तरफ वहां के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने जो बयान दिया है, वह और भी स्तब्ध करने वाला है। सैनी ने मॉब लिंचिंग को तो गलत बताया परन्तु उनका यह भी कहना है कि ‘राज्य ने गौ संरक्षण हेतु कड़ा कानून बनाया है। गोमाता पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता।’ सैनी के अनुसार ‘गोमाता में लोगों की इतनी श्रद्धा है कि यदि उन्हें (लोगों को) इस प्रकार की घटना की जानकारी हो जाये तो उन्हें कौन रोक सकता है। वे गांव के लोग हैं। अंदर क्या हुआ क्या नहीं हुआ- कुछ नहीं कहा जा सकता।’ यह भाषा साफ बतलाती है कि सैनी की आरोपियों के प्रति न केवल सहानुभूति है वरन वे उनके काम को तर्कसंगत भी साबित करने की कोशिश कर रहे हैं।

दूसरी घटना महाराष्ट्र की है। धुले एक्सप्रेस में एक मुस्लिम बुजुर्ग की कुछ सहयात्रियों ने पिटाई कर दी क्योंकि उन्हें शक था कि उन के पास गोमांस है। दो प्लास्टिक कंटेनरों में रखी सामग्री के बाबत वे पूछताछ कर रहे थे। उस घटना के वायरल हुए वीडियो में वह व्यक्ति बहुत डरा हुआ दिख रहा था। जलगांव निवासी यह बुजुर्ग मालेगांव में अपनी बेटी के लिये भैंस का मांस ले जा रहे थे। महाराष्ट्र में गाय एवं बैल के मांस पर तो प्रतिबन्ध है लेकिन भैंस का मांस खाना या रखना प्रतिबन्धित नहीं है।

उन के जवाब से असंतुष्ट लोग उन से कई तरह के सवाल करते रहे। साथ ही वे अशरफ मुन्यार को यह कहकर भी धमकाते रहे कि ‘वे परीक्षण से जान जायेंगे कि उसके पास रखा हुआ कौन सा मांस है।’ हालांकि ठाणे सेंट्रल रेलवे पुलिस के एक उच्चाधिकारी ने बताया कि पहले सीट को लेकर यह झगड़ा शुरू हुआ था जो बाद में इस मुद्दे तक जा पहुंचा। पुलिस ने दो आरोपियों की पहचान कर ली है जो कि धुले के बतलाए गये हैं। बुजुर्ग से जब पुलिस ने सम्पर्क किया तो वे रिपोर्ट लिखाने से भी डर रहे थे।

दोनों घटनाओं से साफ है कि अब इन्हें सियासी मोड़ दिया जायेगा। जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं उनमें भाजपा की हालत जैसी बतलाई जा रही है, कोई आश्चर्य नहीं कि भाजपा उन्हें भुनाने में लग जायेगी। दोनों ही घटनाओं में शामिल आरोपी भाजपा, आरएसएस, बजरंग दल, विश्व हिन्दू परिषद की विचारधारा के होंगे- यह दावे के साथ कहा जा सकता है। अगर न भी हुए तो भाजपा उनके पक्ष में खड़ी हो सकती है जिसका उद्देश्य धु्रवीकरण करना ही होगा।

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