‘न्याय और चिकित्सा में नैतिकता-करुणा जरूरी’, युवाओं से बोले- दोनों क्षेत्रों के सिद्धांत समान ; CJI

सीजेआई ने युवा डॉक्टरों का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि जब आप स्वास्थ्य सेवा पेशेवर के रूप में दुनिया में कदम रखते हैं तो याद रखें कि आपका तकनीकी कौशल, समीकरण का केवल एक हिस्सा है। यह आपकी करुणा, सुनने की क्षमता तथा नैतिक प्रथाओं के प्रति आपकी अटूट प्रतिबद्धता है जो वास्तव में आपकी सफलता को परिभाषित करेगी।
चंडीगढ़
न्याय और चिकित्सा, दोनों का सिद्धांत समान है। दोनों ही क्षेत्रों में नैतिकता और करुणा बेहद जरूरी हैं। चिकित्सा के क्षेत्र में सहानुभूति और नैतिकता केवल अमूर्त अवधारणाएं नहीं हैं, ये चिकित्सा यात्रा का आधार हैं। ये बातें सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को पीजीआई के 37वें दीक्षांत समारोह में कहीं। वह बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे थे।
सीजेआई ने युवा डॉक्टरों का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि जब आप स्वास्थ्य सेवा पेशेवर के रूप में दुनिया में कदम रखते हैं तो याद रखें कि आपका तकनीकी कौशल, समीकरण का केवल एक हिस्सा है। यह आपकी करुणा, सुनने की क्षमता तथा नैतिक प्रथाओं के प्रति आपकी अटूट प्रतिबद्धता है जो वास्तव में आपकी सफलता को परिभाषित करेगी। यह ही वह माध्यम है जो आपके रोगियों के जीवन पर प्रभाव डालेगी।
नीट को लेकर भी की बात
सीजेआई ने नीट परीक्षा आयोजित करने की जटिलताओं पर भी चर्चा की। कहा कि पीठ के सदस्य के रूप में मुझे इसमें शामिल जटिलताओं को देखने का अवसर मिला। ऐसे मामले में किताबी कानून के आधार पर निर्णय नहीं लिया जा सकता क्योंकि न्याय और नैतिक मानक केवल सैद्धांतिक अवधारणाएं नहीं हैं बल्कि व्यावहारिक आवश्यकताएं हैं, जो अवसरों तक समान पहुंच सुनिश्चित करती हैं। ऐसा करके ही सभी के लिए समान न्याय किया जा सकता है।
मुन्नाभाई एमबीबीएस का जिक्र…जादूभरी होती है जादू की झप्पी
सीजेआई ने फिल्म मुन्नाभाई एमबीबीएस का भी जिक्र किया। कहा कि जिस तरह फिल्म ने मात्र पाठ्यपुस्तक के ज्ञान से अधिक करुणा के महत्व को उजागर किया, उसी तरह चिकित्सा का मूल भी सहानुभूति में निहित होना चाहिए। जादू की झप्पी वाकई जादूभरी होती है। मरीज सिर्फ केस नहीं हैं, वे ऐसे लोग हैं जिन्हें आपकी दयालुता की भी जरूरत है इसलिए सहानुभूति के सबक को मार्गदर्शक बनाएं। फिर आप पाएंगे कि प्यार और सहानुभूति भरी आपकी एक नजर भी चमत्कार पैदा कर सकती है।