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राष्ट्रीय बीमा: केंद्र ने कहा- कोविड-19 से मौतों को दायरे में लाने की कोई योजना नहीं, विचार-विमर्श से भी इनकार

नई दिल्ली

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि कोविड-19 से होने वाली मौतों के लिए राष्ट्रीय बीमा कवरेज प्रदान करने को लेकर फिलहाल कोई नीति या योजना नहीं है
इस बात पर चुप्पी साधे रखी कि क्या प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) द्वारा कोविड-19 से मृत्यु होने पर परिवार को चार लाख रुपये मुआवजा न देने का निर्णय लिया गया

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि कोविड-19 से होने वाली मौतों के लिए राष्ट्रीय बीमा कवरेज प्रदान करने को लेकर वर्तमान में कोई नीति या योजना व दिशानिर्देश नहीं है। साथ ही यह भी कहा कि देश में प्राकृतिक आपदाओं के लिए जोखिम बीमा कवरेज के दायरे में इस महामारी को शामिल करने को लेकर कोई विचार-विमर्श नहीं चल रहा है।

सुप्रीम कोर्ट को शनिवार को दिए अपने लिखित जवाब में केंद्र ने इस बात पर चुप्पी साधे रखी कि क्या प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) द्वारा कोविड-19 से मृत्यु होने पर परिवार को चार लाख रुपये मुआवजा न देने का निर्णय लिया। 21 जून को जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने केंद्र से जानना चाहा था कि क्या एनडीएमए ने यह फैसला लिया है कि कोविड-19 से मौत के मामले में परिजनों को चार लाख रुपये मुआवजा नहीं दिया जा सकता?

वित्त आयोग ने कोरोना महामारी को आपदा सूची में शामिल न करने की सिफारिश की थी
सरकार ने अपने जवाब में दोहराया है कि वित्त आयोग ने अक्तूबर 2020 में कोविड-19 को आपदा की सूची में शामिल न करने की सिफारिश की थी। यही वजह है कि राज्यों को कोविड-19 से होने वाली मौतों के लिए किसी भी तरह की अनुग्रह राशि देने के लिए राज्य आपदा राहत कोष का उपयोग नहीं करने के लिए कहा गया था। केंद्र ने कहा है कि वित्त आयोग की सिफारिश के आधार पर ही राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन कोष और राज्य आपदा प्रबंधन कोष के प्रबंधन का काम किया जा रहा है।

मुद्दा राजकोषीय सामर्थ्य का नहीं है
सरकार ने कहा है कि इस आपात स्थिति और वायरस के बदलते स्वरूप से उत्पन्न होने वाली परिस्थितियों से निपटने के लिए बहुत ही ईमानदारी और तार्किक तरीके से वित्तीय, मानवीय और आधारभूत संसाधनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। भविष्य में आने वाली परेशानियों की आशंका को ध्यान में रखते हुए यह सब किया जा रहा है। उसने कहा है कि यहां मुद्दा राजकोषीय सामर्थ्य का नहीं है बल्कि तर्कसंगत, विवेकपूर्ण तरीके से वित्तीय और देश के अन्य सभी संसाधनों का उपयोग करना है।

अनुग्रह भुगतान मुख्यमंत्री व राज्य राहत कोष से हो रहा
सरकार ने कहा है कि राज्य सरकारों द्वारा किया जा रहा अनुग्रह भुगतान मुख्यमंत्री व राज्य राहत कोष से हो रहा है न कि राज्य आपदा कोष से। उसने यह भी कहा है कि कोविड-19 को गत वर्ष मार्च में सीमित सहायता के उद्देश्य से और एकमुश्त अस्थायी व्यवस्था के लिए एक आपदा के रूप में अधिसूचित किया गया था, लेकिन अनुग्रह राशि के पहलू को बाढ़, सूखा, सुनामी, चक्रवात, भूकंप आदि 12 चिह्नित आपदाओं तक ही सीमित रखा गया था।

 

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